‘बैटलशिप’, ‘पर्ल हार्बर’, ‘डनकर्क’, और ‘300’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों का नाम आपने जरूर सुना होगा और इन्हें देखा भी होगा। ऐतिहासिक युद्दों की पृष्ठभूमि पर बनी इन फिल्मों ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। भारत के समृद्द इतिहास के पन्नों में भी कई ऐसी वीरगाथाओं से भरी लड़ाइयां दर्ज हैं जिनकी कोई तुलना नहीं हो सकती लेकिन ये सब किताबों के पन्नों में ही दबकर रह गई। जब युद्द पृष्ठभूमि पर बनी बाहुबली जैसी काल्पनिक फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़े, तो भारतीय फिल्म निर्माताओं ने भी वीरगाथाओं से भरे भारत के इतिहास को टटोलना शुरू किया। इसी के फलस्वरूप अब एक शानदार फिल्म निकलकर आयी है। नाम है ‘केशरी’।
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अक्षय कुमार की इस फिल्म का आज ही ट्रेलर रिलीज हुआ है। ‘केसरी’ होली के मौके पर 21 मार्च को रिलीज होगी। करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस ‘धर्मा’ के बैनर तले अक्षय कुमार की इस फिल्म का निर्देशन अनुराग सिंह ने किया है। इस फिल्म में योद्दा की भूमिका में नजर आ रहे अक्षय कुमार के अपॉजिट बॉलीवुड एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा हैं। केसरी की कहानी गिरीश कोहली और अनुराग सिंह ने मिलकर लिखी है। यह फिल्म ऐतिहासिक सारागढ़ी के युद्द पर आधारित है। आइए जानते हैं उस युद्द की वीरगाथा जिसमें मात्र 21 सिख जवान दस हजार अफगानी सैनिकों से लड़ गए थे।
तारीख- 12 सितंबर, 1897। जगह– सारागढ़ी (वर्तमान में खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान)। समय– सुबह नौ बजे से लेकर शाम चार बजे तक और सुदूर पहाड़ों पर तैनात ब्रिटिश-भारतीय सेना की सिख रेजीमेंट के 21 सैनिक…। सात घंटे चले इस युद्ध के अगले दिन जब युद्धक्षेत्र में अंग्रेज पहुंचे तो उन्हें इन 21 सिख जवानों के साथ 600 सौ अफगान सैनिकों की लाशें भी मिली थीं। जी हां, कुछ ऐसी ही कहानी है सारागढ़ी की युद्द की।
उस समय ब्रिटिश हुकूमत अपना राज भारत के बाहर भी फैलाने की कोशिश कर रही थी। भारत से अफगानिस्तान की सीमा लगी हुई थी और वहां अमीर का राज था। अफगानिस्तान के शासक ने अंग्रेजों के साथ समझौता किया हुआ था लेकिन, अफगानिस्तान की सीमा के पास ऐसे कईं कबीले थे जो इस समझौते को नहीं मानते थे। ये कबीले अक्सर भारत पर हमले किया करते थे। इन हमलों को रोकने के लिए भारत-अफगान सीमा पर स्थित कोहट के सारागढ़ी पर दो किले बनाए गए। पहला गुलिस्तान का किला और दूसरा लॉकहार्ट का किला। लॉकहार्ट का किला ब्रिटिश सेना के लिए था, जबकि गुलिस्तान का किला ब्रिटिश सेना के संचार का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। इन दोनों के बीच में था सारागढ़ी का किला। सामरिक दृष्टि से यह जगह बहुत महत्वपूर्ण थी, यही कारण था कि इस किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी 36 सिख बटालियन के 21 सिखों की टुकड़ी को दी गई थी।
अचानक 12 सितंबर 1897 की सुबह करीब 10 हजार अफगानी सैनिकों ने इन किलों पर हमला बोल दिया। सिख जवानों ने तुरंत दूसरे किले पर तैनात अंग्रेजी सेना को संदेश भेजा। लॉकहार्ट के किले पर अफसरों को बताया गया कि बड़ी संख्या में अफगानियों ने हमला कर दिया है, तुरंत मदद की जरूरत है। इस पर अंग्रेजी अफसरों ने इतने थोड़े समय में ही सैन्य मदद भेजने में असमर्थता व्यक्त की। अफसरों ने कहा कि वे या तो मोर्चा संभालें या पीछे हट जाएं।
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ये 21 सिख जवान चाहते तो 10 हजार अफगानियों के सामने मौर्चा संभालने की बजाय पीछे हट सकते थे लेकिन हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में उन्होंने पीछे हटने की बजाय दुश्मन का सामना करने का फैसला किया। पल भर में ही वहां भयानक युद्द छिड़ गया। 21 सिख जवान 10 हजार अफगानियों के सामने अपनी बंदूकें लेकर डट गए। थोड़ी देर में ही हमलावर भी समझ गए कि जंग आसान नहीं है।
