अक्सर सुर्खियों में रहने वाले और वामपंथी विचारधारा का गढ़ बताए जाने वाले जेएनयू यानी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्याल में अब धीर-धीरे राष्ट्रप्रेम व राष्ट्रवादी गतिविधियां होने लगी हैं। साल 2019 में यह ये और भी रफ्तार लेने वाली हैं। इस साल यहां वैदिक वर्कशॉप और रामलीला प्रदर्शनी जैसे आयोजन भी होने वाले हैं। दरअसल, जेएनयू अपनी स्थापना के 50 साल पूरा करने जा रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना के 50 वर्ष पूरा होने पर यहां काफी उत्साह है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस अवसर पर होने वाले आयोजनों का खाका तैयार कर लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन इस अवसर को ‘अनेकता में एकता’ थीम पर मनाने जा रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि, हम इस अवसर को स्वर्ण जयंती की तरह मनाएंगे और इसमें पूरे साल कार्यक्रम आयोजित होंगे। प्रशासन इसे तरह-तरह की सांस्कृतिक गतिविधियों, खेल गतिविधियों, गीत-संगीत व कई तरह के अन्य आयोजनों के माध्यम से मनाएगा। इस दौरान प्रशासन जेएनयू की उपलब्धियों को भी दर्शाएगा। इन जानकारियों को जेएनयू की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया है।
सूत्रों की मानें, तो इस उत्सव की शुरूआत राष्ट्रीय युवा दिवस यानी 12 जनवरी से होगी। बता दें कि, 12 जनवरी को हिंदू धर्म और युवाओं के प्रेरणाश्रोत स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस मनाया जाता है। आयोजनों में प्राचीन लिपियों पर वैदिक कार्यशाला भी आयोजित की जानी है। यही नहीं, इस दौरान ‘भारतीय परंपराओं और संस्कृति’ पर आधारित डॉक्यूमेन्टरी भी दिखाई जाएगी।
आयोजनों की श्रंखला में फरवरी में रविन्द्र नाथ टैगोर की प्रदर्शनी, मार्च में जैन संगीत उत्सव, अप्रैल में रामलीला प्रदर्शनी और अगस्त में ओडिसी नृत्य व रंगमंच पर एक कार्यशाला होगी। विश्वविद्यालय के रेक्टर सतीश चंद्र गड़कोटी ने पत्रकारों से बताया कि, विश्वविद्यालय नोबेल पुरस्कार विजेताओं को भी बुलाने की योजना बना रहा है। उन्होंने बताया, “यह विश्वविद्यालय उन नोबेल पुरस्कार विजेताओं को बुलाने की योजना बना रहा है, जो उत्सव में भाग लेकर स्टूडेंट्स को व्याख्यान भी देंगे”। सूत्रों की मानें तो समारोहों के विवरण के लिए विश्वविद्यालय में पैनल का गठन किया गया है।
बता दें कि, विश्वविद्यालय की स्थापना 22 अप्रैल 1969 को हुई थी। इस साल विश्वविद्यालय अपने 50 साल पूरी करने जा रहा है। जिसे लेकर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं समेत पूरे विश्वविद्यालय परिवार में काफी उत्साह है। इसी को ध्यान में रखकर इस आयोजन को साल भर चलाने का निर्णय लिया गया है। कभी वामपंथियों का गढ़ रहा जेएनयू अब पारंपरिक रूप से भारतीय संस्कृति की ओर बढ़ रहा है। जेएनयू में होने वाली वैदिक वर्कशॉप जैसी तमाम सांस्कृतिक गतिविधियां बताती हैं कि, अब वहां देश विरोधी शक्तियां टूट चुकी हैं। यह पूरे जेएनयू समेत पूरे देश के लिए सकारात्मक संकेत है।