बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव व मध्य प्रदेश में पार्टी के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक ऐसा बयान दिया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में तूफान मचा हुआ है। विजयवर्गीय ने कहा है कि, जिस दिन बॉस का इशारा हो जाए, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पांच दिन में गिरा देंगे।
कैलाश विजयवर्गीय ने यह बात बुधवार शाम इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि, “आपको घबराने की जरूरत नहीं है। यह सरकार हमारी कृपा से चल रही है। जिस दिन बीजेपी आलाकमान को छींक भर आ गयी, उसी दिन मध्य प्रदेश में भाजपा फिर से सत्ता में आ जायेगी।” उन्होंने कहा कि, बस जिस दिन ‘बॉस’ का इशारा हो जाए, मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पांच दिन में गिरा देंगे। कैलाश विजयवर्गीय ने आगे कहा कि, हालिया विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के फैलाए गए भ्रम जाल की वजह से प्रदेश में वोट थोड़ा इधर-उधर चला गया, लेकिन हमें निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। विजयवर्गीय ने भाजपा कार्यकर्ताओं को ढांढ़स बंधाते हुए कहा, “प्रदेश हमारे हाथ से चला गया, कोई बात नहीं। प्रदेश कभी भी वापस हमारे पास आ जाएगा। जिस दिन दिल्ली वालों को केवल एक छींक आ जाएगी, उसी दिन प्रदेश में हमारी सरकार बन जाएगी।”
इसके अलावा बीजेपी महासचिव ने कांग्रेस पर जनता को धोखा देकर वोट लेने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि, कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के दौरान अपने घोषणा पत्र में जो वादे किए हैं, उनको पूरा करने के लिए सरकार के पास बजट ही नहीं है। विजयवर्गीय के इस बयान पर कांग्रेस पार्टी ने भी पलटवार किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि, बीजेपी लगातार कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए विधायकों को खरीदने की कोशिश कर रही है।
बता दें कि, कुछ दिनों पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिरने की चर्चाएं हो रही थीं। भारतीय जनता पार्टी और पूर्व सीएम शिवराज सिंह द्वारा भी पांच साल पूरे होने से पहले ही राज्य में वापसी करने की बातें कही जा रही थीं। राजनीतिक गलियारों में सरकार के अस्थिर होने की चर्चा ने तब जोर पकड़ लिया था, जब मंत्रिमंडल की घोषणा के साथ ही सभी निर्दलीय व छोटी पार्टियों के विधायकों ने एक साथ मीटिंग की थी। बताया जा रहा था कि, ये सभी विधायक एक हो गए हैं। बता दें कि, वर्तमान सरकार के सहयोगी इन विधायकों द्वारा गुपचुप तरीके से की गई मीटिंग के चलते सूबे में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर ये विधायक कोई बड़ा फैसला करते हैं तो कांग्रेस सरकार अस्थिर हो सकती है।
बता दें कि, राज्य में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। इस विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस को 114, बीजेपी को 109, बसपा को 2, सपा को 1 व निर्दलियों को 4 सीटें मिली हैं। किसी भी पार्टी को 116 का जादूई नंबर ना मिलने से यहां अन्य ने सराकर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गौरतलब है कि, पहले मुख्यमंत्री के नाम पर पार्टी आलाकामन को काफी कसरत करनी पड़ी थी। जैसे-तैसे वरिष्ठ नेता कमलनाथ का नाम तय हुआ तो सिन्धिया गुट नाराज होकर दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन करने पहुंच गया। किसी तरह सिन्धिया को मनाया गया तो लडाई मंत्री मंडल में अपने अपने खास लोगों को प्रभावशाली पद दिलवाने की शुरु हो गयी। अब निर्दलियों समेत सपा व बसपा विधायकों की बैठक और मंत्री पद नहीं मिलने से कांग्रेस के विधायकों की नाराजगी मध्यप्रदेश में पार्टी पर भारी पड़ सकती है। मध्यप्रदेश के इन सब राजनीतिक हालातों को देखें तो कैलाश विजयवर्गीय के बयान में कहीं न कहीं वजन जरूर हो सकता है।