मुझे नौलखा मंगा दे रे ओ सैंया दीवाने…गाने से रुपहले पर्दे पर आग लगाने वाली मशहूर अदाकारा जया प्रदा अपने पुराने दुश्मन आजम खान के खिलाफ 2019 के चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। बीजेपी में शामिल होने के बाद बीते मंगलवार को बीजेपी द्वारा जया प्रदा को यूपी की रामपुर सीट से टिकट दिया गया है। अपने 30 साल के करियर में कामचोर, शराबी, मां, आज का अर्जुन, ऐलान-ए-जंग, सिंदूर, थानेदार, संजोग, मकसद, तोहफा, आखिरी रास्ता जैसी करीब 300 फिल्में कर चुकीं जया प्रदा को रामपुर से आजम के खिलाफ टिकट मिलना राजनीतिक विपक्षियों के होश उड़ाने वाला है। रामपुर की यह लड़ाई सिर्फ एक चुनावी जंग ही नहीं रहने वाली बल्कि इस चुनाव में आजम खान और जया प्रदा की निजी दुश्मनी भी निकलने वाली हैं। यही वजह है कि, यह चुनावी जंग 2019 के लोकसभा चुनावों में बेहद रोचक होने वाली है।
जया प्रदा का रामपुर लोकसभा सीट से आजम खान के सामने चुनाव लड़ने को सियासी दुश्मनी में बदला लेने के तौर पर देखा जा रहा है। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी तेलगू देशम से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाली जया प्रदा साल 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा पहुंचीं थीं। जया दो बार रामपुर से सांसद भी रह चुकी हैं।
आजम बनाम जयाप्रदा की लड़ाई साल 2004 से शुरू हुई, जब पहली बार जयाप्रदा यहां से सपा के टिकट से विजयी हुई थीं, आजम खान चाहते थे की इस सीट पर उनकी पत्नी को टिकट मिले लेकिन उस वक्त सपा में नंबर 2 की हैसियत रखने वाले अमर सिंह की कोशिशों के आगे आजम खान की एक नहीं चली और टिकट जयाप्रदा को ही मिला। इसने जया बनाम आजम की जंग को जन्म दिया और इस जंग ने बड़ा रूप तब धारण कर लिया जब जयाप्रदा ने खुले आम आजम खान और उनके कार्यकर्ताओं पर उनके साथ बदसलूकी करने और कुछ न्यूड तस्वीरों को उनकी बताकर रामपुर में वायरल करने का आरोप लगाया था। साल 2009 के लोकसभा चुनाव में जया प्रदा के एसपी कैंडिडेट होते हुए भी आजम खान ने उनका जमकर विरोध किया था लेकिन इसके बावजूद जया प्रदा ने फिर भी जीत दर्ज की। उस समय भरी सभा में मंच से जया प्रदा के आंसुओं से भी खूब विवाद हुआ था।
जब आजम खान ने जया प्रदा को कहा नाचने वाली
कुछ दिनों पहले की बात है जब जयाप्रदा का आजम को लेकर बयान विवादों में रहा था। जयाप्रदा ने कहा था, “जब मैं पद्मावत देख रही थी, अलाउद्दीन खिलजी के किरदार ने मुझे आजम खान जी की याद दिला दी। मैं सोच रही थी कि जब मैं रामपुर से चुनाव लड़ रही थी तब उस शख्स ने किस तरह से मुझे प्रताड़ित किया था।” इसका जवाब देते हुए आजम खान ने कहा था, “पद्मावत फिल्म बनी है। सुना है खिलजी का किरदार काफी बुरा है। खिलजी के आने से पहले ही पद्मावती इस दुनिया से चली गई थी। लेकिन एक महिला, नाचने वाली ने मेरे बारे में टिप्पणी की है। बताइए, अगर मैं नाचने गाने वाली के मुंह नही लगता। अगर मैं उनके मुंह लगूंगा तो सियासत कैसे करुंगा।”
एसिड अटैक के भी लगाए हैं आरोप
इससे पहले जयाप्रदा ने सपा नेता और रामपुर से विधायक आजम खान पर गंभीर आरोप लगाए थे और दावा किया था कि आजम ने उन पर एसिड अटैक कराने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था, ‘जिस परिस्थिति में मैं एक महिला के तौर पर आजम खान के साथ चुनाव लड़ रही थी, उस समय मुझ पर तेजाब हमला और मेरी जान को खतरा था…जब कभी मैं घर से बाहर जाती, मैं अपनी मां को यह भी नहीं बता सकती थी कि मैं जिंदा लौटूंगी या नहीं।’ जयाप्रदा का कहना था कि ‘मुलायम सिंह ने एक बार भी फोन करके उनका हाल नहीं जाना।