अफगानियों ने एकजुट होकर सारागढ़ी किले का दरवाजा तोड़ने की कोशिश की लेकिन सिख सैनिकों की बहादुरी के आगे उनकी एक न चली। इस पर अफगानी हमलावर खिसिया गए, और उन्होंने पीछे से किले की दीवार को तोड़ना शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में हमलावरों के आगे किले की दिवार ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी, वह टूट गई। अफगानी लड़ाके किले में घुस आए। अभी तक जो लड़ाई बंदूकों और बमों से चल रही थी वह अब तलवारों से भी लड़ी जाने लगी। हमलावरों की इतनी बड़ी तादात में होने के बावजूद सिख सैनिकों ने हौसला नहीं खोया। खास बात यह थी कि, उन 21 सिख सैनिकों में कुछ ऐसे भी थे, जो पूरी तरह सिपाही नहीं थे। उनमें कुछ रसोईये थे तो कुछ सिग्नलमैन थे, लेकिन सभी अपनी पोस्ट को बचाने के लिए एक साथ अफगानियों पर भारी पड़ रहे थे।
सिख सिपाही तब तक लड़ते रहे जब तक ब्रिटिश सेना की टुकड़ी सारागढ़ी के पास नहीं पहुंच गई। इसके बाद अंग्रेजी सेना ने अफगानियों को पीछे खदेड़ दिया। हालांकि, लड़ते हुए सभी 21 सिख सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन जो चौंकाने वाली बात थी वह यह कि उन्होंने अपनी मिट्टी के लिए शहीद होने से पहले 600 से ज्यादा अफगानों को मौत के घाट उतार दिया था और सैकड़ों को घायल कर दिया था। 21 सिखों की बहादुरी के आगे दस हजार अफगानियों का सारागढ़ी पर कब्जे का मंसूबा पूरा न हो सका।
जब ब्रिटिश सेना किले के अंदर पहुंची तब जाकर उन्हें 21 सिख जवानों की वीरता का अंदाजा हुआ। इन सिखों की बहादुरी से ब्रिटिश अफसर हैरान थे। इन अफसरों को समझ नहीं आ रहा था कि उनकी बहादुरी को किस तरह नवाजें। इसके बाद सभी शहीद 21 सिख सैनिकों को मरणोपरांत ब्रिटिश सल्तनत की ओर से बहादुरी का सर्वोच्च पुरस्कार ‘इंडियन ऑर्डन ऑफ मेरिट’ प्रदान किया गया।
फिल्म ‘केशरी’ में सारागढ़ी के इस युद्द की वीरगाथा को रुपहले पर्दे पर दिखाने की कोशिश है। फिल्म का आज जो ट्रेलर रिलीज हुआ है, वह 3 मिनट का है। इस ट्रेलर की शुरुआत अक्षय कुमार के डायलॉग से होती है। वो कहते हैं, एक गोरे ने मुझसे कहा था कि तुम गुलाम हो, हिंदुस्तान की मिट्टी से डरपोक पैदा होते हैं। आज जवाब देने का वक्त आ गया है। ट्रेलर में जबरदस्त एक्शन सीन दिखाये गए हैं। 21 सिख जवानों द्वारा 10 हजार अफगानों से लड़ी गई जंग रोंगटे खड़े कर देने वाली है। ट्रेलर का बैकग्राउंड म्यूजिक भी जबरदस्त है।
फिल्म के ट्रेलर में कई धांसू डायलॉग्स हैं। फिल्म की एक टैग लाइन है – ‘आज मेरी पगड़ी भी केसरी। जो बहेगा वो लहू भी केसरी और मेरा जवाब ही केसरी’। फिल्म में अक्षय कुमार हवलदार ईशर सिंह का किरदार निभा रहे हैं। वही ईशर सिंह जिन्होंने उस समय 21 सिख जवानों की इंडो-ब्रिटिश आर्मी का नेतृत्व किया था। फिल्म के डायलॉग्स इस प्रकार हैं- जब लड़ने का वक्त आएगा तब लड़ेंगे भी, अभी तो रब का घर बनाने आए हैं… रब से कैसी लड़ाई..। बाहर कम से कम 10 हजार हैं और हम.. 21…। केसरी रंग का मतलब समझते हो.. शहीदी का रंग है, बहादुरी का। आज मेरी पगड़ी भी केसरी, जो बहेगा मेरा लहू भी केसरी और मेरा जवाब भी केसरी।
#Imran Khan: We are against #terrorism!
Rest of the world: #KesariTrailer#TimesMegaPoll #NaMoAgain #DeshDrohiPatrakaar pic.twitter.com/HbuHr1DHJl
— Mohit Verma🇮🇳🇮🇳 (@Mohitt_Verma) February 21, 2019
Even after 15 years, the concept of sardar for bollywood hasn't changed.
#KesariTrailer pic.twitter.com/RayAEyWZOI
— Satya Vachan (@SatyaVuchan) February 21, 2019
अक्षय कुमार की इस फिल्म का फैंस को बेसब्री से इंतजार है। फिल्म के कई टीजर और पोस्टर भी जारी हो चुके हैं जो बहुत ही शानदार हैं। फिल्म का ट्रेलर भी बेहतरीन एक्शन सीन और डायलॉग से भरपूर है। वहीं फिल्म के कुछ डायलॉग्स पर तो मीम्स भी बनने लगे हैं। कुल मिलाकर होली पर रिलीज होने वाली सारागढ़ी के ऐतिहासिक युद्द पर बनी यह फिल्म धमाकेदार रहने वाली है।