उत्तर प्रदेश की भूमिका लोकसभा चुनाव में काफी अहम है क्योंकि केंद्र में किसकी सरकार होगी ये तय करने में प्रदेश की सीट काफी महत्वपूर्ण है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करना महत्वपूर्ण हो जाता है लेकिन तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में जीत के बावजूद कांग्रेस पार्टी को एक बड़ा झटका मिला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में आज 80 लोकसभा सीटों पर बसपा और सपा के बीच फार्मूला तय हो गया और कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इससे मुकाबला अब तीन तरफा हो गया है। खबरों की मानें तो इस गठबंधन की औपचारिक घोषणा मायावती के जन्मदिन पर हो सकती है।
मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक सूबे की 80 लोकसभा सीटों पर शेयरिंग फॉर्मूले तय हो गया है जिसमें सबसे ज्यादा सीटें बसपा के खाते में गयी हैं जबकि कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ दी गयी हैं। फॉर्मूले के तहत बसपा 37 और सपा 36 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही इस गठबंधन में कई छोटे दलों को भी शामिल किया गया है जिसके तहत रालोद-3, एसबीएसपी-1, निषाद पार्टी-1 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। इसकी औपचारिक घोषणा मायावती के जन्मदिन पर हो सकती है। इसका मतलब साफ़ है कि ये महागठबंधन कुल मिलाकर 78 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगा लेकिन इसमें कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं है। हां, कांग्रेस पार्टी के लिए महागठबंधन ने 2 सीटें जरुर छोड़ दी हैं और ये दो सीटें अमेठी और रायबरेली की हैं जहां से राहुल गांधी और सोनिया गांधी लोकसभा सदस्य हैं। ये कांग्रेस पार्टी के लिए तगड़ा झटका है क्योंकि कांग्रेस इस उम्मीद में थी कि उसे प्रदेश में क्षेत्रीय दलों का साथ मिलेगा लेकिन कांग्रेस को सपा और बसपा ने उसी की भाषा में जवाब दिया है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी वहां सपा और बसपा से गठबंधन के लिए मना कर दिया था जहां उसकी पकड़ मजबूत थी जिससे अखिलेश यादव और मायावती दोनों ही काफी नाराज हुए थे और ये नराजगी अभी भी बरकरार है।
वैसे इसके पीछे की वजह एक और हो सकती है। सपा और बसपा किसी भी सीट पर कांग्रेस के साथ नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति काफी खराब है। इसके अलावा 2017 के विधानसभा से सीख लेते हुए सपा ने कांग्रेस से दूरी बनाई हुई है। ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन में जाने से भी सपा और बसपा को कोई फायदा नहीं होगा। ऐसे में सपा और बसपा ने कांग्रेस को प्रदेश में ठेंगा दिखा दिया है। पहले भी यही खबर मीडिया में चर्चा में थी कि यदि प्रदेश में महागठबंधन होता है तो कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा नहीं होगी लेकिन सपा-बसपा उसके लिए दो सीटें छोड़ेंगी। अब ऐसा ही कुछ देखने को भी मिल रहा है। पिछले चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी भी अपनी रणनीति मजबूत कर रही है जिससे वो पिछले लोकसभा चुनाव में मिली जीत को दोहरा सके। ऐसे में प्रदेश में मुकाबला तीन तरफ़ा हो गया है। कांग्रेस राज्य में अलग थलग पड़ गयी है लेकिन फिर भी गठबंधन का राग अलाप रही है। ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव और भी ज्यादा दिलचस्प होने वाला है।