श्रीराम के भक्तों को सरकार ने नए साल पर एक बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने 1964 के समुद्री तूफान में बह चुकी धनुषकोडी रेल लाइन को एक बार फिर से बनाने की मंजूरी दे दी है। इस रेल लाइन से प्रसिद्ध रामसेतु तक सीधा रेल संपर्क शुरू हो जाएगा। यही नहीं, करोड़ों श्रद्दालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पंबन सेतु के सामानंतर एक नया पुल बनाने की भी मंजूरी दे दी है। भारतीय रेलवे की इन दोनों महत्वपूर्ण परियोजनाओं में करीब 458 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अधिकारियों के अनुसार, दोनों परियोजनाएं अगले चार साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
धनुषकोडी में ही रामसेतु का एक छोर है जो कि, श्रीलंका तक फैला हुआ है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार काशी और रामेश्वरम के बाद धनुषकोडी में डुबकी लगाने से ही पवित्र स्नान पूरा होता है। बता दें कि, 1964 के तूफान में धनुषकोडी रेल लाइन के साथ ही एक ट्रेन भी बह गई थी और सैंकड़ों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। यह रेल लाइन रामेश्वरम से धनुषकोडी तक 18 किलोमीटर तक फैली हुई थी। हालांकि धनुषकोटी रेलवे स्टेशन आज भी मौजूद है। बताया जा रहा है कि, इस रेल लाइन को बनाने के लिए डीपीआर, डिजाइन व कागजी कार्रवाई का काम जनवरी महीने से शुरू हो जाएगा।
यह नया पंबन ब्रिज आधुनिक तकनीक से बनाया जाएगा। पहली बार इस ब्रिज में वर्टिकल लिफ्ट (यूरोपीय तकनीक) जैसी तकनीक होगी जिससे समुद्र में बड़े जहाज, स्टीमर आदी के जाने के लिए सेतु का 63 मीटर लंबा हिस्सा रेल लाइन सहित ऊपर उठ जाएगा। साथ ही पुल की ऊंचाई तीन मीटर अधिक रखी जाएगी। इससे हाई टाइड के समय ब्रिज पर पानी भी नहीं आ सकेगा। इस ब्रिज पर स्टेनलेस स्टील की पटरियां भी बिछाई जाएंगीं जो भारत में पहली बार होगा। पुराने पुल को खोलने-बंद करने की प्रक्रिया मैन्युअल है जबकि नए पुल का पूरी तरह ऑटोमैटिक रहेगी। वहीं रेल लाइन के दोनों छोर और उठने वाले हिस्से पर कंट्रोल के लिए टावर भी बनेंगे। इस लाइन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री स्लीपर कंपोजिट होगी। इससे समुद्र के खारे पानी व हवा से क्षरण नहीं होगा। मौजूदा पंबन पुल तमिलनाडु में मुख्य भूमि (मंडपम) को रामेश्वरम से जोड़ता है, जहां से धनुषकोडि में रामसेतु तक रास्ता जाता है। पंबन पुल 1914 में यातायात के लिए खोला गया था।
इन दोनों परियोजनाओं से समुद्र के रास्ते श्रीलंका जाने का सफर भी आसान होने वाला है। श्रीलंका ने 1964 में ध्वस्त हुई रेलवे लाइन को भारतीय एजेंसी इरकॉन की मदद से फिर से चालू कर दिया है। गौरतलब है कि, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने 14 मार्च 2015 को कोलंबो से तलाईमन्नार तक जाने वाली रेल सेवा को हरी झंडी दिखाई थी। अब धनुषकोडि तक रेल लाइन बनने से एक बार फिर समुद्री मार्ग से श्रीलंका का सफर आसान हो सकेगा।
बता दें कि, यूपीए सरकार के समय रामसेतू के अस्तित्व को ही नकारा जा रहा था वहीं हालिया केंद्र सरकार ना सिर्फ रामसेतु तक सीधा रेल संपर्क बना रही है बल्कि श्रद्दालुओं की भावनाओं को देखते हुे अन्य तीर्थ स्थानों को भी यहां से जोड़ा जाएगा। भारतीय रेलवे भी इस दिशा में काम कर रहा है।