जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा हैं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा पर कोई न कोई नेता पानी फेरता जा रहा है। चुनाव नजदीक आने पर गठबंधन को धार देने की कौन कहे, गठबंधन और भी कमजोर होता जा रहा है। एक के बाद एक नेता गठबंधन में राहुल गांधी के पीएम पद के लिए नाम सामने आने पर तुरंत पीछे हट जाता है। इस बार अखिलेश यादव ने साफ कह दिया है कि प्रधानमंत्री पद का निर्णय सभी मिलकर लेंगे।
दरअसल, तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन ने कहा कि, कांग्रेस अध्यक्ष में मोदी सरकार को हराने की काबिलियत है। तमिलनाडु की तरफ से आगामी लोकसभा चुनाव में पीएम पद की उम्मीद्वारी के लिए वह राहुल गांधी के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। उनके इस बयाने के बाद एक के बाद एक नेता पीछे हटते जा रहे हैं। इसी संदर्भ में अखिलेश ने कहा कि “अभी महागठबंधन का खाका तैयार किया जाना है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर, ममता बनर्जी और शरद पवार ने गठबंधन बनाने के लिए सभी नेताओं को एक साथ लाने का प्रयास किया था। इस प्रयास में अगर कोई अपनी राय दे रहा है, तो जरूरी नहीं है कि गठबंधन की राय समान हो। प्रधानमंत्री पद के नाम पर किसी का भी नाम गठबंधन के सभी नेता तय करें तो बेहतर है।”
बता दें कि, यह राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद के लिए नाम आगे किए जाने का ही असर था कि, तीन राज्यों में कांग्रेस को मिली जीत के बाद सीएम के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव नहीं गए। ये साफ संकेत है कि महागठबंधन के ज्यादातर नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद पर नहीं देखना चाहते हैं।
अब ऐसे में तीन राज्यों में मिली जीत के बाद कांग्रेस को एक ओर लग रहा था कि, हिंदी बेल्ट में उसकी पकड़ मजबूत हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लगा था कि, हिंदी राज्यों का मैं अगुआ बन गया हूं। लेकिन अब उन्हें अखिलेश और मायावती ने झटका दे दिया है। उन्हें एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं। बताते चलें कि, आज अखिलेश व मायावती ने यह निर्णय भी लिया है कि, वो दोनों उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगे।
वहीं दूसरी ओर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शरद पवार लगातार महागंठबंधन करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन पीएम पद को लेकर पेंच फंसा हुआ है। वो राहुल गांधी का नाम आने पर पीछे हट जाते हैं। उनके चेहरे की रंगत बदल जाती है। दरअसल, यह कांग्रेस पार्टी का अहंकार ही है कि ज्यादातर दल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पीएम पद का दावेदार नहीं मानते हैं। उनकी बचकानी हरकतों और अहंकार को देखते हुए ज्यादातर विपक्षी नेता राहुल गांधी का नाम पीएम पद के दावेदार के रूप में बताने में सकुचाते हैं। अब, जबकि चुनाव नजदीक है तो ऐसे में देखने वाली बात यह होगी कि चुनाव नजदीक आते-आते यह तकरार और महगठबंधन की फूट कहां तक जाती है।