मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने मंदिर-मठ और देवस्थानों में पुजारियों की नियुक्ति के मानक तय किये हैं। वह राज्य में पुजारियों की भर्ती करने जा रही है लेकिन इस भर्ती को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कमलनाथ सरकार द्वारा मंदिरों में पुजारियों की नियुक्ति के लिए अपनी नीति जारी करने के बाद से ही संत समाज में रोश है। कांग्रेस सरकार द्वारा तय किया गया एक नियम तो किसी के भी गले नहीं उतर रहा। इस नियम के अनुसार मंदिर के पुजारियों की नियुक्ति में जाति-धर्म की कोई बाध्यता नहीं है। अर्थात किसी भी धर्म के लोग कमलनाथ सरकार में मंदिर के पुजारी बन सकते हैं। साथ ही इस आदेश में महिला-पुरुषों की नियुक्ति पर भी कोई बाध्यता नहीं है। सरकार के इस निर्णय का राज्य में कई संत विरोध कर रहे हैं।
वहीं मध्यप्रदेश में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने कमलनाथ सरकार के इस फैसले का समर्थन किया। गिरी ने कहा कि मंदिर में पुजारी बनने के लिए किसी जाति वर्ग का होना जरूरी नहीं है। हालांकि, धर्म के सवाल पर गिरी ने चुप्पी साध ली। उधर राज्य में कईं साधु-संतों ने इस नियम का विरोध किया है। संतो का कहना है कि, मंदिर में पुजारी के पद पर सभी जातियों और धर्मों के लोगों को मंजूरी देना गलत निर्णय है। संतो ने कहा कि सरकार का यह निर्णय उनके लिए नुकसानदेय साबित होगा। साथ ही उन्होंने इसे एट्रोसिटी एक्ट जैसा बताया।
इससे पहले शिवराज सरकार ने पुजारियों के लिए सभी वर्गों के लोगों की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव दिया था। लेकिन कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में पुजारियों की नियुक्ति वंश परंपरा के आधार पर करने का वादा किया था और अब उसने नियुक्ति के आदेश में पिता के पुजारी होने पर उसके बेटे या उसी वंश के व्यक्ति को वरीयता देने की बात कही है।
कमलनाथ सरकार ने पुजारियों के लिए निम्न मानक तय किए हैं-
- 18 साल की आयु पूरी करने वाले युवा हों।
- कम से कम आठवीं तक शिक्षित होना अनिवार्य है।
- पुजारियों की नियुक्ति वंश परंपरा के आधार पर होगी।
- कोई भी मांसाहारी या शराबी, मंदिर का पुजारी नहीं बन सकेगा।
- पूजा विधि का सर्टिफिकेट कोर्स पास करना ज़रूरी होगा।
- संबंधित व्यक्ति मंदिर की ज़मीन हड़पने या बेचने का आरोपी ना हो।
- पिता के पुजारी होने पर उसके बेटे या उसी वंश के व्यक्ति को वरीयता दी जाएगी।
- पुजारी के लिए आवेदन संबंधित इलाके के एसडीएम को देना होगा।
- नियुक्ति से पहले 15 दिन तक दावे आपत्तियां मांगी जाएंगी।
- अनापत्ति होने पर पटवारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार मंज़ूरी के बाद पुजारी की नियुक्ति कर दी जाएगी।
अब किसी भी देवस्थान में पुजारी का पद खाली होने पर आवेदन किया जा सकता है। यह आवेदन निर्धारित प्रारूप में संबंधित अनुविभागीय अधिकारी को देना होगा। इस आवेदन-पत्र के साथ शपथ-पत्र पर अंडरटेकिंग भी देनी होगी। अनुविभागीय अधिकारी पंद्रह दिन में पुजारी के नाम की सार्वजनिक सूचना जारी करके आपत्तियां आमंत्रित करेंगे। आपत्ति न आने पर पटवारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार से प्रतिवेदन लेकर पुजारी की नियुक्ति की जाएगी। इन पुजारियों को सरकार की ओर से 3 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा।
वहीं पद से हटाने की प्रक्रिया में स्वस्थ चित्त न रहने पर, देवस्थान की चल-अचल संपत्ति में हित का दावा करने पर, चारित्रिक दोष पैदा होने पर, देवस्थान की सेवा, पूजा एवं संपत्ति की सुरक्षा में लापरवाही बरतने पर या शासन के आदेशों की अवहेलना करने पर पुजारी को पद से हटाया जा सकता है।
सरकार द्वारा तय किए गए पुजारियों की नियुक्ति के ये नियम मंदिरों के साथ ही मठों और अन्य उन सभी देवस्थानों पर लागू होंगे जहां पूजा-पाठ किया जाता है। कमलनाथ सरकार के ये नियम आने वाले दिनों में और भी कई विवादों को जन्म देंगे। हो सकता है कोई मुस्लिम, ईसाई या अन्य धर्म का व्यक्ति मंंदिर में पुजारी के लिए आवेदन करे। ऐसी स्थिति में यदि उसकी नियुक्ति मंदिर में पुजारी के पद पर होती है तो बड़ा विवाद खड़ा हो जाएगा।