कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का अमेठी के अलावा अब केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ना भी तय हो गया है। हालांकि, उनका इस सीट से लड़ना सीपीआई(एम) को बिल्कुल भी रास नहीं आया। सीपीआई(एम) ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि राहुल गांधी का वायनाड से चुनाव लड़ना वामपंथी दलों के साथ उनकी लड़ाई को दर्शाता है। वहीँ केरल के मुख्यमंत्री पिनरयी विजयन ने राहुल गांधी को भाजपा के खिलाफ लड़ने की नसीहत दी। विजयन ने कहा “राहुल गांधी का चुनाव लड़ने के लिए केरल की सीट का चुनाव करना कांग्रेस पार्टी की लेफ्ट पार्टी के खिलाफ लड़ाई है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को वहां से चुनाव लड़ना चाहिए जहां से बीजेपी के उम्मीदवार मैदान में हैं।” आपको बता दें कि अमेठी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर के चलते राहुल गांधी ने दूर दक्षिण के एक मुस्लिम बहुल इलाके में अपने लिए सेफ सीट खोजी थी लेकिन अब उस पर भी उनके सहयोगियों द्वारा ही प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया गया है।
कांग्रेस और सीपीआई(एम) वैसे तो पश्चिम बंगाल में साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन केरल में इन दोनों दलों के बीच भयंकर जंग जारी है। केरल से राहुल गांधी की उम्मीदवारी के बाद सीपीआई(एम) नेता प्रकाश करात ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “कांग्रेस द्वारा राहुल गांधी की उम्मीदवारी के एलान का मतलब वामपंथ को निशाना बनाना है। वायनाड में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के उम्मीदवार उनका मुकाबला करेंगे और हराएंगे।” एलडीएफ में फिलहाल सीपीआई और सीपीआई(एम) के अलावा अन्य कुछ क्षेत्रीय वामपंथी दल भी शामिल है।
Prakash Karat, CPI(M) ex-General Secy: To pick a candidate like Rahul Gandhi against Left means that Congress is going to target the Left in Kerala. This is something which we will strongly oppose & in this election we will work to ensure the defeat of Rahul Gandhi in Wayanad. pic.twitter.com/uIjLgDhxF4
— ANI (@ANI) March 31, 2019
Kerala CM P Vijayan on Rahul Gandhi contesting from Wayanad: He's fighting in one of the 20 constituencies(in Kerala)&doesn't need to be seen as any different. We'll fight him.He should've contested from a constituency where BJP is contesting,it's nothing but a fight against Left pic.twitter.com/VYehOrfJb8
— ANI (@ANI) March 31, 2019
माना जा रहा है कि इस बार अमेठी में भाजपा की पकड़ बेहद मज़बूत है और राहुल को ईरानी द्वारा शिकस्त का सामना करना पड़ सकता है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2009 में लगभग पौने चार लाख वोटों के फासले से एकतरफा जीत हासिल करने वाले राहुल गांधी वर्ष 2014 में ईरानी से मात्र एक लाख वोटों से जीत पाए थे। 2014 के बाद के पांच सालों को देखें तो ईरानी लगातार अमेठी के दौरे कर वहां के लोगों का दिल जीतती रही है। कांग्रेस को डर है कि, 2009-14 के बीच करीब 3 लाख वोट कम हुए थे और अब यदि इस बार 3 लाख और कम हो गए तो इस सीट से राहुल चुनाव हार जाएंगे।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब दक्षिण भारत से कांग्रेस परिवार के किसी सदस्य ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया हो। इससे पहले साल 1999 में कर्नाटक की बेल्लारी सीट से सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा था, जिन्होंने भाजपा नेता सुषमा स्वराज को हराया था। इसके अलावा साल 1978 में कर्नाटक की ही चिकमंगलूर सीट से इंदिरा गांधी भी चुनाव लड़ चुकी हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आज तक कोई दल गांधी परिवार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया, लेकिन राहुल गांधी की राजनीतिक छवि पिछले नेताओं के मुकाबले कमज़ोर होने की वजह से उनकी स्वीकार्यता बेहद कम है।
राहुल गांधी अपनी हार को लेकर इतने डरे हुए है कि उन्हें वायनाड जैसी सीट चुननी पड़ी है जो कि राज्य में कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है। आपको बता दें कि इस सीट से सांसद एमआई शनवास ने पिछले लोकसभा चुनाव में सीपीआई के नेता सत्यन मोकरी को हराया था। शनवास को यहां 41.21 फीसदी यानि 377035 मत हासिल हुए थे, जबकि सीपीआई के उम्मीदवार सत्यन मोकरी को 38.91 फीसदी यानि 365165 मत हासिल हुए थे। इसके अलावा वायनाड मुस्लिम एवं ईसाई समुदाय बहुल इलाका है, व इसकी सीमा तमिलनाडु एवं कर्नाटक राज्य से लगती है।