पिछले पांच सालों में एनडीए सरकार ने देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने की तरफ विशेष ध्यान दिया है। देश की सरकार द्वारा सार्वजनिक यातायात, हाइवे निर्माण, रेलवे, जल परिवहन और हवाई संपर्क को बेहतर बनाने के लिए भारी निवेश किया गया है। पिछले कुछ सालों में कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी कमी की वजह से ही सरकार द्वारा यह निवेश संभव हो पाया है। पिछली यूपीए सरकार द्वारा मनरेगा जैसी ‘लाभकारी’ योजनाओं पर अधिक ध्यान दिया गया जिसके कारण सरकार के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने के लिए आर्थिक संसाधन की कमी हो जाती थी। इससे पहले वाजपेयी सरकार के समय केंद्र सरकार द्वारा सड़क निर्माण को लेकर अपना गंभीर रुख दिखाया गया था जब सरकार ने ‘गोल्डन क्वाड्रीलेटरल नेटवर्क’ और ‘प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना’ जैसी योजनाओं को शुरू किया था।
अब 2019 के आम चुनावों के मद्देनजर जारी हुए भाजपा के घोषणापत्र में फिर एक बार इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर ज़ोर देने की बात कही गयी है। भाजपा द्वारा अगले 5 सालों में 100 लाख करोड़ रुपये तक के निवेश करने की बात कही गई है। वर्ष 2014 में भी भाजपा द्वारा निवेश संबंधी कई वादे किए गए थे, जिन्हें केंद्र सरकार काफी हद तक पूरा भी किया गया है। पिछले पांच सालों में मोदी सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में 2 लाख किमी लंबी सड़कों का निर्माण करवाया गया। पिछले साढ़े 4 सालों के दौरान सरकार द्वारा हर दिन 109 किमी सड़क का निर्माण किया गया, जबकि यूपीए सरकार के समय हर दिन सिर्फ 95 किमी सड़क का ही निर्माण किया जाता था।
मोदी सरकार द्वारा ग्रामीण भारत में सड़क निर्माण के लिए आवंटित बजट में बढ़ौतरी की गई। एनडीए की पिछली सरकार ने ग्रामीण भारत में सड़कों के लिए बजट का 0.6 प्रतिशत हिस्सा आवंटित करने का काम किया था जबकि मौजूदा केंद्र सरकार द्वारा बजट का 0.95 फीसदी हिस्सा इस काम में लगाया गया। वर्ष 2015-16 से पहले ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण का सारा वित्तीय भार केंद्र सरकार पर पड़ता था, लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने इसमें बदलाव करके सिर्फ 60 फीसदी खर्चे को वहन करने का नियम बनाया, जबकि 40 फीसदी खर्चा राज्य सरकार के जिम्मे सौंपा गया। इस नए नियम के बाद केंद्र और राज्य सरकार, दोनों द्वारा ग्रामीण भारत में बनने वाली सड़कों को फंड किया गया जिससे कि इन सड़कों के लिए आवंटित होने वाला बजट पहले के मुक़ाबले काफी बढ़ गया।
वर्ष 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब सिर्फ 55 प्रतिशत जनता के पास सड़क कनेक्टिविटी उपलब्ध थी। पिछले 5 सालों में इसे बढ़ाकर 91 प्रतिशत तक लाया गया है। आपको बता दें कि देश में बनाई गई कुल सड़कों का 50 फीसदी हिस्सा, देश के सबसे गरीब पांच राज्यों (बिहार, मध्य प्रदेश, ओड़ीशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश) में बनाया गया। अब तक देश के पूर्वोत्तर राज्यों में सड़कों का नेटवर्क बेहद कमजोर था, जहां अब मोदी सरकार ने सड़क निर्माण के काम में तेजी लाई है।
भारत के रोड नेटवर्क को बढ़ाने के लिए ग्रामीण सड़कों का निर्माण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यही वजह है कि सड़कों के निर्माण में ग्रामीण इलाकों को अधिक महत्ता दी गई है, जहां कुल बनाई 17 लाख किमी लंबी सड़क का 73 प्रतिशत नेटवर्क गांवो में बिछाया गया है। गडकरी के नेतृत्व वाले मंत्रालय ने पिछली सरकारों की तुलना में 60-70 प्रतिशत अधिक हाईवे बनाए हैं।
देश की एक बड़ी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, इसलिए इन इलाकों में सड़कों के नेटवर्क का मजबूत और घना होना बहुत जरूरी है। इन सड़कों से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक सहूलियत प्रदान होती है। इन सड़कों के निर्माण से जहां एक तरफ ग्रामीण बाज़ार की पहुंच बढ़ती है, तो वहीं दूसरी तरफ देश की जीडीपी में भी ग्रामीण क्षेत्र अपना अहम योगदान देंने में सक्षम हो पाता है।