लोकसभा चुनाव 2019 राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है जिसके चलते पूरे देश की राजनीति में उथल पुथल मची हुई है। ये चुनाव पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी बहुत मायने रखते है इसलिए पश्चिम बंगाल की सत्ता रूढ पार्टी टीएमसी ने यहां सत्ता में बने रहने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगा दिया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में खुलेआम मुस्लिम वोटरों को पत्र भेजे जा रहे है जिनमें मुस्लिम वोटरों से एकजुट होकर सेक्युलर ताकतों के लिए वोट अपील की जा रही है। स्थानीय लोगों को ये समझ आ सके इसलिए ये पत्र उर्दू और बंगाली भाषा में लिख कर भेजे गए है। ये पत्र पश्चिम बंगाल के इमामों द्वारा लिखा गया है जिसमें धर्म के नाम पर वोट की अपील की गयी है। कहा जा रहा है कि इसका सीधा फायदा ममता बनर्जी को ही होगा।
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में 10 हज़ार पत्र मतदाताओं को भेजे गए। इस पत्र में मुस्लिमों को एकजुट होकर ‘सेक्युलर ताकतों’ को वोट डालने की अपील की गयी है। इन पत्रों में ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल की राज्य इकाई के प्रमुख कारी फजलुर रहमान, रेड रोड में ईद के मौके पर नमाज पढ़ाने वाले सबसे प्रमुख इमाम, नखोड़ा मस्जिद के इमाम मौलाना शफीक काशमी जैसे नामी मुसलमान नेताओं के दस्तखत हैं। पत्रों में ये भी लिखा गया है कि ‘खुद भी वोट डालें और अपने रिश्तेदरों को भी वोट डालने के लिए प्रेरित करें।‘
पत्रों में लिखा है कि ‘लोकतंत्र में चुनावों का कोई विकल्प नहीं है। इसमें हमें अपनी सरकार चुनने का मौका मिलता है। एक भी गलती हुई तो आपको पूरे 5 साल तक इंतजार करना पड़ता है, इसलिए आप अपना वोट सोच समझकर दें। फजलुर रहमान ने कहा, हम अपने मुस्लिम भाइयों से अपील कर रहे हैं कि वह सावधानी और सोच समझकर वोट दें। जिससे सांप्रदायिक ताकतें अपना सिर न उठा सकें। पत्र में सेकुलर ताकतों को वोट करने की अपील के साथ ये बताया गाय है कि अगर ऐसा नही हुआ तो राज्य में फासिस्ट ताक़तें जीत जाएंगी।
जब उनसे पूछा गया कि पश्चिम बंगाल में कौन सेक्युलर पार्टी है, लोगों को किस पार्टी को वोट देना चाहिए? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि ‘जो भी राज्य में मजबूत सरकार हो और जिसके जीतने के ज्यादा चांस हों।‘ तृणमूल कांग्रेस पार्टी कि ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा ‘बंगाल में सबसे ज्यादा चांस इस बात के हैं कि यहां पर राज करने वाली पार्टी को मुस्लिम वोट सबसे ज्यादा मिलेंगे। लेकिन मुस्लिम वोट नहीं बंटने चाहिए।‘
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटरों की संख्या एक बड़ा वोट बैंक है। जिसके चलते बंगाल में मुस्लिम वोटों को पाने के लिए राजनीतिक पार्टियां अक्सर ही मुस्लिम वोटरों को रिझाने के प्रयास करती दिख जाती हैं, लेकिन इस तरह का प्रचार, सीधे सीधे धर्म और जात के नाम पर राजनीति को दिखाता है। शर्मनाक है कि इमामों का सहारा ले रही टीएमसी अपनी ज़मीन बचाने के लिए ऐसे तरीके भी अपना रही है।
टीएमसी और भारतीय जनता पार्टी के बीच तनातनी की खबरों के बीच यहां हो रहे मतदान पर देशभर के राजनीतिक जानकारों की नजरें टिकी हुई हैं। जहां एक ओर भाजपा इस चुनाव में पश्चिम बंगाल में कम से कम 23 सीटें जीतने का दावा कर रही है, वहीं ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस अपना राज बचाए रखने की भरपूर कोशिश कर रही है। ये तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगे के बंगाल की जनता ममता के इस जंगल राज को फिर से सर आँखों पर बैठाती है या जागरूक होकर राज्य के अच्छे भविष्य के लिए एकजुट होकर वोट करती है।