किसी भी राज्य में जब कोई नई सरकार बनती हैं तो सामान्यत: देखा गया है कि जनता में एक उत्साह होता है। प्रसन्नता होती है। उमंग होती है। हो भी क्यों न हो, नयापन सबको अच्छा लगता है। नए का सभी स्वागत करते हैं। परिवर्तन सभी पसंद करते हैं लेकिन मध्यप्रदेश में कुछ अलग ही नजारा है। नई सरकार को लेकर लोगों में उत्साह नजर नहीं आ रहा है। हां, शिवराज के जाने से भावुकता जरुर है। लोगों की आंखें नम हैं। शिवराज से मिलने आयीं महिला कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से शिवराज से आ-आकर लिपटकर रो रही थीं, जिसे देखकर आम आदमी की भी आंखें नम हो गईं।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री आवास में अपना आखिरी कार्यक्रम रखा था। इस कार्यक्रम के बाद वो मुख्यमंत्री आवास से अपने B-8/74 बंगले पर जाने वाले थे। इस दौरान अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी किया। इस मुलाकात में उन्होंने कहा, “कोई ये चिंता मत करना कि हमारा क्या होगा…मैं हूं ना, शिवराज सिंह चौहान…टाइगर अभी जिंदा है।” इस दौरान शिवराज ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस डोम (पंडाल) में ये मेरा आखिरी कार्यक्रम है। इतना सुनते ही वहां बैठी महिला कार्यकर्ता ऊंचे स्वर में बोल उठी, ”भैया, पांच साल बाद फिर आएंगे।” इस पर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा ”हो सकता है पांच साल भी पूरे न लगें।” इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”हर एक लंबी दौड़ या फिर ऊंची छलांग से पहले दो क़दम पीछे हटना पड़ता है।”
बता दें कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में बीजेपी बहुमत नहीं मिल सका था। 230 विधानसभा के इस चुनाव में कांग्रेस को 114 जबकि बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं। जिसके कारण शिवराज सिंह लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। इस तरह से मध्यप्रदेश की जनता ने अपना “मामा” खो दिया लेकिन मध्यप्रदेश की जनता को अपने शिवराज सिंह चौहान को खोने का बेहद मलाल और पश्चाताप है। अब आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर जनता अगर मामा को अभी भी पसंद करती है तो फिर मामा हारे कैसे। जनता ने वोट क्यों नहीं दिया। इसके लिए आपको बता दें कि इस मुद्दे पर हम इससे पहले ही विश्लेषण कर चुके हैं। उसमें भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा चुनाव को हल्के में लिए जाने से लेकर विपक्षियों द्वारा नोटा को रणनीति के तहत प्रचारित किया जाने जैसी तमाम बातें शामिल थीं।
हालांकि रात गई, बात गई वाली बात है। जो होना था, वो तो हो ही गया। यहां हम बात कर रहे थे मामा की विदाई में भावुक भीड़ के रोने की। आपको बता दें कि मामा ऐसे ही मध्यप्रदेश में लोकप्रियता के चरम पर नहीं हैं। यूं ही जनता किसी ऐरे-गैरे नेता के लिए नहीं रोती है।
दरअसल शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश की जनता के लिए काम भी बड़ी शिद्दत से किया था। शिवराज सिंह चौहान इतनी योजनाएं शुरू किए थे कि जनता शिवराज को सिर आंखों पर रखती थी। मध्य प्रदेश की जनता की मानें तो शिवराज सिंह चौहान के शासनकाल के दौरान जनता को जन्म से लेकर मृत्यु तक की योजनाओं का लाभ मिलता था। कई बार तो विरोधी तंज भी कसते थे कि शिवराज राज्य की जनता को आलसी बना दे रहे हैं लेकिन सच तो ये था कि शिवराज सरकार में योजना को लाभ केवल जरुरतमंदों को मिलता था।
यही नहीं, शिवराज ने किसानों की खेती से संबंधित तमाम योजनाएं, बच्चों को जन्म लेने ले लेकर, बड़े होने तक, युवाओं के लिए रोजगार, भत्ता, वृद्धा पेंशन, छात्राओं का पढ़ाई-लिखाई, विवाह, अल्पसंख्यकों के लिए तमाम योजनाओं ने जनता का दिल ही जीत लिया था। मुख्यमंत्री निकाह योजना के तहत 51 हजार रुपये, कृषि ऋण योजना के तहत 2 लोख रुपये, मुख्यमंत्री बकाया बिजली योजना के तहत बिजली बिलों को माफ करने जैसी तमाम ऐसी योजनाएं चौहान के ही शासन में शुरू हुई, जिसने जनता का दिल जीत लिया। इन सारी योजनाओं के इतर शिवराज ने अपने एमपी की जनता से भावनात्मक लगाव और जुड़ाव भी बनाया था। जनता उन्हें घर के मुखिया की तरह मानती थी।
यही कारण है कि शिवराज का जाना मध्यप्रदेश की जनता को खल रहा है। उनके जाने से जनता में मायूसी है, उदासी है। हमेशा सरकार बनने पर अन्य राज्यों में जनता नई सरकार को लेकर खुश रहती है, रोमांचित रहती हैं, उत्साहित रहती है लेकिन लोकतंत्र में शायद यह पहली बार ऐसा हुआ है, जब जनता पुराने नेता को खोने पर ‘इतना अधिक’ भावुक है।