जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा पेश की गयी चार्जशीट को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है। बुधवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार फाइल पर नहीं बैठ सकती है। कोर्ट ने जब जांच अधिकारी से सवाल किया कि आखिर फाइल कहां है तो अधिकारी ने कहा कि फाइल दिल्ली सरकार के पास है। अधिकारी के इस जवाब पर कोर्ट ने कहा कि “दिल्ली सरकार ने अब तक मंजूरी क्यों नहीं दी ? इसके पीछे जो भी वजह है उसे तुरंत स्पष्ट करें क्योंकि वो ऐसे फाइल लेकर कैसे बैठ सकते हैं।” दिल्ली की केजरीवाल सरकार को फटकार लगाने के बाद कोर्ट ने चार्जशीट पर सुनवाई 28 फरवरी तक टाल दी।
बता दें कि दिल्ली पुलिस ने 9 फरवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में लगे देशद्रोही नारे से जुड़े सीसीटीवी फुटेज को मामले में करीब तीन साल बाद पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और 9 अन्य के खिलाफ 14 जनवरी को आरोप पत्र दाखिल किया था। जिस दिन आरोप पत्र दाखिल किया गया था ठीक उसी दिन दिल्ली पुलिस ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को राजद्रोह मामले में मंजूरी के लिए फाइल भेजी थी। फिर भी केजरीवाल सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी जिसके बाद कोर्ट ने पुलिस को राजद्रोह मामले में दस दिनों में मंजूरी लाने का समय दिया था। आज दस दिनों बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि अभी तक उन्हें दिल्ली सरकार की तरफ से मंजूरी नहीं मिली है जिसके बाद कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है।
बता दें कि CRPC सेक्शन 196 के तहत देशद्रोह के मामले में जब तक राज्य सरकार से मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान नही ले सकता। देशद्रोही मामले में दिल्ली पुलिस को दिल्ली सरकार के अनुमति लेना जरुरी हो जाता है और ये मंजूरी दिल्ली सरकार का लॉ डिपार्टमेंट देता है। इतना ही नहीं, अनुमति लेने के लिए फाइल उप-राज्यपाल के पास भी जाती है। जब तक मंजूरी नहीं मिलती तब तक चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान नहीं ले सकता है। दिल्ली सरकार को पुलिस ने मंजूरी के लिए चार्जशीट भेजी थी लेकिन ये फाइल दिल्ली सरकार के कार्यालय में घुमती रही। जब पिछले महीने कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी तब दिल्ली सरकार ने अपनी सफाई में कहा था, ‘‘नियम के अनुसार सरकार को मंजूरी देने के लिए तीन महीने का वक्त मिलता है। दिल्ली पुलिस को आरोपपत्र दायर करने में तीन साल का वक्त लगा। सरकार को फैसला लेने से पहले कानूनी सलाह लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’
वहीं, केजरीवाल ने इस मामले गंदी राजनीति शुरू कर दी और कन्हैया पर लगे देशद्रोह के मामले में कहा “मुझे नहीं पता कन्हैया ने देशद्रोह किया है या नहीं, उसकी जांच क़ानून विभाग कर रहा है।उधर मोदी जी ने दिल्ली के बच्चों के स्कूल रोके, अस्पताल रोके, CCTV कैमरे रोके, मोहल्ला क्लीनिक रोके, दिल्ली को ठप्प करने की पूरी कोशिश की – क्या ये देशद्रोह नहीं है?”
वास्तव में केजरीवाल इस मामले पर गंदी राजनीति करने में व्यस्त हैं। अगर ध्यान दें तो दिल्ली पुलिस के पास जेएनयू देशद्रोह मामले में पूरे साक्ष्य हैं। करीब 1200 पेज के इस चार्जशीट में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्वाण भट्टाचार्य समेत सात दूसरे कश्मीरी छात्रों के नाम शामिल हैं। इस चार्जशीट में इन सभी पर देशद्रोह, धोखाधड़ी ,इलेक्ट्रॉनिक धोखाधड़ी , गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा होना, दंगा भड़काने और आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगा है। ये चार्जशीट सेक्शन 124 A, 323, 465, 471, 143, 149, 147 व 120 B के तहत पाटियाला हाउस कोर्ट में पेश की गई थी। चार्जशीट में यह स्पष्ट है कि, कन्हैया कुमार ने देश विरोधी नारे लगाए थे। इसके लिए चार्जशीट में गवाहों का हवाला भी दिया गया है। फिर भी ऐसा लगता है कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में जांच करने में जो मेहनत की है उससे केजरीवाल को कोई फर्क नहीं पड़ता है।