बिहार को पिछड़ा राज्य कहा जाता रहा है। इस राज्य को लेकर पूरे देश में यही मानसिकता है कि यहां न विकास न और न ही जनता के लिए रोजगार के अवसर। इसके अलावा और भी कई बातें इस राज्य को लेकर अक्सर सुनने को मिलती रही है लेकिन बिहार समय-समय पर अपना लोहा मनवाता रहा है। यूपीएससी की परीक्षा में अपना लोहा मनवा चुके बिहार ने एक बार फिर से देश को चौंका दिया है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्यों में विकास दर के मामले में बिहार टॉप पर रहा है। दरअसल, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में बिहार की विकास दर साल 2017-18 में 10 प्रतिशत के पार बताई है। यही नहीं, इस दौरान बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद यानी ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रॉडक्ट 11.3 प्रतिशत को पार कर गया है।
रिपोर्ट की मानें तो इस रैंकिंग में कुल 17 ऐसे राज्यों को शामिल किया गया है जो केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों (सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स डेटा) पर आधारित विभिन्न मापदंडों के अनुसार विशेष श्रेणी में नहीं आते हैं। इस रैंकिंग में बहुत छोटा राज्य होने के कारण गोवा को शामिल नहीं किया गया था।
इस रिपोर्ट में आंध्र प्रदेश दूसरे और गुजरात तीसरे पायदान पर रहा। वहीं अगर हम सबसे खराब प्रदर्शन की बात करें तो झारखंड, केरल और पंजाब का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। मतलब की इन राज्यों का जीडीपी कम रहा। रिपोर्ट की मानें तो गुजरात और कर्नाटक में उत्पादन के कारण विकास दर बढ़ा है। वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में भी उत्पादन बढ़ा है। मध्यप्रदेश के उत्पादन की बढ़ोत्तरी के पीछे मध्यप्रदेश में कृषि को इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है। इस रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के बारे में भी जिक्र किया गया है। पश्चिम बंगाल के पिछड़ने का कारण खनन जबकि झारखंड के पिछड़ेपन का कारण बिजली और अन्य सुविधाएं बताई गई हैं। बता दें कि इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इन राज्यों की जीडीपी में वृद्धि मुख्यत: ऐसे क्षेत्रों में हुई है, जिनमें सामान्यत: रोजगार के कम अवसर होते हैं।
ध्यान देने वाली बात ये है कि क्रिसिल की ये रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है, जब सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ने सिर्फ 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां समाप्त होने की बात कही है। वहीं, विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार से लेकर बिहार की नीतीश सरकार पर नौकरियां न देने का आरोप लगाती रही है युवाओं को बेरोजगार करने का आरोप लगा रही है। ऐसे में इस रिपोर्ट ने विपक्ष के दावों को भी निराधार साबित कर दिया है। क्रिसिल की रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि अधिकांश राज्यों में आर्थिक वृद्धि रोजगार सृजन के अनुकूल नहीं रही है। इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया कि 11 राज्यों में विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं जैसे रोजगार केंद्रित क्षेत्रों में राष्ट्रीय दर की तुलना में कम रफ्तार से वृद्धि हुई है।
ऐसे में इस रिपोर्ट में बिहार की जीडीपी ने उन सभी आलोचको और विपक्षियों के मुंह पर जोरदार चाटा है, जो अक्सर ही बिहार सरकार को घेरने और बिहार, बिहार के लोगों हमला करने का अवसर ढूंढते हैं। ये रिपोर्ट उन नेताओं और आलोचकों के मुंह पर तमाचा है, जो बिहार की नीतीश सरकार को ‘कुशासन’ बोल-बोलकर बदनाम करने में लगे रहते हैं। बिहार की कमान संभालने के बाद से ही नीतीश कुमार वहां विकास की दिशा में प्रयासरत हैं इसके साथ ही उन्हें केंद्र से भी पूर्ण सहायता मिल रही है।