मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का फैसला किया जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में इस बिल के पारित होने के बाद राष्ट्रपति ने अपने हस्ताक्षर कर इस पर अपनी मंजूरी भी दे दी। इस फैसले के साथ ही सालों से जिसकी मांग उठती रही है वो मोदी सरकार ने पूरा कर दिया जो पिछली सरकारें नहीं कर पायी थीं। ये ऐतिहासिक फैसला देश के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। विपक्ष ने भी सी फैसले का विरोध नहीं किया क्योंकि इसका विरोध कर वो सवर्ण विरोधी पार्टी का तमगा नहीं चाहती थीं लेकिन अब छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने इसे राज्य में फिलहाल लागू करने से मना कर दिया है।
एक हिंदी न्यूज़ पोर्टल की रिपोर्ट के अनुसार, छत्तीसगढ़ की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने गरीब सवर्णो को 10% आरक्षण नहीं देने की बात कही है। विधि विधायी और संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस मामले पर कहा कि ‘सवर्णों को आरक्षण की घोषणा पूरी तरह से भाजपा का चुनावी हथकंडा है। राज्य में नई आरक्षण व्यवस्था को लागू करने से पहले प्रदेश सरकार जमीनी स्तर पर पड़ताल करेगी। यहां दूसरे राज्यों के मुकाबले सामान्य वर्ग के लोगों की जनसंख्या कम है और अन्य राज्यों से यहां अलग स्थिति है। आदिवासी बाहुल्य राज्य में नई आरक्षण व्यवस्था की वजह से दूसरे जाति वर्गों में असंतोष उपज सकता है। ऐसे में सभी तरह की स्थितियों का आंकलन करने के बाद ही आरक्षण की नई व्यवस्था को यहां लागू किया जाएगा। फिलहाल इसपर मंथन चल रहा है।‘ इस बयान से छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार का रुख साफ़ है कि वो आरक्षण की व्यवस्था को फिलहाल लागू करने के मूड में नहीं है और इसे लागू न करने के लिए तरह तरह के बहाने ढूंढ रही है। वास्तव में गरीब सवर्णों के आरक्षण में सभी जातियों हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई के सवर्ण शामिल हैं। ऐसे में इसे लागू करने से गरीब सवर्णों को मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर मिलेगा। वैसे भी अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में आरक्षण का प्रावधान है ऐसे में इसे लागू करने से वो क्यों नाराज होंगे? वो नाराज नहीं भी होंगे तो ये कांग्रेस पार्टी जरुर उन्हें भड़काने का काम कर सकती है।
अपने इस फैसले से कांग्रेस ने एक बार फिर से जता दिया है कि उसके लिए सिर्फ वोट बैंक की राजनीति और सत्ता मतलब रखती है न कि जनता का हित। इससे न सिर्फ इस पार्टी की गंदी राजनीति सामने आई है बल्कि सवर्ण विरोधी रुख भी सामने आ गया है। ये वही पार्टी है जिसने कभी भारतीय जनता पार्टी को सवर्ण विरोधी कहा था।
गरीब सवर्णों को मुख्यधारा से जोड़ने और उनके सामाजिक आर्थिक विकास के मकसद से केंद्र सरकार ने 10 फीसद आरक्षण की घोषणा की थी। लोकसभा और राज्य सभा में इस बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दे दी। वहीं गुजरात इस10 फीसद आरक्षणको लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है जबकि झारखंड दूसरा राज्य बन गया है लेकिन छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार इसे लागू करने से डर रही है कि कहीं भारतीय जनता पार्टी को इससे चुनावों में फायदा न मिल जाए।
इसी कांग्रेस पार्टी ने 2014 के अपने घोषणापत्र में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का समर्थन करने की बात कही थी लेकिन उसने इस आरक्षण के मसले को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया था।
अब जब मोदी सरकार ने ये ऐतिहासिक कदम उठाया है तो छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार इस कदम का विरोध कर रही है। इस पुरानी पार्टी ने संसद के अंदर तो इस आरक्षण को लेकर अपना समर्थन दिया था लेकिन, जब बात आयी पार्टी द्वारा शासित राज्यों में उसे लागू कराने की तो ये पार्टी बेतुके तर्क देकर अपने शासित राज्यों में लागू नहीं करने की बात कर रही है जिससे इस पार्टी का दोहरा रुख भी सामने आ गया है।
इस मामले पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक ने प्रदेश सरकार के रुख पर हमला करते हुए कहा कि सवर्णों को आरक्षण किसी एक राज्य का मसला नहीं है। गरीब सवर्णों की स्थिति पूरे देश में एक जैसी है ऐसे में उन्हें बराबरी पर लाने के लिए हर राज्य को ये व्यवस्था अपनानी चाहिए क्योंकि ये देश के गरीब सवर्णों की जरूरत है। ऐसे में इसपर राजनीति करने की बजाय इसपर अमल किया जाना ज्यादा जरुरी है।