एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के लिए अवार्ड्स का वितरण किया। इस सर्वेक्षण में लगातार तीसरे साल इंदौर शहर को पहले स्थान पर रखा गया है। दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इंदौर की महापौर मालिनी गौड, नेता प्रतिपक्ष फौजिया अलीम और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह को यह पुरस्कार सौंपा। जनवरी में सर्वे के लिए दिल्ली से आई टीम ने भी सर्वे के लिए लंबा समय लिया था। सप्ताह भर टीम ने इंदौर में डेरा डाला व बारीकी से सफाई का जायजा लिया। इस दौरान भी व्यवस्था चाक-चौबंद रही और सफाईकर्मियों ने देर रात तक सफाई की। सर्वेक्षण टीम ने शहर को 5,000 में से 4659.09 अंक दिए। इस बार भी स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल आने पर इंदौर की महापौर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी बधाई दी। उन्होंने ट्वीट किया ”अब तक हुए सभी तीन सर्वेक्षणों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करके इंदौर शहर ने एक मिसाल कायम की है। स्वच्छता के काम को ज़मीन पर अंजाम देने वाले सभी स्वच्छताकर्मियों और स्वच्छाग्रहियों के योगदान के लिए, मैं उन सबको, पूरे राष्ट्र की ओर से धन्यवाद देता हूं”।
अब तक हुए सभी चार सर्वेक्षणों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करके इंदौर शहर ने एक मिसाल कायम की है।
स्वच्छता के काम को ज़मीन पर अंजाम देने वाले सभी स्वच्छताकर्मियों और स्वच्छाग्रहियों के योगदान के लिए, मैं उन सबको, पूरे राष्ट्र की ओर से धन्यवाद देता हूँ — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 6, 2019
इस सर्वेक्षण के अनुसार सबसे स्वच्छ राजधानियों में भोपाल पहले स्थान पर है। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में अहमदाबाद और पांच लाख से कम आबादी वाले शहरों में उज्जैन ने बाजी मारी है।
इंदौर को स्वच्छ्ता में नंबर 1 बनाने में इंदौर की भाजपा मेयर मालिनी गौड़ का अहम योगदान है। वे 2015 से इंदौर की मेयर हैं । इंदौर के लोगों के मुताबिक वहां के लोग पुलिस की गाड़ी से ज्यादा पीली गाड़ी से डरते हैं। आपको बता दें कि इंदौर नगर निगम की पीले रंग की गाड़ियां अक्सर सड़कों पर सफाई को लेकर निरक्षण करती हुई तथा कूड़ा फ़ैलाने वालो पर जुर्माना लगाते हुए दिखाई देती है। 2015 में इंदौर को इस सूची में 180वां रैंक मिला था, जिसको 2016 में सुधारकर 25 तक लाया गया, और 2017 से इंदौर लगातार पहला स्थान प्राप्त करते आया है। गौड़ ने स्वच्छता अभियान को लेकर बयान दिया था कि ”जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राची से खड़े होकर स्वच्छ भारत अभियान को लेकर घोषणा की थी, मैंने उसी दिन इस पर काम करने की ठान ली थी”। उनका मानना है कि अगर किसी काम में राजनीतिक, प्रशासनिक तथा लोगों की इच्छाशक्ति सम्मलित हो जाए तो उस काम को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता। जब वे मेयर बनी तो उस वक्त इंदौर में सफाई एक बहुत बड़ा मुद्दा था, और वे शहर की सफाई व्यवस्था को बदलने का वादा करके ही चुनाव जीत कर आईं थीं। उनके अनुसार लोगों को जागरूक करना सफाई अभियान को सफल बनाने में एक बड़ी भूमिका अदा करता है। एक तरफ तो शहर के अधिकारियों द्वारा लोगों को सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग इकठ्ठा करने के लिए प्रेरित किया गया, तो दूसरी और को कामचोर सफाई कर्मचारियों पर भी उचित कार्रवाई की गई, और यही सिलसिला चलता रहा। शहर में गंदगी फ़ैलाने पर लोगों पर 100 रूपये से लेकर 1 लाख तक का जुर्माना भी लगाया जाने लगा।
शहर को सफलता की सूची में पहले स्थान पर पहुंचाने में कचरा प्रबंधन का भी बड़ा योगदान रहा है। जैसा कि देश के राष्ट्रपति ने भी कहा, इंदौर ने बहुत ही कम समय में अपने आप को स्वच्छ बनाने में सफलता पाई है जो कि देश के अन्य शहरों के लिए एक उदहारण बनाकर उभरा है। देश के बाकि शहरों को भी इंदौर जैसी इच्छाशक्ति दिखाने की आवश्यकता है ताकि देश को गंदगी से आज़ादी मिल सके।