आज फिर ई.वी.एम. से चुनाव कराने पर सवाल उठाये जा रहे हैं। सवाल यह है कि सवाल कौन उठा रहा है, उसके पीछे का षडयंत्र क्या है? पर्दे के पीछे लोग या पार्टी कौन है? सवाल यह कि कोई भी जिसकी कोई पहचान नही, जिसके पास अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए कोई तथ्य नहीं आधार नहीं, विश्व के सबसे बडे लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए एक प्रश्न उछालो और फिर भाग जाओ।
जब अपने पसंद का निर्णय न आए तो देश की सवैंधानिक संस्थाओं की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाओ चाहे वो उच्चत्तम न्यायालय हो, चुनाव आयोग हो या संसद हो।
एक अमरीकी हैकर दावा करता है ई.वी.एम. हैकिंग का, 2014 के आम चुनाव में भी ई.वी.एम. से छेड़छाड़ हुई, उस समय सरकार किसकी थी? 2018 के पाँच राज्यों के चुनाव में छेड़-छाड़ की बात नहीं करते, 21 जनवरी 2019 की लंदन की प्रैस कॉन्फ्रेस में कोई ठोस तथ्य नहीं दे पाते, अपनी बात को साबित नहीं कर पाते। कपिल सिब्बल के वहाँ उपस्थित होने से, देश को विश्व में बदनाम करने के पीछे कौन है यह बात साफ पता लगती है।
जब चुनाव आयोग सभी दलों को सार्वजनिक रूप से ई.वी.एम. में कोई भी गलत बात को साबित करने के लिए बुलाता है तब ई.वी.एम. को गलत कहने वाला दल सामने नही आता। लंदन में उपस्थित लोगों में से भी कोई नही आता और न ही किसी विश्व स्तरीय हैकर को लाता है। ‘‘हंगामा खडा करना इनका मकसद है देश की तस्वीर चाहे कुछ भी हो।’’
देश शांत कैसे है? उथल-पुथल क्यों नही है, देश में झगड़े क्यों नही हैं, ऐसे लोगों को इसी बात की चिंता है। मायावती और अखिलेश यादव भी मत पत्र से चुनाव कराने की वकालत कर रहे हैं, जब उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने सरकार बनाई जब भी ई.वी.एम. ही थी।
केरल में राजनीतिक हत्याओं और पं. बंगाल में चुनावों में हिंसा जैसे माहोल के बीच, अगर ऐसे प्रदेशों में ई.वी.एम. नहीं होगी और मत पत्र से चुनाव होगा तो, लोकतंत्र में विश्वास न रखने वाले अराजक तत्वों के लिए मदतान में बाधा डालना आसान हो जाएगा। यही कारण है कि, ‘ई.वी.एम. हटाओ मत पत्र लाओ’ का नारा यह लोग दे रहें है।
कुछ अराजक तत्व देश की जनता के जनादेश का अपमान कर रहे है। उस देश की जनता का जनादेश जिस देश के मतदाताओं की संख्या 70 छोटे-बडे देशों की जनसंख्या से भी अधिक है। अपराधिक मामला केवल सयैद शुजा के खिलाफ दर्ज करने से काम नहीं चलेगा, उन लोगों के खिलाफ भी दर्ज होना चाहिए जो पीछे से इस षंडयंत्र को रच रहें हैं। ई.वी.एम. हैकिंग का विषय बार-बार उछालने के पीछे की मंशा केवल और केवल जनता के मन में संदेह और अविश्वास पैदा करना है, देश में अंशाति पैदा करना है और कुछ नही।