आजकल के नेता बात करते हैं लोकतंत्र की, संविधान की, मानवाधिकार की, न्याय की, नैतिकता की और सबसे बड़ी बात कि वो समानता की बात भी करते हैं। फिर भी ऐसा मालूम होता है जैसे वो ये सारी बातें दूसरों के लिए ही करते हैं क्योंकि जब नियम, कानून और समानता की बात आती है तो वो पीछे हट जाते हैं। आजकल ऐसा ही कुछ बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी कर रहे हैं।
दरअसल, राज्य सरकार ने उन्हें मिले सरकारी बंगले को खाली करने का आदेश दिया है। ये बंगला उप मुख्यमंत्रियों को दिया जाता है लेकिन अब गठबंधन टूटने के बाद से उप मख्यमंत्री नहीं हैं।ऐसे में अब उनसे वो सरकारी बंगला वापस लिया जा रहा है। अब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के पुत्र और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बंगला छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। इसके लिए वो तमाम तरह के बहाने बना रहे हैं।
बता दें कि, तेजस्वी यादव को 5 देशरत्न मार्ग में उप मुख्यमंत्रियों को दिया जाने वाला सरकारी बंगला आवंटित किया गया था। उस समय वो बिहार के उप मुख्यमंत्री पद पर थे। अब वो उपमुख्यमंत्री पद पर नहीं हैं। इस समय उप मुख्यमंत्री पद पर बीजेपी नेता सुशील मोदी है। यही कारण है कि सरकार ये बंगला सुशील मोदी को बंगला आवंटित कर दिया गया है। दूसरी ओर तेजस्वी यादव ये बंगला खाली करने को तैयार नहीं है।
तेजस्वी यादव का बहाना है कि हमें और हमारे परिवार को परेशान करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। अब उनसे कौन पूछे कि जनता के पैसों से बने सरकारी बंगले को खाली करने में आपके परिवार को कौन सी परेशानी आ जाएगी। अगर परेशानी आएगी भी तो वो आपकी व्यक्तिगत परेशानी होगी। इसके लिए आपको जनता की सम्पत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने का कोई अधिकार नहीं है।
तेजस्वी यादव का सरकारी बंगला खाली कराने के लिए पुलिस की टीम गई थी लेकिन वहां अलग ही नाटक शुरू हो गया और पुलिस को विरोध झेलना पड़ा। जिसके कारण उन्हें सरकारी बंगला खाली कराने की कार्रवाई रोकना पड़ी है। दरअसल, बंगला खाली कराने के विरोध में विधायक, नेता और कार्यकर्ता सभी तेजस्वी यादव के आवास के पास पहुंच रहे हैं। वो लोग आरजेडी समर्थक बंगला खाली कराने का लगातार विरोध कर रहे हैं। दरअसल, तेजस्वी यादव इस मुद्दे का इस्तेमाल पार्टी कार्यकर्ताओं का ध्यान पारिवारिक कलह और आंतरिक फूट से भटकाने के लिए भी कर रहे हैं। बता दें कि इस समय लालू यादव के दोनों बेटों के बीच राजनैतिक वर्चस्व को लेकर कड़ी और बड़ी दरार बन चुकी है। यही नहीं तेज प्रताप और उनकी पत्नी के बीच तलाक की कार्रवाई से भी यादव परिवार में काफी तनाव है।
सरकारी बंगला खाली करने के लिए इनकी नाटकबाजी देखकर उत्तर प्रदेश के पूर्वमुख्यमंत्री मुलायम यादव और अखिलेश यादव का नाटक याद आ गया। उस समय सुप्रीम कोर्ट की ओर से उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने के आदेश दिए गए थे। उसके बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम और उनके बेटे अखिलेश यादव उसे खाली करने का नाम नहीं ले रहे थे। बंगला खाली करने के बजाए वो इससे बचने के बहाने तलाशकर देश की शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने लगे थे।
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। उन्होंने बढ़ती उम्र और गिरती सेहत का हवाला देते हुए कोर्ट से बंगला खाली करने को लेकर रियायत देने की मांग की थी। मुलायम ने इसके लिए 2 साल तक का वक्त मांगा था। इस दौरान अपने लिए घर का इंतजाम करने की बात भी कही है। दूसरी तरफ मुलायम से पहले उनके बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी इस संबंध में कोर्ट चले गए थे। बंगला नहीं खाली करने के लिए उन्होंने अपनी सुरक्षा और बच्चों की पढ़ाई का सहारा लिया था। यही नहीं उन्होंने ये तक कहा था कि यूपी की योगी सरकार गंदी राजनीति के तहत उन्हें बंगला खाली करने के लिए मजबूर कर रही है। ठीक ऐसा ही कुछ अब तेजस्वी यादव भी कर रहे हैं उन्होंने सरकारी बंगला खाली न करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश को ही घेरना शुरू कर दिया है. उन्होंने नीतीश कुमार पर हमला करते हुए कहा, “नीतीश कुमार कुछ भी कर सकते हैं। नीतीश कुमार के पास खुद कई मकान हैं, पटना से लेकर दिल्ली तक मकान है, पहले वो मकान नीतीश कुमार खाली करें।“
ये सारी घटनाएं बताती हैं कि इन लोगों को बंगला खाली करने में कितनी समस्याएं होती हैं। ये लोग जनप्रतिनिधी होने के बहाने जनता के पैसों से ऐश करने में जरा सा भी संकोच नहीं करते हैं। बंगला सरकारी संपत्ती है। वो जनता के पैसों से बनी है लेकिन ये उसपर अपना निजी हक़ समझते हैं।