समय को थोड़ा पीछे ले जाते हैं और बात करते हैं 1993 के जमाने की, जब मैं बच्चा था, मेरी उम्र एक साल रही होगी, उस समय मैने पहली मूवी देखी। मैं इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की मास्टरपीस ‘बाजीगर’ फिल्म की बात कर रहा हूं। उस समय मेरे पैरेंट्स ने मुझे पहली बार मूवी दिखाई थी। उस समय मैंने पहली बार सिनेमाघर का पर्दा देखा था।
उस समय मैं काफी रोमांचित था। मैं उस समय इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के आइकन फेस शाहरुख खान से काफी प्रभावित हुआ था। चार साल की उम्र में जब अपने दोस्त के घर टीवी पर मैने ‘करन अर्जुन’ और ‘बाजीगर’ देखी तो मैं बहुत प्रभावित हुआ था। उस समय तो मैं शाहरुख का एकदम दीवाना हो चुका था। मैने ऐसा ऐक्टर कभी नहीं देखा था। फौजी, सर्कस, अंजान, यश बॉस, परदेश जैसी मूवी व उनके गानों ने तो मेरा दिल जीत लिया था। दिल तो पागल है… गाने को मैंने कई दिनों तक गुनगुनाया था। छह साल तक की उम्र तक मेरे लिए टीवी का मतलब ही शाहरुख खान था।
इस तरह कई सालों तक मैं शाहरुख खान का फैन रहा। मैने शाहरुख को कभी भी रोमांस के लिए स्क्रीन पर पसंद नहीं किया, जैसा ज्यादातर लोग करते हैं। मैने कभी इस ओर भी ध्यान नहीं दिया कि शाहरुख किस प्रकार के आदमी हैं। मैं उनकी मूवी को केवल मूवी के रुप में देखा करता था। मैं उनकी उस मेहनत के लिए उनका सम्मान किया करता था, जो वो मूवी में हमारे लिए, आपके लिए और अपने लिए करते थे। मैं धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था और एक ऐक्टर के रुप में वो भी बड़े हो रहे थे। धीरे-धीरे मैंने उनके भीतर के आदमी की ओर भी ध्यान देना शुरु किया।
शाहरुख मेरे लिए धीरे-धीरे एक ऐक्टर से भी बढ़कर हो गए। शाहरुख एक सभ्य व्यक्ति थे। वे एक प्रसंशनीय, सम्मानित और प्यारे व्यक्ति थे। मैं चाहता था कि, वे खूब ऊंचाइयों पर पहुंचें। मैं शाहरुख को हमेशा शुभकामनाएं देता था। मैं शाहरुख से कभी मिला नहीं लेकिन, उनके लिए हमेशा प्रार्थना करता था। साल 2011 में मेरे पास उनसे मिलने का मौका था। वे बड़ौदा में ‘रा-वन’ के प्रमोशन के लिए आए थे। मैं उनसे मिला। हाथ मिलाया। मैं हाथ से बने एक पोस्टर को लेकर ‘रा-वन’ चिल्ला रहा था। यह मेरे लिए बहुत बड़ा क्षण था।
2015 से पहले तक सबकुछ सही था। मैने शाहरुख खान की चेन्नई एक्सप्रेस, हैप्पी न्यू ईयर, जब तक है जान जैसी सभी फिल्में देखी। लेकिन, 2 नवंबर को जब शाहरुख अपना 50वां जन्मदिन मना रहे थे, उस समय उन्होंने सबसे ज्यादा दिल दुखाया। उन्होंने कहा कि, “भारत में बहुत असहिष्णुता है”। उस स्टेटमेंट से मुझे बहुत दुख पहुंचा। यही नहीं, उस शब्द ने शाहरुख खान के प्रति मेरे भीतर के सारे प्रेम को ही खत्म कर दिया। उसके बाद से मैंने शाहरुख की गलतियों पर उनके पक्ष में बोलना ही छोड़ दिया। शाहरूख के उन 6 शब्दों वाले वाक्य ने मेरी जिंदगी से शाहरुख के प्रति लगाव को एकदम से कुचल दिया था। शाहरुख खान ने जनता का ध्यान आकर्षित करने और अनावश्यक रूप से बगावत करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने की कवायद करके मजाक उड़वाने का ही प्रयास किया।
2 नवंबर 2015 तक मैं शाहरुख खान का प्रशंसक था। वे 1993 से मेरे लिए चुनिंदा ऐक्टर्स में से थे। लेकिन अब नहीं। मैंने दिलवाले, रईस, जब हैरी मेट सेजल जैसी मूवी नहीं देखी।
एक साल बाद, शाहरुख एक बार फिर से ‘जीरो’ जैसी मूवी लेकर आए हैं। मैने जीरो भी नहीं देखी। किसी ने सच ही कहा है, “सामान्य आदमी की ताकत को कम मत समझो”। हमारे पास वो ताकत है कि हम आपको दिखा सकें कि आप सच में ‘जीरो’ हैं।