देश के पत्रकारों का किस हद तक राजनीतिकरण हो चुका है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उपहार के तौर पर अब पत्रकारों को भी राजनीतिक पार्टियों की और से टिकट मिलने लगी हैं। दरअसल, ईटी नाउ की पूर्व पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत ने यह ऐलान किया है कि वे कांग्रेस की टिकट पर उत्तर प्रदेश के महराजगंज से चुनाव लड़ेंगी। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्वी उत्तर प्रदेश की पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला से मुलाकात भी की थी। आपको बता दें कि श्रीनेत अक्सर अपनी पत्रकारिता के माध्यम से भाजपा पर लगातार हमला बोलती आई हैं और अक्सर अपने प्रोग्राम्स में कांग्रेस की प्रवक्ता के तौर पर बर्ताव करती थी। पूरी स्थिति को देखकर ऐसा लगता है मानों कांग्रेस पार्टी एवं कुछ ‘वामपंथी पत्रकारों’ के बीच एक दूसरे की मदद करने की सेटिंग हो चुकी है।
I will be taking an active plunge in politics, am grateful to @INCIndia @RahulGandhi @priyankagandhi @JM_Scindia for trusting me with Maharajganj. It will be an honour to keep my late father’s legacy alive. I look forward to making a meaningful contribution
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) March 29, 2019
कल तक टीवी चैनल पर एंकरिंग करने वाली श्रीनेत आज लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार बन गई। आपको बता दें की सुप्रिया पूर्व सांसद हर्षवर्धन की बेटी हैं जो कि महराजगंज के कद्दावर नेता रह चुके हैं। वर्ष 1989 एवं वर्ष 2009 में वे यहां से सांसद रह चुके थे, वर्ष 2016 में बीमारी की वजह से उनका देहांत हो गया। अब उसी सीट से उनके बेटी चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। जाहिर है कि इस टिकट को पाने के लिए वे पिछले काफी समय से कांग्रेस के संपर्क में रही होंगी। अब यहां यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या इस समय के दौरान वे अपनी पत्रकारिता निष्पक्ष रूप से कर पाई होंगी? ऐसा ही एक सवाल एक ट्वीटर यूज़र ने उठाया “मैंने कभी उनकी डिबेट्स नहीं देखी और ना कभी उनको फॉलो किया लेकिन कुछ लोगों ने मुझे बताया कि वे इस हफ्ते तक भी टीवी डिबेट्स में हिस्सा ले रही थी। क्या ईटी नाउ को इस बात की जानकारी थी कि उनकी एंकर सक्रीय राजनीति में जाने वाली है? क्या उन्होंने अपने दर्शकों को इस बात की जानकारी दी कि वे डिबेट के आधार पर अपना राजनीतिक मत बना सकते हैं या नहीं?”
I have never seen her debates and followed her. But people say she was anchoring debates even this week.
Was @ETNOWlive aware that their anchor was into active politics? Was there any disclosure for the audience so that they could form an opinion on what they are seeing?— Pratyasha Rath (@pratyasharath) March 29, 2019
उनके इस ऐलान के बाद उनको बधाई देने वाले पत्रकारों का तांता लग गया। सागरिका घोष, बरखा दत्त, निधि राजदान और चन्द्र आर श्रीकांत जैसे पत्रकारों ने तुरंत उनके इस ट्वीट पर ख़ुशी जताई, मानो उनकी ‘मन लगाकर’ की गई पत्रकारिता का फल उन्हें मिल गया हो। वैसे ऐसा पहली बार नहीं है जब एक पत्रकार को उनकी क्रांतिकारी पत्रकारिता के बदले उन्हें पार्टी द्वारा उपहार के रूप में टिकट देने का काम किया गया हो। आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता आशुतोष भी ऐसे ही पत्रकारों में से एक थे। अपनी पत्रकारिता के दौरान उन्होंने जमकर आम आदमी पार्टी अथवा कांग्रेस के लिए जमकर चाटुकार पत्रकारिता करने का काम किया, बाद में फलस्वरूप उन्हें आम आदमी पार्टी में शामिल भी किया गया, लेकिन जब उन्हें आप द्वारा राजयसभा के लिए नॉमिनेट नहीं किया गया तो उनका पार्टी से मोह भंग हो गया और उन्होंने अब दोबारा पत्रकारिता में एंट्री कर ली है।
पत्रकारिता का राजनीतिकरण होना किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली क लिए घातक है। लेकिन कुछ पत्रकार सरकार के विपक्ष की भूमिका निभाते-निभाते विपक्ष में ही शामिल हो जाते हैं जिससे की ना सिर्फ पत्रकार जैसे पेशे का समाज में स्तर गिरता है बल्कि उनका अनुसरण करने वाले लोगों को भी गहरा झटका पहुंचता है। सच्चे पत्रकारों का काम घटिया राजनीति की पोल खोलना होता है ना कि स्वयं उसका हिस्सा बन जाना!