बसपा प्रमुख मायावती के जन्मदिन पर उनका भतीजा आकाश आनंद खूब चर्चा में रहा और सभी उसे मायावती के उत्तराधिकारी बता रहे थे। कुछ न्यूज चैनल्स ने तो स्पेशल एडिसोड भी दिखाए जिससे बसपा सुप्रीमों मायावती नाराज हो गयीं। ये नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्होंने गुरुवार को ये घोषणा कर दी कि उनका भतीजा आकाश आनंद बसपा के अगले उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें वो एक मौका जरुर देंगी।
दरअसल, गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को राजनीति में लाने पर कहा कि “जैसे को तैसा जवाब देने के क्रम में अब मैं आगे अवश्य ही श्री आकाश को बसपा मूवमेंट से जोड़कर, उसे सीखने का अवसर अब मैं जरुर प्रदान कर दूंगी। ये सोच रहे हैं कि मैं किनारे कर दूंगी लेकिन मैं मान्यवर श्री कांशीराम जी की शिष्य हूँ। इसीलिए जैसे लो तैसा के क्रम में जवाब जरुर दूंगी।”
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष पार्टी के उत्तराधिकारी को लेकर लंबे समय से परेशान हैं। जब आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा था तब भी वो उत्तराधिकारी को लेकर चिंतित थीं कि उनकी गैर मौजूदगी में कौन पार्टी संभालेगा। आज स्थिति अलग है लेकिन फिर भी उन्हें इसकी चिंता है कि उत्तराधिकारी किसे बनाया जाये। अब जब उनके भतीजे को लेकर इस तरह की खबरें उड़ने लगीं तो उन्होंने ‘जैसे को तैसा’ बोलकर ओने भतीजे को सक्रिय राजनीति से जोड़ने की घोषणा कर दी। ऐलान करते हुए भी मायावती ने विरोधियों पर निशाना भी साधा। इस दौरान मायावती ने बीजेपी पर सीबीआई और आयकर विभाग के दुरूपयोग का आरोप भी लगाया और पार्टी पर परिवारवाद का आरोप लगाए जाने पर सफाई भी दी।
बता दें कि मायावती ने हाल ही में अपने छोटे भाई आनंद से पार्टी का उपाध्यक्ष का पद छीना था लेकिन और अब उसी छोटे भाई के बेटे आकाश आनंद को लेकर वो चर्चा में हैं। दरअसल, छोटे भाई से पद छिनकर मायावती ये संदेश देना चाहती थीं कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य उनकी विरासत नहीं संभालेगा। अब आनंद प्रकाश को उत्तराधिकारी नियुक्त करने की घोषणा के बाद उनपर फिर से परिवारवाद का आरोप लगने लगा है फिर भी बसपा सुप्रीमों सभी आरोपों को नकार रही हैं। हालांकि, जिस तरह से बसपा सुप्रीमों अपने भाई और भतीजे को पार्टी से जोड़ने के प्रयास किया उससे सवाल उठने तो लाजमी है कि वो अब पार्टी की बागडोर अपने सगे संबंधियों को देना चाहती हैं।
ऐसा लगता है कि कांग्रेस और सपा जैसी पारिवारिक पार्टियों से गठबंधन करने के बाद इन पार्टियों से इतनी प्रभावित हुईं कि अब बसपा को भी पारिवारिक पार्टी बनाने की कोशिशों में जुट गयी हैं। राजनीति में परिवारवाद वैसे भी कोई नयी बात नहीं है और कांग्रेस तो इसकी जननी कही जाती है, चाहे वो सपा का यादव परिवार हो या राजद के मुखिया लालू प्रसाद यादव हो जिन्होंने पार्टी की कमाना भी अपने बेटे को थमा दी है।
हालांकि, इस सच को भी कोई नहीं नकार सकता कि मायावती जो कहती हैं वो जरुरी नहीं कि वैसा करे भी क्योंकि वो अपनी शर्तों पर जीती हैं। अगर कोई उनके मन मुताबिक नहीं चलता तो वो ऐसे लोगों को दरकिनार करने में भी देरी नहीं। अपने छोटे बाई को उपाध्यक्ष के पद से हटाकर उन्होंने ऐसा जता भी दिया। वो ऐसा उत्तराधिकारी ढूंढ रही हैं जो उनके मनमुताबिक चले। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या बसपा सुप्रीमों को आकाश आनंद को पार्टी का उत्तराधिकारी बनाकर बहुजन समाज पार्टी को भी एक पारिवारिक पार्टी बनाएंगी या फिर एक नए उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगी।