हाल ही में एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के सबसे विश्वसनीय देशों की श्रेणी में आया है। यह रिपोर्ट एडलमैन की ट्रेस्ट बैरोमीटर-2019 द्वारा किया गयी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह सर्वे रिपोर्ट सरकार के कामकाज, गैरसरकारी संस्थानों के कामकाज, मीडिया की विश्वसनीयता और बढ़ते कारोबार के मामले में लोगों से उनके मत के आधार पर तैयार की गयी था। इस रिपोर्ट ने भारत को दुनिया में एक अच्छी पहचान दिलाई है। इस सर्वे में दुनियाभर के 27 क्षेत्रों को शामिल किया गया था। इस सर्वे रिपोर्ट ने भारत को विश्वसनीयता के मामले में विश्व के शीर्ष देशों में जगह दी है।
हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक कारोबारी ब्रांडों की विश्वसनीयता के मामले में अभी भी भारत को बेहतर करने की जरूरत है। इस रिपोर्ट को एडलमैन की ट्रस्ट बैरोमीटर-2019 ने तैयार किया है। हाल ही में जारी इस नई रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने जागरूक जनता और सामान्य आबादी के भरोसा सूचकांक में अपनी अलग पहचान बनाई है।
बता दें कि एडलमैन की ट्रस्ट बैरोमीटर-2019 रिपोर्ट उस वक्त आई है, जब विश्व आर्थिक मंच का सालाना सम्मेलन शुरू होने जा रहा है। इस रिपोर्ट में भारत ने वैश्विक विश्वसनीयता सूचकांक में तीन अंकों का सुधार किया है। तीन अंक के हल्के सुधार के साथ यह 52 अंक पर पहुंच गया है। जागरूक जनता और सामान्य आबादी के भरोसा सूचकांक में चीन पहले स्थान पर है। चीन के इस मामले में क्रमश: 79 और 88 अंक हैं।
हालांकि भारत और चीन का अंतर बहुत ज्यादा नहीं है। भारत थोड़ा सा सुधार करके इस अंतर को खत्म कर सकता है। इन दोनों श्रेणियों में भारत दूसरे और तीसरे स्थान पर मौजूद है। बता दें कि ये आंकड़े और सूचकांक एनजीओ के कामकाज, कारोबार की गति, सरकार के भरोसे और मीडिया की ताकत को पैमाना बनाने के बाद उनके औसत पर निकाला गया है। इस सर्वेक्षण को 27 बाजारों में ऑनलाइन किया गया था। इस सर्वेक्षण में कुल 33,000 से अधिक लोगों के जवाब शामिल किए गए हैं। बता दें कि ब्रांड की विश्वसनीयता के मामले में स्विटजरलैंड, जर्मनी और कनाडा का स्थान आता है। इसके बाद जापान का स्थान आता है।
हाल ही में आई यह रिपोर्ट भारत के लिए बहुत मायने रखती है। इससे भारत की वैश्विक साख तो बढ़ेगी ही, इसके अलावा यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ मुहीम के लिए भी एक शुभ संकेत है। हाल ही में आई यह रिपोर्ट भारत के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि दुनिया का भारत के प्रति विश्वास और भी बढ़ेगा। इससे विदेशी कंपनियां भारत में उत्पादन करने की दिशा में और अधिक रुचि लेंगी। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और युवाओं को रोजगार मिलेगा।