देश में आचार संहिता लग चुकी है और आम चुनावों में अब बहुत कम वक्त ही रह गया है। ऐसे में कुछ राजनेता अब चुनावी समीकरण बिठाने और वोट पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। उन्हीं में से एक है प्रियंका गांधी वाड्रा, जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने इस चुनाव में उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है। उत्तर प्रदेश में खूब मिन्नतें करने के बाद भी कांग्रेस को जब सपा-बसपा ने अपने गठबंधन में शामिल नहीं किया तो प्रियंका गांधी भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर रावण से जाकर मिली। दलितों को रिझाने के लिए कांग्रेस महासचिव व पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने बुधवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर रावण से मेरठ के अस्पताल में मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बारे में प्रियंका ने कहा था कि, उन्हें चंद्रशेखर का जोश और संघर्ष पसंद था, इसलिए वे उनसे मिलने मेरठ आईं। इस मुलाकात के बाद अब चंद्रशेखर रावण और प्रियंका गांधी दोनों ही जनता के निशाने पर आ गए हैं। लोग इन्हें अराजक और देशद्रोही बता रहे हैं। वह इसलिए क्योंकि प्रियंका की मुलाकात के बाद चंद्रशेखर ने भीमा कोरेगांव कांड दोहराने तक की धमकी दे दी।
बुधवार को प्रियंका गांधी वाड्रा ने चंद्रशेखर से मुलाकात की ही थी कि। इसके बाद शुक्रवार को आचार संहिता के बावजूद दिल्ली के जंतर-मंतर पर चंद्रशेखर ने बहुजन हुंकार रैली की। इस रैली में चंद्रशेखर ने विवादित और भड़काऊ भाषण दिया। लोगों को आगाह करते हुए चंद्रशेखर ने कहा, ‘वोट देने से पहले रोहित वेमुला की शहादत को याद रखना, ऊना कांड याद है ना, 2 अप्रैल भूले तो नहीं हो, किसने गोली चलाई, किसने मारा हमारे लोगों को, उनकी कुर्बानी भूलकर वोट दोगे?…. मगर याद रखना अत्याचारी अत्याचारी होता है, मनुवाद का पोषक कभी तुम्हारा हितैषी नहीं हो सकता है।’ आजाद ने आगे कहा, ‘भीमा-कोरेगांव दोहरा देंगे…. अभी जरूरत नहीं आई है लेकिन जिस दिन इस देश के संविधान पर आंच आई तो भीमा-कोरेगांव भी दोहरा देंगे।’
Bhim Army's C. Azad:Vote dene se pehle Rohith ki shahadat yaad rakhna,Atyachari,atyachari hota hai,vo kabhi tumhara hiteshi nahi ho sakta…Isliye maine kaha Bhima-Koregaon dohra denge,abhi uski zarurat nahi ai hai,jis din desh ke samvidhan pe aanch ai,Bhima-Koregaon dohra denge pic.twitter.com/X92UgUX5Rx
— ANI (@ANI) March 15, 2019
जो अब देश के संविधान पर हमला करने की धमकी दे रहा है, उसे दो दिन पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी संघर्ष का मसीहा बताया था। अब सवाल यह है कि, आखिर प्रियंका गाँधी ने भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर को ऐसी क्या पट्टी पढ़ाई कि वे अब भरी जनसभा में भीमा कोरेगांव कांड दोहराने की धमकी दे रहे हैं। उससे भी बड़ा सवाल यह कि क्या वास्तव में भीम आर्मी भीमा कोरेगांव जैसे हालात पैदा करने की कोई साजिश रच रही है? क्षेत्रिय दलों द्वारा किनारे कर दिये जाने के बाद क्या कांग्रेस पार्टी दंगे भड़काकर वोट बटोरना चाहती है? ये तीनों ही सवाल देश के लोकतंत्र और देश की एकता के सामने एक बड़ा चुनौती बनकर उभरे हैं।
आदर्श आचार संहिता लगी होने के बावजूद जबरन अपने समर्थकों के साथ रैली निकालने वाले ये वही चंद्रशेखर हैं जो ब्राह्मण, जाट, राजपूत, ठाकुर, गुर्जर और यादवों की खाल उतारने की धमकी देते हैं। यह वही चंद्रशेखर रावण है जिसने भगवान हनुमान की तस्वीर पर चप्पल मारकर हिंदुओं की भावनाओँ को आहत किया था। ये वही चंद्रशेखर हैं जो आए दिन भारत बंद करने की धमकी देते हैं और अब उन्होंने भीमा कोरेगांव हिंसा दोहराने की धमकी दी है।
एक और भीमा कोरेगांव कांड दोहराने की धमकी दी है चंद्रशेखर रावण ने।ये हाल है राजनीति का,और ऐसे लोगो से मिलने गई थी प्रियंका वाड्रा।शरमनाक है देश मे हिन्सा फैलाने की धमकी देना,सामाजिक समरसता को तोड़ना और ऐसे समाजकंटकों को राजनैतिक आश्रय देना। pic.twitter.com/YfxZStYyKD
— Anil Pusadkar (@AnilPusadkar3) March 15, 2019
ये व्यक्ति खुलेआम हिंसा की बात कर रहा है,पहले इसने हिंदू देवताओं पर चप्पल चलवाई दबाब में,इसे कांग्रेस बढ़ावा दे रही है,इसको तुरंत सरकार को फिर रासुका लगाकर गिरफ़्तार करना चाहिये @HMOIndia https://t.co/0kXJgYj1JQ
— . (@uber_supportz) March 15, 2019
https://twitter.com/RadhikaChatter5/status/1106525070657122304
चंद्रशेखर के इस बयान के बाद प्रियंका वाड्रा लोगों के निशाने पर आ गई है। ट्विटर पर लोग जमकर कांग्रेस और प्रियंका वाड्रा की खिंचाई कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ‘हिंसा की बात करने वालों को कांग्रेस बढ़ावा देती है, सरकार को तुरंत रासुका में कार्रवाई करनी चाहिए’। वहीं एक अन्य ने लिखा कि क्या प्रियंका वाड्रा चंद्रशेखर से दंगे की प्लानिंग करने गई थी। सोशल मीडिया पर लोग कांग्रेस का हाथ दंगाइयों के साथ हैशटेग के साथ अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं।
जानिए क्या है भीमा कोरेगांव कांड
एक जनवरी 2018 को पुणे के पास भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें हिंसा भड़क गई थी। इतिहास की बात करें तो भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास लड़ी गई थी। यह लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की सेना के बीच लड़ी गई थी। इस लड़ाई में अंग्रेज़ों की तरफ से महार जाति के लोगों ने लड़ाई लड़ी थी और इन्हीं लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं की फौज को हरा दिया था। इस युद्ध को महार जाति के लोग अपनी जीत और स्वाभिमान के तौर पर देखते हैं और हर साल इस जीत का जश्न मनाते हैं।
पिछले साल जनवरी में भीमा-कोरेगांव में भी भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह मनायी जा रही थी। उस दिन काफी संख्या में लोग एकत्र होकर यह वर्षगांठ मना रहे थे। यह कार्यक्रम भीमा कोरेगांव के विजय स्तंभ में चल रहा था। तभी अचानक भीमा-कोरेगांव में विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला कर दिया। इसी घटना के बाद दलित संगठनों ने मुंबई, नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य कई शहरों में दो दिनों खूब हुड़दंग मचाया था। इस दौरान खूब तोड़-फोड़, आगजनी और हिंसा की गई थी।