वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों का ऐलान हो चुका है। चुनाव 11 अप्रैल से शुरू होकर में 19 मई को समाप्त होंगे। लोकसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे व नतीजे 23 मई को आएंगे। सभी राजनीतिक पार्टियों ने लोकसभा चुनाव के ऐलान का स्वागत किया है और अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। इसी बीच इंडिया टीवी ने देश के लगभग सभी राज्यों में चुनाव से ठीक एक महीने पहले एक बड़ा सर्वे किया है जिसमें रोचक नतीजे देखने को मिले हैं। इस सर्वे के मुताबिक एक बार फिर से देश में बीजेपी की सरकार बनेगी। सर्वे में देश के सभी राज्यों को शामिल किया गया है।
देश की हिंदी बेल्ट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। भाजपा ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की थी जिसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा व दिल्ली जैसे प्रदशों की अहम भूमिका थी, आइए देखते हैं कि सर्वे के मुताबिक इन राज्यों में कौन सी पार्टी अपने विरोधियों पर भारी पड़ती है:
उत्तर प्रदेश की: भाजपा-40, बसपा-16, सपा-18, कांग्रेस-4, आरएलडी-1, अपना दल-1, कुल-80
राजस्थान : भाजपा-20, कांग्रेस-5, कुल-25
बिहार: भाजपा-15, आरजेडी-8, जेडीयू-12, कांग्रेस-2, एलजेपी-3, कुल-40
छत्तीसगढ़: भाजपा-6, कांग्रेस-5, कुल-11
हरियाणा: भाजपा-9, कांग्रेस-1, कुल-10
दिल्ली: भाजपा-7, कांग्रेस-0, आप- 0. कुल-7
मध्य प्रदेश: भाजपा -23, कांग्रेस-6 ,कुल-29
इस सर्वे को देखें तो कुल मिलाकर हिंदी बेल्ट में भाजपा को अपने विरोधियों पर अच्छी खासी बढ़त मिल सकती है। आपको बतादें कि भारत के पूर्वी तथा दक्षिणी राज्यों में भी भाजपा ने लगातार चुनाव अभियान को जारी रखा है जिसके बाद उसे भारत के इन हिस्सों से भी खुशखबरी मिलने की उम्मीद है। भाजपा ने पिछले काफी समय से खासतौर पर पश्चिम बंगाल पर काफ़ी ध्यान दिया है जिसका असर आने वाले नतीजों पर देखने को मिल सकता है। आइए देखते हैं इन राज्यों में हुए सर्वे के नतीजों को:
पश्चिम बंगाल: तृणमूल कांग्रेस-30, भाजपा-12, कुल-42
ओडिशा: बीजू जनता दल-14, भाजपा-7, कुल-21
तमिल नाडू : डीएमके -16, एआईएडीएमके-12, , कांग्रेस-5, भाजपा-1, पीएमके -2, अन्य-3, कुल-39
आंध्र प्रदेश : वाईएसआर कांग्रेस-22, टीडीपी-3, कांग्रेस-0, कुल-25
तेलंगाना: तेलंगाना राष्ट्र समिति-14, एआईएमआईएम -1, कांग्रेस-2, कुल-17
कर्नाटक: भाजपा-13, कांग्रेस-13, जेडी(एस)-2, कुल-28
केरल: यूडीएफ- 12,एलडीएफ-7, भाजपा-1 , कुल-20
इससे पहले जिन राज्यों में भाजपा का खाता भी नहीं खुलता था, उन राज्यों से भी भाजपा को अभूतपूर्व वोट शेयर मिलने की उम्मीद है। आइए अब बचे अन्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के वोटर्स का मूड भी जान लेते हैं।
उत्तराखंड: भाजपा-5. कुल-5
पंजाब: कांग्रेस-9, अकाली दल-3, आप-1, भाजपा-0, कुल-13
झारखण्ड: भाजपा-8, जेएमएम-3, कांग्रेस-2, जेवीएम(पी)-1 कुल-14
