बीजेपी के सदस्य और पब्लिक पालिसी रिसर्च सेंटर के निदेशक सुमित भसीन ने एनडीटीवी की पत्रकार निधि राजदान को मानहानि का नोटिस भेजा दिया है। इसके साथ ही भसीन ने ट्वीट करते हुए कहा है कि “जैसा कि वादा किया गया है, मैंने निधि को मानहानि का नोटिस भेजा है। उम्मीद करता हूं कि अगली बार जब वो कोई टिप्पणी करें तो तथ्यों को जरुर ध्यान में रखेंगी। वो फेक न्यूज़ फैलाने से बचे तो बेहतर है। हमारे पास उनके फेक न्यूज़ और अहंकार के लिए पर्याप्त जवाब है। उन्हें अब ये एहसास हो जाना चाहिए कि उन्हें घटिया पत्रकारिता से दूर रहना चाहिए।
As promised, I have sent the defamation notice to @Nidhi . Hope next time she gets her facts in place before she makes a comment. We've had enough of #FakeNews and their arrogance, they must now realize that they can not get away with substandard journalism! pic.twitter.com/jWOd5hME5w
— Sumeet Bhasin (मोदी का परिवार) (@sumeetbhasin) January 10, 2019
बता दें कि एनडीटीवी की पत्रकार निधि राजदान ने नॉर्वे के प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग का इंटरव्यू लेने के बाद ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग ने कहा है कि अगर दोनों देशो की सहमति हो तो वो भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार हैं। इसके बाद ये खबर तेज हो गयी कि अगर दोनों देश तैयार हैं तो नॉर्वे कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने में सहायता करेगा। निधि राजदान के इस ट्वीट के बाद भारत में नॉर्वे के राजदूत निल्स राग्नार कमस्वाग ने अधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि, “प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग भारत और पाकिस्तान के बीच की ससमय को सुलझाने का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया है। नोर्वे न ही मदद का और न ही मध्यस्थता का प्रसताव दिया है। नोर्वे सिर्फ मदद मांगने पर ही मदद करता हो” बीजेपी के सदस्य और पब्लिक पालिसी रिसर्च सेंटर के निदेशक सुमित भसीन ने इस घटना का अवलोकन किया और निधि राजदान के ट्वीट और नार्वे के राजदूत ट्वीट को एक साथ शेयर किया।
PM @erna_solberg has not offered to mediate between India and Pakistan as has been erroneously reported. Norway has neither been asked nor offered to mediate.
— Nils Ragnar Kamsvåg (@nrkamsvaag) January 7, 2019
इसके बाद निधि राजदान ने इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए भसीन को झूठा हैं और भाजपा आईटी सेल को सुमित भसीन को झूठ के लिए भुगतान दिया होगा।
Has this becoming habit of @ndtv @Nidhi to manufacture fake news on a daily basis. Time .@Ra_THORe ji initiates stringent action against such forces who just to oppose PM have sold their soul. pic.twitter.com/QHWmiU9mYp
— Sumeet Bhasin (मोदी का परिवार) (@sumeetbhasin) January 7, 2019
इसके बाद सुमित भसीन ने Rightlog से बातचीत में कहा था, “भारत कई बार कह चुका है कि कश्मीर का एक द्विपक्षीय मुद्दा है ऐसे इस तरह का सवाल करने की जरूरत ही नहीं है। कोई भी पत्रकार भारत सरकार और संसद भवन से ऊपर कैसे हो सकता हो? नोर्वे के राजदूत भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर किसी भी सहमती से इंकार किया है। इसके बाद भी वो बार बार तथ्यों को तोड़-मोड़ कर पेश कर रही हैं ऐसे में एक पत्रकार की जवाबदेही बनती है।
इसके बाद निधि राजदान ने इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए भसीन को झूठा हैं और भाजपा आईटी सेल को सुमित भसीन को झूठ के लिए भुगतान दिया होगा।
Liar. There is no manufacturing. The quotes are on TV and reported as is. I know the IT cell pays you to lie but I will call your lies out every single day https://t.co/gpv5jvrlG6
— Nidhi Razdan (@Nidhi) January 7, 2019
बीजेपी ने इसके लिए भगतान किया है ये कहना गलत है क्योंकि बीजेपी कार्यकर्ता और स्वयंसेवकों की पार्टी है। चूंकि मेरे खिलाफ आरोप लगाये गये हैं तो मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वो मेरे खिलाफ लगाये गये आरोपों को साबित करें अन्यथा क़ानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। संभवतः कांग्रेस को इस तरह के ट्रॉल्स के लिए भुगतान करती होगी लेकिन ये बीजेपी और उसके कार्यकर्ताओं की संस्कृति नहीं है कि वो राष्ट्र से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों के लिए पैसे नहीं देती है। मुझे उम्मीद है कि भारतीय पत्रकार जिम्मेदारी से काम करेंगे और अपने निजी एजेंडे और राजनीतिक पूर्वाग्रहों के अनुरूप तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना बंद कर देंगे। निधि राजदान ऐसा करने में असफल रहीं और न ही उन्होंने भसीन के ट्वीट का जवाब दिया जिसके बाद सुमित भसीन ने क़ानूनी कार्रवाई का सहारा लिया।
अक्सर ही ये दावें किये जाते हैं कि सोशल मीडिया ट्रॉल्स के लिए बीजेपी पैसे देती है जबकि वास्तविकता कुछ और है। जब भी कोई एनडीए के पक्ष में या राष्ट्रवादी विचारधारा का समर्थन करता है उसपर इस तरह के आरोप लेफ्ट लिबरल गैंग और विपक्षी पार्टियां लगाती रही हैं। फिर भी सुमित भसीन ने अपना पक्ष रखा। सुमित भसीन ने सही कहा कि भारतीय पत्रकारों को जिम्मेदारी से काम करना चाहिए और जवाबदेही के अधीन होना चाहिए, खासकर तब जब अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मामलों हों।