आजकल कुछ पत्रकार मानों झूठ फैलाने का ठेका ले चुके हैं। वो जनता को गुमराह करने के लिए हमेशा मौके ढूंढ़ते रहते हैं। एक बार फिर एक जाने मानें पत्रकार ने हिंदू धर्म पर फेक न्यूज फैलाने का काम किया है। इस बार इंडिया टूडे ग्रुप के पत्रकार राहुल कंवल ने यह काम किया है। दरअसल, राहुल कंवल ने बिना किसी संकोच के एक झूठी खबर फैलाकर हिंदुओं को बांटने और बदनाम करने की कोशिश की थी। राहुल कंवल ने अपनी रिपोर्ट के सहारे यह अफवाह फैलाई कि, भारत में गोरखनाथ मंदिर जैसे कई मंदिरों में दलितों का प्रवेश वर्जित है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से हिंदुओं को बांटने का खूब प्रयास किया लेकिन गोरखपुर के ही एक निवासी विकास पांडेय ने उनके इस ट्विट का भंडाफोड़ कर दिया।
उनके इस झूठे दावे पर गोरखपुर के निवासियों के अलावा गोरखपुर मंदिर में दर्शन करने गए कई लोगों ने करारा जवाब दिया। गोरखपुर के मूल निवासी विकास पांडेय ने राहुल कंवल के दावों की धज्जियां ही उड़ा दी। विकास ने दलित समुदाय के कई लोगों के इंटरव्यू की वीडियो बनाकर पूरी सच्चाई बता डाली। वीडियो में विकास ने दलित समुदाय के लोगों का इंटरव्यू लेकर यह जानने की कोशिश की कि, क्या उन्हें सच में गोरखनाथ मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। इंटरव्यू में गोरखपुर निवासी कई दलितों ने बताया कि, वो वर्षों से इस मंदिर में आ रहे हैं और आज तक किसी ने भी, कभी भी उनकी जाति नहीं पूछी। वे कह रहे थे कि, यहां किसी से किसी का जाति नहीं पूछी जाती। दरअसल, मामले की गहराई से पड़ताल करने पर पता चलता है कि, कवंल की इस फेक न्यूज के पीछ हिंदुओं को बदनाम करने की शाजिश हो सकती है।
विकास ने अपना वीडियो भी ट्विट किया है। वीडियो में लोग साफ-साफ बता रहे हैं कि, इस मंदिर में प्रवेश के लिए किसी को मना नहीं किया जाता है। एक व्यक्ति ने बताया कि, “हम लोग खुद ही दलित हैं। हम यहां वर्षों से मंदिर की देखरेख करते हैं।” इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, इस प्रश्न के जवाब में एक व्यक्ति ने बताया कि, यह राजनीति का मामला है। यहां ऐसा कुछ नहीं है। व्यक्ति ने बताया कि वह खुद ही दलित समुदाय से आता है।
इस तरह से एक बात तो स्पष्ट हो गया है कि, कुछ लोग पत्रकारिता की आड़ में हिंदुओं और हिंदू धर्म को बदनाम करने में लगे हैं। उनका उद्देश्य किसी भी तरह से फेक न्यूज फैलाकर, जनता को गुमराह करके लोगों के मन में हिंदुओं के प्रति नफरत फैलाना है और हिंदुओं में फूट डालना है। जबकि सच्चाई यह है कि, गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर के दरवाजे हमेशा, सभी जाति और सभी धर्म के लोगो के लिए खुले हुए हैं।