राजस्थान में इस बार किसकी सरकार बनेगी? वसुंधरा राजे ही सत्ता में काबिज रहेगी या फिर कांग्रेस वापसी कर पाएगी? इन सब कयासों से 11 दिसंबर को चुनाव परिणाम आने के साथ ही पर्दा उठ जाएगा, लेकिन कुछ फेक्टर्स ऐसे है, जो हमेशा यह सटीक रूप से बता देते हैं कि, राजस्थान में किसकी सरकार बनेगी। दरअसल, सूबे में तीन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर जिस पार्टी का नेता जीतता है, उसी की पार्टी राज्य में सरकार बनाती है। यह ट्रेंड इस बार भी कायम रहा तो ये सीटें ही निर्धारित करेंगी कि राजस्थान में बीजेपी सत्ता में रहेगी या कांग्रेस सरकार बनाएगी।
खास बात यह है कि, इन तीनों सीटों के नाम ‘क’ से स्टार्ट होते हैं। ये केकड़ी, कपासन और कुंभलगढ़ सीटें हैं। केकरी और कपासन की बात करें तो 1951 से लेकर अब तक इन दोनों सीटों पर जो जीता है, उसी की पार्टी की सूबे में सत्ता रही है। कुल 14 चुनावों में से केवल एक बार ही इन सीटों के ट्रेंड से राज्य में सरकार नहीं बनीं, वरना हर बार यह ट्रेंड रहा है।
केकड़ी
सूबे के 1967 विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए, तो केकड़ी में जिस पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई, उसी पार्टी की राज्य में सरकार बनी है। 1967 के चुनाव में केकड़ी में स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी की जीत हुई थी। उस समय सत्ता में कांग्रेस आई थी। वहीं 1990 में केकड़ी में जनता दल के प्रत्याशी शंभु दयाल की जीत हुई थी और राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी। इसके बाद 1993 के चुनावों में भी यहां से शंभु दयाल ही जीते लेकिन इस बार वे बीजेपी की ओर से चुनाव लड़े थे। इस तरह सिर्फ एक बार को छोड़कर इस सीट से यह ट्रेंड हमेशा बना रहा है।
कपासन
राजस्थान में 1997 तक कांग्रेस जीतती रही है। इस तरह कपासन में भी 1951 से 1997 तक लगातार कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत मिली। जब इंदिरा गांधी के खिलाफ लहर चली तो जनता पार्टी के प्रत्याशी मोहनलाल यहां से विजयी रहे थे। 1993 के चुनाव में कपासन से बीजपी के प्रत्याशी को जीत मिली। इस साल भैरों सिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने थे। कपासन में 1953 से 13 बार लगातार जिस प्रत्याशी की जीत हो रही है, उसी की पार्टी सूबे में सरकार बनाती है।
कुंभलगढ़
साल 1951 के चुनावों से लेकर अब तक 13 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें से 10 चुनावों में कुंभलगढ़ में जो जीता, उसी पार्टी की राज्य में सरकार बनी है। केवल तीन बार यह ट्रेंड बदला है। 1951 में यहां बीजेएस के प्रत्याशी को जीत मिली थी, लेकिन सत्ता में कांग्रेस की सरकार बनी। 1962 और 1990 में भी ऐसा ही हुआ। साल 1990 के चुनाव में यहां कांग्रेस को जीत मिली थी लेकिन सूबे में बीजेपी की सरकार बनी थी। इस बार इंडिया टुडे के एग्जिट पोल के अनुसार कुंभलगढ़ में बीजेपी की सरकार बन रही है। हो सकता है कि, यह ट्रेंड बना रहे और इस बार बीजेपी ही सरकार बनाए।
सूबे की इन तीन सीटों के अलावा 6 सीटें ऐसी हैं, जहां 1990 के बाद से लेकर अब तक जो प्रत्याशी जीता हे सूबे में उसी की पार्टी ने सरकार बनाई है। ये छह सीटें सूरतगढ़, सुजानगढ़, चामू, शियो, देओली-उनियारा और रानीवाड़ा है। अब देखना यह है कि, क्या इस बार इन इन छह सीटों समेत केकड़ी, कपासन और कुंभलगढ का ट्रेंड कायम रहता है या नहीं। यह तो मंगलवार को आ रहे चुनाव परिणामों के बाद ही पता चल पाएगा।