मध्य प्रदेश की सत्ता से बाहर होने के बाद से शिवराज सिंह चौहान किसी न किसी वजह से चर्चा में हैं। जिस तरह से उन्होंने हार की जिम्मेदारी स्वीकार की और अब उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल खुद को मध्य प्रदेश का आम आदमी बताया वो अब चर्चा में है। दरअसल, शिवराज सिंह ने अपनी प्रोफाइल दो बार बदली पहले तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री लिखा था लेकिन कुछ ही घंटों बाद उन्होंने अपने आप को ‘मध्य प्रदेश का आम आदमी’ (द कॉमन मैन ऑफ मध्य प्रदेश) बताया है। उनका ये अपडेट ट्विटर यूजर्स का ध्यान खींच रहा है।
इससे पहले उन्होंने मीडिया से बातचीत में साफ़ कर दिया था कि वो कैबिनेट में कभी नहीं जायेंगे उनके इस बोल ने मध्य प्रदेश की जनता का एक बार फिर से दिल जीत लिया। शायद यही वजह है कि वो अपनी सादगी की वजह से मध्य प्रदेश की जनता के दिलों में बसते हैं। दरअसल, मीडिया में खबरें तेज थीं कि चौहान अब लोकसभा चुनाव लड़ेंगे और केंद्र में बीजेपी सरकार बनने पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे लेकिन देशभर में चल रहे इन कयासों पर शिवराज सिंह चौहान ने विराम लगाते हुए कहा, “मैं केंद्र की राजनीति में नहीं जाऊंगा। मैं मध्य प्रदेश में रहूंगा और यहीं पर मरूंगा।” 13 सालों तक उन्होंने प्रदेश की सत्ता संभाली थी इस दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश की काया ही बदल दी। बीमारू राज्य की छवि से प्रदेश को निकाला। राज्य में जलापूर्ति का मामला हो, बिजली आपूर्ति की बात रही हो या फिर जनहित से जुड़ा कोई अन्य मामला रहा हो, शिवराज सरकार ने अपने शासन में हर मामले और हर क्षेत्र में बारीकी से ध्यान दिया है। ये शिवराज सिंह चौहान ही थे, जिनकी सरकार में नर्मदा-गंभीर लिंक परियोजना के लिये 2 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। शिवराज सरकार में चौबीस घंटे बिजली देने के लिए 9704 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया। गरीब और आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए प्री-मैट्रिक और मैट्रिक स्कॉलरशिप की व्यवस्था की गई। उनके लिए नये छात्रावासों की व्यवस्था के साथ राजीव आवास योजना अंतर्गत नगरीय निकायों में 15 हजार 430 आवास के विकास में 1781 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। यही नहीं शिवराज सिंह एक दशक से भी कम समय में मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से देश के अग्रणी राज्यों में ले आए। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा प्रदेश में इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 13 सालों से सत्ता में बने रहने के बावजूद उनके खिलाफ सत्ता विरोधी लहर प्रदेश में बहुत ही कम दिखी जो दिखी वो उनके कैबिनेट के कुछ मंत्रियों की वजह से दिखी थी।
इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार मिलने के बाद और हार की जिम्मेदारी स्वीकारने के बाद प्रदेश के मामा ने अपना बंगला भी खाली करना शुरू कर दिया जबकि अभी तक कमलनाथ ने मुख्यमंत्री की शपथ भी नहीं ली है। ये दर्शाता है कि वास्तव में चौहान जमीन से कितने जुड़े हैं। उन्होंने प्रदेश की जनता के लिए काम किया और पूरी निष्ठा के साथ किया और हार के पीछे अपनी खामियों को वजह ठहराया। वास्तव में उन्होंने ऐसा करके भारतीय राजनीति में एक कुशल नेता और जनता के प्रति समर्पित नेता का परिचय दिया है।