संसद में शीतकालीन सत्र में राफेल डील को लेकर बहस आज भी जारी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर एक के बाद एक आरोप लगाये और उनके हर आरोपों के जवाब बीजेपी ने तथ्यों के साथ दिया। अरुण जेटली और हमीरपुर के लोकसभा सांसद अनुराग ठाकुर ने तो अपने जवाबों से कांग्रेस की बोलती ही बंद कर दी थी। पिछले एक हफ्ते से संसद में राफेल डील को लेकर चल रही बहस में राहुल गांधी सरकार को कटघरे में खड़ा करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं लेकिन सरकार भी हर एक आरोपों का जवाब दे रही है। रविवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को एक लाख करोड़ रुपए का सरकारी ऑर्डर देने के मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच बहस हुई। इस दौरान रक्षा मंत्री ने जरुरी दस्तावेज पेश कर राहुल गांधी की बोलती बंद कर दी।
इससे पहले गांधी ने एक ट्वीट में कहा था कि, “जब आप झूठ बोलते हैं, तो उसके समर्थन में आपको और झूठ बोलने पड़ते हैं। राफेल पर प्रधानमंत्री के झूठ का बचाव करने के लिए रक्षा मंत्री ने संसद में झूठ बोला।” उन्होंने आगे कहा, “कल रक्षा मंत्री ने संसद में एचएएल को एक लाख करोड़ रुपये का ऑर्डर देने का दस्तावेज पेश करें या इस्तीफा दें।”
दरअसल, टाइम्स और इंडिया ने एक खबर प्रकाशित की थी। इस खबर में एचएएल प्रबंधन के वरिष्ठ अधिकारी को उद्धृत करते हुए दावा किया गया है कि ‘‘एचएएल के पास एक लाख करोड़ रुपये में से एक भी रुपया नहीं आया है। दावे के विपरीत अब तक एक भी ऑर्डर पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं।’’ हालांकि, इस खबर में ये भी कहा गया है कि “लोकसभा के रिकार्ड में निर्मला सीतारमण ने ये दावा नहीं किया कि आर्डर पर हस्ताक्षर हो गये बल्कि कहा कि इनपर काम चल रहा है।” इसके बावजूद राहुल गांधी ने आर्टिकल के कुछ हिस्से को ही ट्वीट किया जो उनके मतलब का था जिससे वो जनता को गुमराह करने में सफल हो सकें।
राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद निर्मला सीतारमण के दफ्तर ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘ राहुल गांधी को A B C शुरू करना चाहिये और इस पर टिप्पणी करने से पहले उन्हें पूरी रिपोर्ट पढ़ने की जरुरत है।” उन्होंने आगे कहा, “शर्म की बात है कि कांग्रेस अध्यक्ष राष्ट्र को गुमराह कर रहे हैं। एचएएल ने 2014 से 2018 के बीच 26,570।8 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं और 73,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों पर हस्ताक्षर होने हैं। क्या राहुल गांधी सदन के पटल से देश से माफी मांगेंगे ?”
इस बार झूठी खबर फैलाने के लिए सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष ही नहीं बल्कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया भी जिम्मेदार है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने एचएएल द्वारा किये गये दावों को फ्रंट पेज पर प्रकाशित करने के साथ उसे हाईलाइट भी किया लेकिन रक्षा मंत्री द्वारा दिए गये बयान को हाईलाइट नहीं किया जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘इसपर अभी काम चल रहा है’।
ऐसा लगता है कि, लेफ्ट लिबरल मीडिया विपक्ष का सहयोग कर रही है खासकर कांग्रेस के साथ मिली हुई है और इस पार्टी द्वारा बनावटी खबरों को बढ़ावा दे रही है। लेफ्ट लिबरल मीडिया का कांग्रेस के लिए प्यार अभी भी कम नहीं हुआ तभी तो बिना तथ्यों की गहराई में जाए राहुल गांधी द्वारा फैलाए जा रहे झूठ को भी बढ़ा चढ़ा कर दिखाया जा रहा है।
राहुल गांधी खुलेआम पूरे आत्मविश्वास के साथ झूठ बोल रहे हैं उस झूठ का पर्दाफाश करने की बजाय मीडिया भी शर्मनाक तरीके से इसे बढ़ावा दे रहे हैं।
राहुल गांधी ने पहले दावा किया था कि मोदी सरकार ने अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस कंपनी को 30,000 करोड़ का फायदा पहुंचाया है। जबकि रक्षा मंत्रालय और दसॉल्ट एविएशन के मालिक ने बार बार ये स्पष्टीकरण दिया है कि पूरी डील ही 30,000 करोड़ की है और दसॉल्ट एविएशन ने अपनी मर्जी से अनिल अंबानी की कंपनी को अपना पार्टनर चुना है इसमें केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं रही है। यही नहीं दसॉल्ट द्वारा ऑफसेट सौदे के लिए हुए हस्ताक्षर में सिर्फ अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेंस की कंपनी ही नहीं थी बल्कि अन्य 11 और कंपनियां शामिल थीं।
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को ‘भ्रष्ट व्यक्ति’ कहते हुए ये आरोप भी लगते रहे हैं कि उन्होंने 36 लड़ाकू विमानों की खरीद में अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया है।
राहुल गांधी का ये बयान बहुत बड़ा झूठ साबित हुआ। वास्तव में सरकार ने 36 लड़ाकू विमानों का सौदा 60 हजार करोड़ रुपये में किया था। भारत की रक्षा खरीद नीति के मुताबिक दसॉल्ट भारत में सिर्फ 50 प्रतिशत ऑफसेट का दायित्व रखता है। इसलिए राफेल एयरक्राफ्ट का उत्पादन करने वाली दसॉल्ट एविशन कंपनी को भारत में 30,000 करोड़ रुपये का निवेश करना पड़ा। इसके साथ ही इस डील में रिलायंस डिफेंस को सिर्फ 10 प्रतिशत ही दिया गया था, जो कि 3,000 करोड़ रुपये ही है। जबकि राहुल गांधी ने 36 लड़ाकू विमानों की खरीद में ऑफसेट डील के तहत अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ है। हालांकि, राहुल गांधी जो रकम बता रहे हैं वो अंबानी के साथ हुए वास्तविक डील से दस गुना अधिक है। बार बार गलत साबित होने के बाद भी राहुल गांधी शर्मनाक तरीके से एक झूठ को दोहरा रहे हैं।