सैटेलाइट्स से मिली कुछ अहम तस्वीरों के अध्यन से यह पता चला है कि भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की पूरी जल-सेना समुद्र में उतर आयी है और हाई अलर्ट पर है। द प्रिंट के द्वारा किये इस अध्यन में यह साफ हुआ है कि पाकिस्तान के कराची, ओरमारा और ग्वादर बंदरगाहों पर कोई भी पाकिस्तानी जल सेना का जहाज़ नहीं खड़ा है बल्कि सभी जहाज़ों को पेट्रोलिंग के काम पर लगाया हुआ है। आपको बता दें कि पाकिस्तान द्वारा थल सेना के 9 फ्रिगेट्स, 8 सबमरीन और 17 पेट्रोल व्हीकल्स को अरब खाड़ी में पेट्रोलिंग के काम पर लगाया हुआ है।
पाकिस्तान के मुकाबले भारत के पास कहीं ज़्यादा श्रेष्ठ जल सेना है जिसके पास 1 परमाणु संपन्न पनडुब्बी के साथ-साथ 15 अन्य पनडुब्बियां भी हैं। इसके अलावा भारत के पास 1 विमान-वाहक युद्धपोत भी है। भारतीय जल सेना के पास इन के अलावा 14 डेस्ट्रॉयर्स, 13 फ्रिगेट्स और 106 पेट्रोल व्हीकल्स भी हैं जो इसे दुनिया की सबसे श्रेष्ठ जल सेनाओं में से एक बनाता है।
पुलवामा हमले के बाद गुस्साए भारत ने अपनी थल सेना के द्वारा पाकिस्तान पर पूर्ण समुद्री नाकाबंदी लगाने का विकल्प खुला रखा था जिसके बाद पाकिस्तान में लगातार इसको लेकर भय की स्थिति बनी हुई है। दरअसल यह पाकिस्तान भी जनता है कि भारत के पास ऐसा करने की सैन्य शक्ति के साथ-साथ कूटनीतिक शक्ति भी है। आपको बता दें कि जल-सेना द्वारा किसी दुश्मन देश के व्यापार को क्षति पहुँचाने के लिए ऐसे समुंद्री नाकाबंदियों का सहारा लिया जाता है। पहले विश्व युद्ध के समय भी अपने दुश्मनों को आर्थिक क्षति पहुँचाने के लिए ऐसे पैंतरों का इस्तेमाल किया गया था। अलाइड सेनाओं द्वारा जर्मनी पर समुद्री नाकाबंदी के बाद जर्मनी में भुखमरी के हालत पैदा हो गए थे जिसमें लगभग 7 लाख नागरिकों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। कुल मिलाकर युद्ध के हालातों में किसी भी देश द्वारा ऐसे कदमों को उठाया जाता रहा है जिससे कि दुश्मन देश को काफी नुकसान पहुँचाया जाता है और यह तरीका बेहद कामगार साबित होता है। यहाँ अच्छी बात यह है कि भारत के पास पाकिस्तान के साथ-साथ चीन की भी समुंद्री नाकाबंदी करने की क्षमता है क्योंकि हिन्द महासागर में भारतीय थल-सेना का कोई मुकाबला नहीं है, और यहाँ चीन की उपस्तिथि बेहद कम मात्रा में है क्योंकि चीन को अपने पूर्व में अमेरिका से मिलने वाली कड़ी चुनौतियों का भी सामना करना है।
पाकिस्तान में इस वक्त हर रोज़ लगभग 6 लाख बैरल तेल की खपत होती है जिसमें से केवल 15% तेल का ही पाकिस्तान में उत्पादन किया जाता है, बाकी का 85% तेल अरब खाड़ी के माध्यम से पाकिस्तान अरब देशों से आयत करता है। किसी समुद्री नाकाबंदी की स्थिति में पाकिस्तान को निर्यात होने वाले इस तेल को रोका जा सकता है जिससे कि पहले से ही बदहाल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका पहुँच सकता है, और पाकिस्तान में आपातकाल जैसे हालात उत्पन्न हो सकते हैं। पाकिस्तान इन हालातों का सामना कभी नहीं करना चाहेगा, भारत का कड़ा रुख देखकर पाकिस्तान की घबराहट साफ देखी जा सकती है, लेकिन यह बात भी साफ है कि भारतीय थल-सेना द्वारा अगर कभी भविष्य में ऐसा कदम उठाया भी जाता है, तो पाकिस्तान चाहकर भी कुछ नहीं कर सकेगा।