उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जब सत्ता में आने के बाद कुछ स्थानों और योजनाओं का नाम बदला था तब मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक लोगों की नकरात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। लेफ्ट लिबरल गैंग से लेकर मीडिया तक योगी आदित्यनाथ की आलोचना में व्यस्त थे। मीम बनाये जा रहे थे, योगी सरकार को ट्रोल किया जा रहा था। कांग्रेस जमकर इसका विरोध कर रही थी। चाहे वो मुगलसराय स्टेशन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने का फैसला हो या इलाहाबाद के नाम को पुनः स्थापित कर प्रयागराज करने का फैसला हो। सभी ने जमकर विरोध किया लेकिन अब जब राजस्थान की कांग्रेस सरकार योजनाओं के नाम बदल रही है तो इसपर किसी को कोई आपत्ति नहीं है और यहां तक कि उन्हें नाम बदलने से कोई फर्क भी नहीं पड़ता है।
बता दें कि राजस्थान की सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने सरकारी योजनाओं के नाम बदलने का काम शुरू कर दिया है और अब एक के बाद एक योजनाओं का नाम बदल रही है। कांग्रेस की सरकार हर उस योजना का नाम बदल रही है जो जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर हैं। अब राजस्थान में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के आगे से पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम हटाकर मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया है। इससे पहले राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सभी सरकारी दस्तावेजों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटवाने का आदेश दे दिए थे। यही नहीं अटल सेवा केन्द्र के नाम में भी राजीव गांधी का नाम जोड़ने की बात कही तब भी लेफ्ट लिबरल गैंग चुप था। वसुंधरा राजे की फोटो लगी भामाशाह योजना को बंद करने की बात कही तब भी न विपक्षी दलों ने ऐतराज जताया और न ही लिबरल गैंग ने कुछ कहा लेकिन जब योगी सरकार ने समाजवादी पार्टी की कुछ योजनाओं को घोटाले की वजह से बंद करने की बात कही या नाम बदलने की बात कही या इतिहास में अतिक्रमणकारियों द्वारा बदले गये नाम को फिर से स्थापित करने का प्रयास किया तो चारों तरफ से योगी आदित्यनाथ की आलोचना होने लगी।
Lately I have traveled to #Allahabad frequently. The city is in shambles, desperately needs better roads and infrastructure especially given the fact that the #MahaKumbh is barely 3 months away. Shouldn’t that be priority over name changes? #Prayagraj @myogiadityanath
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) October 16, 2018
सभी यही राग अलाप रहे थे कि योगी सरकार काम कुछ नहीं करती बस नाम बदलने में लगी रहती है लेकिन अब यही गैंग ने अशोक गहलोत सरकार द्वारा नाम बदलने या योजना बंद करने की बात पर चुप्पी क्यों साध ली है? वैसे इसमें कोई आश्चर्य की बात भी नहीं हैं। इनकी पसंदीदा पार्टी जो करती है वो अच्छा होता है और जब कोई और सरकार ऐसा करे तो वो इन्हें गलत लगता है।
जब साल 1974 में कांग्रेस की सरकार ने गुजरात के बड़ौदा का नाम बदलकर वडोदरा कर दिया तब किसी ने कुछ नहीं कहा। कांग्रेस सरकार ने ही केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम का नाम साल 1991 में तिरुवनंतपुरम किया था। साल 2006 में कांग्रेस सरकार ने ही पॉन्डिचेरी का नाम बदलकर पुद्दुचेरी किया था।ये लिस्ट और भी ज्यादा लंबी है जो बताते हैं कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में कई शहरों के नाम किसी न किसी वजह से बदला था। तब किसी भी बुद्धिजीवी वर्ग ने ये राग नहीं अलापा की कांग्रेस सरकार सिर्फ नाम बदलने का कम कर रही है विकास का काम नहीं कर रही है। इसका मतलब तो यही है कि कांग्रेस करे तो वो विकास है ..ये संस्कृति और विरासत को बनाये रखना है और योगी करें तो राजनीति है? क्या ये कांग्रेस का दोहरा रुख नहीं दिखाता है? वास्तव में कांग्रेस जानबूझकर ऐसा करती है, झूठा रोना रोती है ताकि वो अपने शासनकाल में किये गये भ्रष्टाचार, घोटाला और मनमानियों से जनता का ध्यान भटका सके।