चुनाव नजदीक आते ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी की जनता याद आने लगती है। चुनाव बीतने के बाद फिर से वो उस जनता को भूल जाते हैं। कई बार तो चुनावी रैली के बाद विदेश घूमने निकल जाते हैं। ये सबकुछ जनता देखती रहती है। यही कारण है कि चुनाव समय में जनता भी राहुल गांधी को बता देती है कि आप केवल हमारा वोट लेने के लिए हमें याद करते हैं तो हम भी बेवकूफ नहीं हैं। ऐसा ही कुछ अमेठी की जनता ने जवाब दिया। चुनाव प्रचार के लिए अमेठी पहुंचे राहुल गांधी को जनता के विरोध का सामना करना पड़ा। यहां स्थानीय नागरिकों और नाराज किसानों ने उनका जमकर विरोध किया। इसी दौरान किसानों ने ‘वापस इटली जाओ’ के नारे भी लगाये।
दरअसल, लोकसभा चुनाव का आगाज हो चुका है। ऐसे में हर नेता जनता की ओर रुख कर रहे हैं। इसी क्रम में राहुल गांधी को भी अपने संसदीय क्षेत्र की जनता की याद आ गई। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार को संसदीय क्षेत्र अमेठी की ओर निकल गये। अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष ने कई जगहों का दौरा किया लेकिन वो जनता पर अपना जादू चलाने में पूरी तरह से नाकाम रहे। इस दौरे पर राहुल गांधी को जनता के कड़े विरोध का सामना भी करना पड़ा।
दरअसल, लखनऊ से सड़क मार्ग से होते हुए राहुल गांधी नहर कोठी स्थित शहीद स्मारक स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद उन्होंने उत्सव लीला लॉन फुरसतगंज में तिलोई विधानसभा के ग्राम प्रधानों के साथ बैठक भी की लेकिन यहां भी उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। दो दिवसीय दौरे पर आए राहुल गांधी परैया नमकसार गांव से होते हुए गौरीगंज कलेक्ट्रेट में अधिवक्ता संघ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल हुए। यहां से होते हुए राहुल मुसाफिरखाना के धरौली गांव में पूर्व ब्लाक प्रमुख के घर शोक संवेदना व्यक्त करने भी पहुंचे। इसी दौरान जब राहुल गांधी अमेठी जिले के गौरीगंज में पहुंचे तो किसानों ने ‘वापस इटली जाओ’ के नारे लगाये।
दरअसल, राहुल गांधी कलेक्ट्रेट में बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे लेकिन पहले से नाराज किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध शुरू कर दिया। इस दौरान भारी मात्रा में किसान जुट गए। वहां बैरीकेटिंग लगाकर पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। नाराज किसानों ने बैरीकेटिंग तोड़ते हुए तिराहे की तरफ बढ़ने का प्रयास किया। विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया। इसके बाद स्थानीय लोगों और किसानों ने नारेबाजी शुरू कर दी। स्थानीय लोगों ने सड़क पर बैठकर रोड तक जाम कर दिया। यही नहीं, किसानों और क्षेत्रवासियों ने राहुल गांधी के आने के रास्ते की तरफ बढ़कर उनका काफिला रोकने का प्रयास भी किया। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने न्यूज़ एजेंसी से बातचीत में कहा कि, “हम राहुल गांधी से बेहद निराश हैं। उन्हें वापस इटली चले जाना चाहिए। वहां यहा रहने के लायक नहीं हैं। राहुल गांधी ने हमारी जमीन हड़प ली है।” किसानों ने सम्राट साइकिल फैक्ट्री के बाहर प्रदर्शन किया। बता दें कि किसान विरोध प्रदर्शन उसी सम्राट साइकिल फैक्ट्री के पास कर रहे थे जिसका शुभारंभ राजीव गांधी ने किया था। अपनी यात्रा के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी ओर से पूरा प्रयास किया कि जनता के दिलों में जगह बनाई जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ विरोधी स्वर सुनने को मिले हैं। साल 2017 में जब राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने थे तब अमेठी के गौरीगंज के कौहार स्थित सम्राट साइकिल फैक्ट्री के बाहर किसानों ने सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन किया था और राहुल गांधी से अपनी जमीन को वापस करने की मांग की। दरअसल, साल 1980 में एक कंपनी को चलाने के लिए कौसर के औद्योगिक क्षेत्र में करीब 65.57 एकड़ से ज्यादा जमीन जैन ब्रदर्स ने ली थी। अमेठी में सम्राट साइकिल फैक्ट्री लगाने के लिए कई किसानों ने राजीव गांधी के कहने पर अपनी जमीन दी थी। उस वक्त किसानों से ये वादा किया गया था कि उन्हें जमीन के बदले मुआवजा मिलेगा जो उन्हें आज तक नहीं मिला। इसके साथ ही उन्हें सम्राट साइकिल फैक्ट्री में नौकरी भी मिलेगी लेकिन ये कंपनी 2 साल बाद कंपनी बंद हो गई और कई लोग बेरोजगार हो गये। जिन किसानों के हितों के लिए कांग्रेस पार्टी दावे करती है उसकी वास्तविकता ये मामला बयां करता है। यही वजह है कि अमेठी के किसान कांग्रेस पार्टी से काफी नाराज है।
कुल मिलाकर अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी के भ्रमण पर निकले राहुल गांधी के दौरे की शुरूआत बहुत खट्टी रही। जनता से उन्हें प्यार व स्म्मान नहीं मिला और उन्हें विरोध भी झेलना पड़ा। ये घटना राहुल गांधी के लिए आने वाले चुनाव के तहत शुभ संकेत नहीं है। ऐसा लगता है कि इस बार राहुल गांधी शायद अपनी ये सीट भी बचा पाने में सक्षम नहीं है और अगर ऐसा होता है तो ये कांग्रेस के लिए अपने ही गढ़ में बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष गांधी परिवार के गढ़ अमेठी की साख बचा पाते हैं या नहीं।