‘एक समय तो तंग आकर आत्महत्या करना चाहती थी मैं‘
जयाप्रदा ने कहा कि जब उनकी तस्वीरों में विद्वेषपूर्ण बदलाव कर उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, तो उन्होंने आत्महत्या करने तक का सोच लिया था। जयाप्रदा ने कहा, ‘अमर सिंह डायलिसिस पर थे और मेरी तस्वीरों में विद्वेषपूर्ण बदलाव कर उसे रामपुर में फैलाया जा रहा था। मैं रो रही थी और कह रही थी कि अब मुझे और नहीं जीना है, मैं आत्महत्या करना चाहती हूं। मैं सदमे में थी और किसी ने मेरा समर्थन नहीं किया।’ उन्होंने बताया,’डायलिसिस से आने पर सिर्फ अमर सिंह जी मेरे साथ खड़े हुए, मेरा समर्थन किया।’ जयाप्रदा ने यह भी कहा है कि, ‘मणिकर्णिका फिल्म में वे जो कुछ भी दिखा रहे हैं, मैं उस जैसा महसूस कर रही हूं। एक महिला दुर्गा का अवतार भी ले सकती है।’
जया दो बार जीत चुकी हैं रामपुर सीट
गौरतलब है कि, जया प्रदा समाजवादी पार्टी और तेलुगू देशम पार्टी में रह चुकी हैं। समाजवादी पार्टी के टिकट से ही वे दो बार साल 2004 और 2009 में रामपुर सीट से सांसद चुनी जा चुकी हैं। दोनों ही बार जया प्रदा ने कांग्रेस की उम्मीदवार बेगम नूर बानों को हराया था। मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह के बीच मतभेद होने के बाद जयाप्रदा ने समाजवादी पार्टी छोड़ दी थी। चर्चाएं हैं कि जया प्रदा के गॉड फादर माने जाने वाले अमर सिंह की पहल पर ही जया प्रदा बीजेपी में शामिल हुई हैं। साथ ही शर्त ये थी कि वो रामपुर से ही चुनाव लड़ेंगी, ताकि अपने पुराने विरोधी आजम खान से सीधी लड़ाई लड़ सकें।
आजम खान का गढ़ मानी जाती है मुस्लिम बहुल रामपुर सीट
वहीं आजम खान की बात करें तो वे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता हैं। वे रामपुर के विधायक रहे हैं और मुलायम व अखिलेश सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। रामपुर यूपी की मुस्लिम बहुसंख्यक लोकसभा सीटों में से एक है। यहां 50.57 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है जबकि 45.97 प्रतिशत हिंदू आबादी है। मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण यह क्षेत्र आजम खान का गढ़ माना जाता है। पिछले चुनावों में मोदी लहर के कारण सबको आश्चर्य में डालते हुए यहां से बीजेपी के नेपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी।
इस बार जयाप्रदा के लिए होगी चुनौती
पिछले लोकसभा चुनाव यानी साल 2014 के लोकसभा चुनाव में रामपुर सीट बीजेपी के खाते में गई थी। बीजेपी प्रत्याशी डॉ. नेपाल सिंह 358616 वोट पाकर विजयी हुए थे। दूसरे नंबर पर यहां समाजवादी पार्टी थी जिसे 335181 वोट मिले थे। कांग्रेस तीसरे और बीएसपी चौथे नंबर पर रही थी। उस समय सपा और बसपा अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे लेकिन इस बार समाजवादी पार्टी और बीएसपी मिलकर चुनाव लड़ रही हैं और इस हिसाब से देखें तो जयाप्रदा की राह आसान नहीं होगी।
स्पष्ट है कि, रामपुर सीट पर दोनों ही उम्मीदवार किसी से कम नहीं है और दोनों की अपनी निजी दुश्मनी भी है इसलिए यह सीट आने वाले दिनों में सुर्खियों में रहने वाली है।