द हिंदू ने एक बार फिर से आधे-अधूरे तथ्यों के साथ खबर प्रकाशित की है। इस खबर में ये दावा किया गया है कि नेहरू को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा कोई औपचारिक या अनौपचारिक प्रस्ताव मिलने की बता को ख़ारिज कर दिया था। नेहरू ने 27 सितम्बर, 1955 को डॉ। जेएन पारेख द्वारा इस मामले से जुड़े सवाल के जवाब में यह कहा कि उन्हें कोई औपचारिक या अनौपचारिक प्रस्ताव मिला ही नहीं था।
द हिंदू के अनुसार, 27 सितंबर, 1955 को संसद सदस्य डॉ. जेएन पारेख की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में पंडित नेहरू कहा था, “इस तरह का कोई औपचारिक या अनौपचारिक प्रस्ताव नहीं है। प्रेस में कुछ अस्पष्ट सन्दर्भ दिखाई दिए लेकिन उनमें कोई आधार नहीं है। सुरक्षा परिषद की संरचना संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा निर्धारित की गई है। चार्टर में संशोधन के बिना इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। इसलिए, सीट की पेशकश या भारत का इससे इंकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। हमारी घोषित नीति संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए योग्य सभी देशों के प्रवेश का समर्थन करना है।”
द हिंदू ने आधे-अधूरे तथ्यों के साथ खबर को पेश किया। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। दरअसल, तीसरे विश्वयुद्ध के बाद जब 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन हुआ तो विश्वयुद्ध में जापान के खिलाफ़ चीन के योगदान को देखते हुए सोवियत संघ द्वारा उसको स्थायी सदस्यता दिलाने की बात कही जाने लगी। उस समय अमेरिका माओत्सेतुंग के कम्युनिस्ट चीन के खिलाफ था और उसकी जगह च्यांग काइ शेक के फारमोसा, जो अब ताइवान है, उसे सदस्य बना दिया। कहा जाता है कि अमेरिका कम्युनिस्ट चीन के बजाय 1950 में प्रजातांत्रिक भारत को स्थायी सदस्य बनाना चाहता था लेकिन, जवाहर लाल नेहरू ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके पीछे उनके द्वारा यह तर्क दिया गया कि भारत को अगर चीन की जगह स्थायी सदस्य बनाया जाता है तो इससे इस क्षेत्र में एक प्रतिस्पर्धा का माहौल बन जाएगा जोकि शांति के लिए घातक साबित होगा। नेहरू चीन की समाजवाद नीतियों से काफी प्रभावित थे, और चीन के साथ भारत के अच्छे रिश्तों की वकालत करते थे। उन्होंने भारतीयों और चीनियों के बीच एक सकारात्मक संवाद को स्थापित करने के लिए ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा भी दिया जिसका जवाब चीन ने वर्ष 1962 के युद्ध में बड़े भरपूर अंदाज से दिया।
One always knew BJP is a party of supreme liars, Ravi Shankar Prasadji proved it yet again!
Nehru didn't keep India out of UNSC or reject Kennedy offer, it is just rhetoric https://t.co/MQVM4PxTHg— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) March 14, 2019
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने भी बिना इतिहास में झांके ही द हिंदू की इस रिपोर्ट को ट्वीट कर बीजेपी पर हमला बोला। कांग्रेस प्रवक्ता को जवाब देते हुए एक ट्विटर यूजर ने करारा दिया। यूजर ने एक के बाद एक ट्वीट कर द हिंदू की आधी-अधूरी रिपोर्ट का पर्दाफाश कर दिया। यूजर ने लिखा कि इस बयान को देने से पहले ही प्रधानमंत्री महोदय एक नहीं, दो-दो बार इस प्रस्ताव के दिए जाने और अपने उसे नकारने की बात स्वीकार चुके थे। इसके साथ ही यूजर ने नेहरू जी के एक पत्र का भी जिक्र किया जिमसें चीन के साथ अन्याय न होने देने के लिए अस्वीकार कर दिया था। ये ट्वीट इस प्रकार है:
2) Congress handles have all taken refuge of the Firstpost article written by Sandipan Sharma to claim "No such offer(UNSC seat) was ever given". pic.twitter.com/nSMc0fwpDH
— True Indology (@TrueIndology) March 14, 2019
9) In a letter to Nehru dated 24th August 1950, Indian Ambassador to US and Nehru's sister Vijayalakshmi Pandit reveals that US State department made a proposal to India for UNSC seat.
Those were the days of Cold War and US was looking at a potential ally in India pic.twitter.com/9JsWFczDNv
— True Indology (@TrueIndology) March 14, 2019
ये शर्मनाक है कि देश के सबसे पुराना अखबार द हिंदू इस तरह से तथ्यों को तोड़-मोड़ कर पेश कर रहा है। इससे पहले इस प्रतिष्ठित अख़बार ने राफेल मुद्दे को लेकर एक आधी अधूरी रिपोर्ट जरिये मोदी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की लेकिन रक्षा मंत्री ने सभी झूठ और दावों पर पानी फेर दिया था।