राजस्थान में सरकार बनाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाली पाकिस्तान बॉर्डर के पास की विधानसभा सीट शक्ति स्थल पोखरण इन दिनों काफी चर्चा में है। इस सीट पर जैसे-जैसे सियासी घमासान तेज होता जा रहा है, देश भर के राजनीतिक विश्लेषकों की निगाह यहां टिकने लगी है। कांग्रेस की ओर से इस सीट पर मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर के बेटे सालेह मोहम्मद को टिकट दिया गया है। गाजी फकीर का सिंधी मुसलमानों में धर्मगुरु का रुतबा है और उसके अनुयायी राजस्थान में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी हैं। वहीं भाजपा ने भी तगड़ा दांव खेलते हुए इस सीट पर सनातन शंकराचार्य मत पर आधारित तारातरा मठ के महंत प्रतापपुरी को मैदान में उतारा है। कांग्रेस इस सीट को किसी भी हाल में जीतने के मूढ़ में है, यही कारण था कि, प्रत्याशी घोषित करते ही 26 नवंबर को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने पोखरण में चुनावी सभा की थी। खास बात यह है कि, उसी दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी यहां महंत प्रतापपुरी के पक्ष में सभा की थी। योगी ने एक रात पोखरण में ही ठहरकर प्रतापपुरी के पक्ष में माहौल भी बनाया था। योगी स्वयं नाथ समुदाय से हैं और प्रताप पुरी भी तारातरा मठ के महंत हैं, इसलिए योगी भी यहां से बीजेपी को जिताने में पूरा जोर लगाए हुए हैं। उधर राहुल भी इस सीट से अपने मुस्लिम प्रत्याशी को जिताने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। वास्तव में राजस्थान की यह पोखरण सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। चुनावी समीकरण की बात करें तो भाजपा यहां भारी नजर आ रही है। बेहद सफल स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ ने तो यहां प्रतापपुरी के पक्ष में अच्छा माहौल बनाया है। खास बात यह है कि, शुक्रवार को उत्तर भारत के पांच-छह राज्यों से संत और सामाजिक कार्यकर्ता पोखरण पहुंचे हैं। ये लोग महंत प्रतापपुरी के पक्ष में पोखरण में जोरदार माहौल बनाने में जुटे हुए हैं।
यह है जातीय समीकरण
पोखरण विधानसभा सीट में कुल 1 लाख 94 हजार 30 मतदाता हैं। इनमें पुरूष मतदाता 1 लाख 2 हजार 519 मतदाता हैं वहीं महिला मतदाता 91 हजार 511 मतदाता हैं। यहां बड़ी जातियों में राजपूत, मुस्लिम, दलित और ओबीसी वर्ग भी शामिल है। आंकड़ो के अनुसार, पोखरण में राजपूतों के लगभग 52 हजार मतदाता है तो मुस्लिम समुदाय के 54 हजार मतदाता हैं। इसके अलावा दलित वर्ग के 34 हजार और ओबीसी वर्ग के यहां 42 हजार मतदाता है। सामान्य जातियां में वैश्य और ब्राम्हण के 12 हजार मतदाता है। वहीं पोखरण विधानसभा क्षेत्र में 31 हजार 233 नए मतदाता भी हैं।
राजपूत और दलित वोटबैंक दिलाएगा बीजेपी को जीत
महंत प्रताप पुरी बाड़मेर के तारातरा संप्रदाय के मुख्य पुजारी हैं। वे तारातरा मठ के महंत भी हैं। उनके बाड़मेर और जैसलमेर जिले में बहुत अनुयायी हैं। हर साल लाखों की संख्या में बिश्नोई, जाट, राजपूत व अन्य समुदाय के लोग यहां आते हैं। इस क्षेत्र में महंत प्रतापपुरी को सीएम योगी आदित्यनाथ जैसी ही लोकप्रियता मिली हुई है। प्रतापपुरी यहां के लोगों के बीच हिंदुत्ववादी छवि के लिए जाने जाते हैं। बीजेपी ने इस सीट पर प्रतापपुरी को काफी सोच-समझकर उतारा है। पोखरण में मुस्लिम समुदाय के बाद सबसे ज्यादा राजपूत समुदाय के लोग है। वहीं राजपूत परिवार से आने वाले महंत प्रताप पुरी का राजपूत मतदाताओं पर काफी अच्छी पकड़ है। अब संत समुदाय और योगी आदित्यनाथ यहां दलित समाज को अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद से यहां प्रताप पुरी को दलितों का समर्थन भी देखने को मिल रहा है। यह देखते हुए कहा जा सकता है कि, दलित और राजपूत वोट बैंक को साध कर बीजेपी इस सीट पर जीत के करीब पहुंचती जा रही है।
पहले विधायकी हार चुके हैं सालेह मोहम्मद
2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के शैतान सिंह ने कांग्रेस विधायक सालेह मोहम्मद को 34444 वोटों से हराया था। इस चुनाव में बीजेपी के शैतान सिंह को 85010 और कांग्रेस के सालेह मोहम्मद को 50566 वोट मिले थें। वहीं इससे पहले साल 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सालेह मोहम्मद ने बीजेपी के शैतान सिंह को 339 मतों के मामूली अंतर से शिकस्त दी थी। उस समय कांग्रेस के सालेह मोहम्मद को 42756 और बीजेपी के शैतान सिंह को 42417 वोट मिले थे। इसके बाद शैतान सिंह ने जबरदस्त वापसी की और 2013 में बड़े अंतर से सालेह मोहम्मद को हरा दिया।
प्रतापपुरी के समर्थन में कई राज्यों से संत पहुंच रहे पोखरण
पोखरण विधान सभा क्षेत्र के बीजेपी प्रत्याशी महंत प्रतापपुरी के समर्थन में शुक्रवार को हरियाणा, गुजरात, पंजाब व दिल्ली से संत व सामाजिक कार्यकर्ता पोखरण पहुंचे। इसके अलावा और भी कई राज्यों के संत पोखरण पहुंच चुके हैं। पोखरण पहुंचे संतों में हरियाणा की खेल नगरी कही जाने वाले भिवानी जिले से बालयोगी महंत चरणदास भी शामिल हैं।
प्रतापपुरी अपनी सभाओं में कहते हैं कि “कांग्रेस इस चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास कर रही है लेकिन मैं यहां लोगों को एक करने के लिए मौजूद हूं। मैं लोगों के कल्याण के लिए हमेशा काम करता रहा हूं और करता रहूंगा।” पाकिस्तान बॉर्डर के पास की पोखरण सीट को इस चुनाव में कोई ऊपरी नजर से देखें, तो यहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण दिखाई देता है लेकिन बीजेपी का दावा है कि, वह यहां सामाजिक समरसता के जरिए लोगों को अपने पक्ष में कर रही है। बहरहाल इस सीट पर समीकरण बीजेपी को जिताते ही नजर आ रहे हैं।