कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और यूपीए सरकार में विदेश मंत्री रहे सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा ने राहुल गांधी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि जब वो यूपीए सरकार में विदेश मंत्री थे तब राहुल गांधी सिर्फ एक सासंद थे लेकिन फिर भी वो निरंतर मेरे काम में हस्तक्षेप करते थे जिस वजह से मुझे मजबूरन अपना पद छोड़ना पड़ा था। मार्च 2017 में कांग्रेस पार्टी को छोड़ने के बाद वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। एसएम कृष्णा, साल 1999 से 2004 कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे और साल 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल भी रह चुके हैं। 22 मई 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कृष्णा को केंद्रीय कैबिनेट में शामिल किया था और 23 मई 2009 विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।
राहुल गांधी पर हमला करते हुए एसएम कृष्णा ने कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर किया था। गांधी परिवार के हस्तक्षेप का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा, ‘जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब उन्हें विदेश मंत्री के पद से राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।‘
उन्होंने कहा, “दस साल पहले राहुल गांधी एक सांसद थे। वो तब पार्टी का कोई बड़ा पद भी नहीं संभाल रहे थे। फिर भी पार्टी से लेकर सरकार तक के सभी मामलों में वो हस्तक्षेप करते थे। यहां तक कि उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इसपर कुछ नहीं करते थे। बहुत से फैसले बिना उनकी जानकारी के हो जाते थे।“ इस बयान से एक बात जो स्पष्ट हो गयी है वो ये कि गांधी परिवार ने अपने परिवार के लोगों को हमेशा कांग्रेस पार्टी में महत्व दिया और बड़े अनुभवी नेताओं पर राहुल गांधी जैसे अनुभवहीन नेता की सिर्फ इसलिए चलती थी क्योंकि वो गांधी परिवार के वंशज है। अगर वो किसी सरकारी मामले में दखल करें तो न संवैधानिक संस्था को कोई हानि होती है ओत न ही लोकतंत्र पर कोई खतरा लेकिन जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भी मंत्रालय से योजना और सरकारी कामों की जानकारी लेते हैं तो वो हस्तक्षेप है। कांग्रेस पार्टी की ये दोहरी और गंदी राजनीति को दर्शाता है। ये शर्मनाक है कि सिर्फ एक परिवार के विस्तार के लिए गांधी वंशज इस तरह से देश के महत्वपूर्ण सरकारी मामलों में दखल देते थे।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और यूपीए सरकार में विदेश मंत्री रहे सोमनाहल्ली मल्लैया कृष्णा ने कहा, ‘कांग्रेस का गठबंधन के घटक दलों पर कोई नियंत्रण नहीं था, उसी दौरान 2 जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाला उजागर हुआ था।‘ उन्होंने कहा, “साल 2009 से 2014 के बीच यूपीए सरकार के दौरान मैं भी सत्ता में मंत्री था। ऐसे में उस समय जो भी अच्छे और बुरे काम हुए मैं भी उसका उतना ही जिम्मेदार हूं जितना सभी हैं।”
पूर्व विदेश मंत्री ने मनमोहन सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि ‘पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अपने मंत्रियों और सरकार पर कोई नियंत्रण नहीं था। सबकुछ राहुल गांधी के नियंत्रण में था।‘ कृष्णा ने कहा कि ‘ये मनमोहन सिंह का कमजोर नेतृत्व ही था जिस वजह से 2 जी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाला हुआ था।‘
कृष्णा ने आगे कहा कि, ‘साल 2009 से 2014 तक जब मैं विदेश मंत्री था, पार्टी में घुटन का माहौल था।‘ बता दें कि एसएम कृष्णा इंदिरा गांधी और उनके बेटे राजीव गांधी के करीबी सहयोगियों में से एक रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ 84 वर्षीय पुराने नेता साल 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ करते हुए कहा, “जब मैं 1999 और 2004 के बीच मंत्री था, अनंत कुमारजी इस तथ्य के गवाह हैं कि अटलजी के दिल में हमेशा मेरे लिए एक ख़ास जगह थी। ”
कृष्णा बीजेपी में शामिल होने के बाद से वो सक्रीय राजनीति से दूर थे लेकिन वो लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से सक्रीय हो गये हैं। ऐसे में वो आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए कर्नाटक में अहम भूमिका निभा सकते हैं। वो राज्य में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ लोकसभा में प्रचार करने उतर सकते हैं।