गुजरात: भाजपा-26,कांग्रेस-0, कुल- 26
हिमाचल प्रदेश: भाजपा-4, कांग्रेस-0, कुल-4
महाराष्ट्र: भाजपा-22, शिवसेना-10, कांग्रेस-9, एनसीपी-7, कुल-48
गोवा: भाजपा-2, कांग्रेस-0, कुल-2
जम्मू कश्मीर: भाजपा-2, एनसी-1, कांग्रेस-2, पीडीपी-1,कुल-6
असम: भाजपा- 8, एआईयूडीएफ-2, कांग्रेस-4, कुल-14
अन्य पूर्वोत्तर के राज्य: भाजपा-3, कांग्रेस-3, एमएनएफ-1, एनपीपी-1, सीपीआई(एम)1, एनडीपीपी-1, एसडीएफ-1. कुल-11
अन्य केंद्रशासित प्रदेश: भाजपा-4, कांग्रेस-2 कुल-6
अब देखते हैं कि पूरे देश में सभी बड़े राजनीतिक दल कितनी सीटों पर जीत हासिल कर सकते हैं:
भाजपा- 238, कांग्रेस-82, टीएमसी-30, वाईएसआर कांग्रेस-22, एसपी-18 , बीएसपी-16, डीएमके-16 , एआईएडीएमके-12, टीआरएस-14 व अन्य-95, कुल-543
अगर गठबंधन की बात की जाए तो भाजपा अपने साथी दल जैसे एआईएडीएमके, जेडीयू, शिवसेना,अकाली दल के साथ मिलकर कुल 285 सीटें जीत सकती है, और बहुमत का आंकड़ा है 273! यानि भाजपा अपने साथी दलों के साथ मिलकर केंद्र की सत्ता को हासिल कर सकती है। भाजपा अपने महीने-भर के चुनाव अभियान में अपने पक्ष में और ज़्यादा वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर सकती है।
ऊपर दिए गए आकंड़ो से यह साफ जाहिर है कि भाजपा गुजरात, हिमाचल प्रदेश, गोवा व उत्तराखंड जैसे राज्यों में क्लीन स्वीप करने का दमखम रखती है। गुजरात में पिछले 24 सालों से सत्ता पर काबिज़ भाजपा एक बार फिर इतिहास दोहरा सकती है। 24 सालों से सत्ता में रहने के बाद भी अपने विरोधियों को जीत का एक भी मौका ना देना यह दर्शाता है कि गुजरात की जनता की पहली और एकमात्र पसंद सिर्फ भाजपा है, और वहां के लोग अपने पूर्व मुख्यमंत्री को एक बार फिर देश का प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं।
वहीं देश के विपक्ष, खासतौर पर कांग्रेस के लिए जनता के पास एक और सबक है। हमेशा देश से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर जनता की सोच से हटकर बयानबाज़ी करना कांग्रेस की आदत सी हो गयी है। अगर कांग्रेस में आत्मचिंतन की कोई गुंजाईश है भी, तो वह इंडिया टीवी के इस सर्वे के नतीजों में अपने लिए ‘आइना’ खोज सकती है। इस सर्वे से कांग्रेस को एक और बता समझने की जरूरत है वो ये कि उसे अपनी गंदी राजनीति से अब बाज आना चाहिए क्योंकि जनता अज भी उसके शासनकाल में हुए घोटाले, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण की राजनीति को नहीं भूली है।
वहीं आपको यह भी बताते चलें कि यह सर्वे लोकसभा चुनाव से एक महीने पहले हुआ है और आने वाले एक माह में सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी मैदान में घोषणाओं तथा दावों के छक्के लगाना चाहेंगी जिससे कि लोकसभा चुनाव के नतीजों पर बेशक असर पड़ सकता है। वहीं भाजपा पिछले 5 सालों में किये अपने कार्यों का लेखा-जोखा जनता के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास करेगी, जिसकी शुरुआत भाजपा पहले ही कर चुकी है।