उत्तर प्रदेश में विपक्ष जिस आवारा गोवंश को लेकर बार-बार योगी सरकार को घेरता रहा है, वह समस्या अब उत्तर प्रदेश से लगभग समाप्त होने की ओर है। आए दिन ट्रैफिक की समस्या बनने वाले और खेतों को नुकसान पहुंचाने वाले आवारा गोवंश को योगी सरकार ने गोशालाओं में भेजने का काम किया है। इसके लिए योगी सरकार ने सिर्फ योजना तैयार की बल्कि सरकारी मिशनरी का भी पूरा सहयोग लिया।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद योगी सरकार ने मार्च 2017 में राज्य में अवैध बूचड़खानों अथवा मीट की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने का काम किया था। यह फैसला अचानक नहीं लिया गया था, बकायदा भाजपा ने इसे अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था। हालांकि, इसकी वजह से राज्य में आवारा मवेशियों की समस्या बड़ी तेजी से बढ़ी। आवारा पशु कहीं ट्रैफिक जैम का कारण बनते, तो कहीं किसानों की फसलों को तबाह कर देते। लोकसभा चुनाव नज़दीक थे, तो लोगों की इस समस्या का समाधान निकालना भी आवश्यक था क्योंकि लोगों का गुस्सा वोटों पर असर डाल सकता था। ऐसे में इस वर्ष फरवरी में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी बजट घोषणा में गौशालाओं के निर्माण अथवा रख-रखाव के लिए 600 करोड़ का भारी-भरकम बजट आवंटित किया। योगी सरकार द्वारा संबंधित प्रशासनिक तंत्र को आवारा मवेशियों को पकड़ने अथवा उन्हें गौशाला में भेजने के काम में लगा दिया गया। अब तीन महीनों से भी कम समय में इसका नतीजा भी देखने को मिल रहा है। इस मुद्दे को लेकर पिछले तीन महीनों से हो-हल्ला मचाने वाला विपक्ष अब आवारा पशुओं का जिक्र तक नहीं करता।
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक अब तक लगभग साढ़े तीन लाख आवारा गोवंशों को गौशालाओं में भेजने का काम किया जा चुका है। इनमें से 3 लाख 26 हजार आवारा पशुओं को उन 5701 अस्थायी गौशालाओं में भेजा गया है जिन्हें पिछले दो महीनों के अंदर ही गावों एवं देहाती क्षेत्रों में बनाया गया है। सरकार ने युद्धस्तर पर इस समस्या को सुलझाने का प्रयास किया और अब उत्तर प्रदेश आवारा पशुओं से मुक्त होने की ओर लगातार कदम बढ़ा रहा है।
यूपी सरकार की इस सफलता को हासिल करने में मुख्यमंत्री योगी के साथ साथ स्थानीय प्रशासन भी बधाई के पात्र हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने गौशालाओं के लिए जब 600 करोड़ रुपयों का आवंटन किया था तो विरोधियों ने इसे ‘बकवास’ और ‘पैसों की बर्बादी’ बताया था। लेकिन यह योगी सरकार के कार्य के प्रति अपने समर्पण को चोट पहुंचाने के लिए काफी नहीं था। योगी सरकार ने एक तरफ हजारों की संख्या में अस्थायी गौ-आश्रयों को बनाने का हुक्म दिया तो दूसरी तरफ आदेश जारी कर सभी जिलायुक्तों से कहा कि 10 जनवरी तक वे सभी आवारा पशुओं को पशु-आश्रयों में भेजना सुनिश्चित करें। इसके बाद प्रशासनिक तंत्र सक्रिय हुआ और आज नतीजा हमारे सामने आया है।
चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में विपक्ष राज्य सरकार पर इस मुद्दे को लेकर जोरदार हमला बोले जा रहा था। मुद्दों की कमी से जूझ रहे विपक्ष को आवारा पशुओं का मुद्दा बड़ा भाया लेकिन योगी सरकार की तत्परता ने विपक्ष को निराश करने का काम किया है। दरअसल, आवारा पशुओं का मुद्दा अब बचा ही नहीं है जिसकी वजह से अब विपक्ष दोबारा मुद्दाविहीन हो गया है।