भोपाल के लोगों को जिस फैसले का लंबे समय से इंतजार था आज वह पूरा हो गया है। बीजेपी ने मध्यप्रदेश की भोपाल सीट से साध्वी प्रज्ञा को टिकट दे दिया है। वह यहां कांग्रेस उम्मीदवार और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को चुनौती देंगी। साध्वी प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट मामले में लंबे समय तक दर्दनाक कानूनी प्रक्रिया का सामना कर चुकीं हैं। साध्वी प्रज्ञा आज बुधवार को भोपाल स्थित पार्टी के प्रदेश कायार्लय भी पहुंची थी। यहां उनकी पार्टी के कई आला नेताओं से मुलाकात हुई थी। बता दें कि, भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए बुधवार को उम्मीदवारों की 22वीं सूची जारी की है, जिसमें साध्वी प्रज्ञा के नाम की भी घोषणा की गई है।
BJP releases list of four candidates for #LokSabhaElections2019 in Madhya Pradesh; Sadhvi Pragya Singh Thakur to contest from Bhopal against Congress's Digvijaya Singh. pic.twitter.com/mSiSX8Xfsz
— ANI (@ANI) April 17, 2019
बता दें कि, मध्यप्रदेश की भोपाल सीट एक बार फिर तब चर्चा में आ गयी थी जब ये खबर चली कि बीजेपी भोपाल से साध्वी प्रज्ञा को टिकट देने के बारे मे विचार कर रही है। भोपाल से कांग्रेस दिग्विजय सिंह के नाम का ऐलान पहले ही कर चुकी है जो कि काफी विवादित नेता रहे हैं। वे कई बार देश को तोड़ने वाले और हिंदू विरोधी बयान भी दे चुके हैं। हाल ही में एयर स्ट्राइक पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे। इस तरह बीजेपी ने दिग्विजय के सामने पक्की हिन्दू छवि वाली साध्वी प्रज्ञा को मैदान में उतारकर बड़ा दांव खेला है। यहां दिग्विजय सिंह के सामने साध्वी प्रज्ञा को एक मजबूत और अच्छा उम्मीदवार माना जा रहा है।
Sadhvi Pragya Singh Thakur, BJP on her candidature from Bhopal, MP in #LokSabhaElections2019 : Hum tayar hain, ab ussi karya mein lag gayi hun. pic.twitter.com/16PE5OcVSG
— ANI (@ANI) April 17, 2019
बता दें कि, साध्वी पहले ही दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने की अपनी इच्छा ज़ाहिर कर चुकी थी। भोपाल में साध्वी ने कहा है कि उनका राजनीति में आने का यही सही समय है। बीजेपी को अपनी विचारधारा की पार्टी बताने के साथ ही उन्होंने दिग्विजय सिंह को ‘देश का दुश्मन’ भी बताया था। प्रज्ञा ने काफी आक्रामक तेवर में साफ कहा था कि, “मैं देश के दुश्मनों को खुली चुनौती देती हूँ और देश के दुश्मनों के खिलाफ संघर्ष करने को हमेशा तैयार हूँ, मेरे जैसे राष्ट्रभक्त देश के दुश्मनों को मुहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।”
गौरतलब है कि, साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट केस में साध्वी को आरोपी बनाए बनाया गया था। मालेगाँव ब्लास्ट में इस्तेमाल की गयी बाइक के बारे में कहा गया था कि वो साध्वी की ही बाइक थी लेकिन बाद में कोई सबूत न मिलने की वजह से उन्हें रिहा कर दिया गया। जेल से रिहा होने के बाद साध्वी प्रज्ञा ने बताया कि उन्हें झूठे केस मे फ़ंसाया गया। तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने हिन्दू आतंकवाद का जुमला गढा और इस नैरेटिव को सेट करने के लिए उन्हे झूठे केस मे फ़साया गया था।
दरअसल, इस मोटरसाइकिल के बारे में इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया कि, चार साल पहले ही वह बाइक बेच दी गई थी उसके बावजूद साध्वी को फंसाया गया और बिना किसी सबूत के 9 सालों तक जेल में रखा गया। कांग्रेस ने तो प्रज्ञा के लिए भगवा आतंक और हिंदू आतंक जैसे शब्दों तक को गढ़ दिया। साध्वी को गिरफ्तार किए जाने के बाद एटीएस द्वारा पूछताछ के बहाने 23 दिनों तक उन्हें प्रताड़ित किया गया था।
साध्वी ने बताया था कि, 23 दिनों की इस पूछताछ में उनकी हथेलियों, पैरों और तलवों पर बेल्ट से बुरी तरह पीटा गया था। साध्वी ने बताया, ‘मुझे उल्टा लटका दिया गया, और वे बेहोश होने तक मुझे पीटते रहे। पुछताछ के दौरान मेरे साथ अश्लील भाषा और गालियों का प्रयोग किया गया। मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से इस हद तक आघात पहुंचाए गए कि मैं आत्महत्या करना चाहती थी। इन यातनाओं के गंभीर परिणाम हुए। मुझे भूख लगना बंद हो गई, मिचली आने लगती और बार-बार बेहोशी की हालत में चली जाती।’ इस पूरी प्रताड़ना का लक्ष्य यह था कि साध्वी प्रज्ञा किसी तरह अपराध कबूल कर ले लेकिन प्रज्ञा दृढ़ता के साथ डटी रही थी।
नौ सालों तक बिना सबूतों के बिना प्रज्ञा को जेल में रखने के बाद, साल 2017 में उन्हें रिहा किया गया। साध्वी प्रज्ञा पर हुई यातनाएं इतनी गंभीर थीं कि, उससे प्रज्ञा में स्तन कैंसर विकसित हो गया। कांग्रेस के षड़यंत्र के कारण समाज में उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा क्योंकि उन्हें कांग्रेस ने एक आतंकवादी के रूप में प्रदर्शित करने की पूरी कोशिश की थी।
साध्वी होने से पहले प्रज्ञा एक होनहार छात्रा भी रहीं हैं। वे इतिहास में पोस्ट ग्रेजुएट हैं शुरू से ही उनका झुकाव दक्षिणपंथी संगठनो की तरफ था। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की सक्रिय सदस्य रह चुकी हैं। वे मध्यप्रदेश की ही रहने वाली हैं और भोपाल में आरएसएस और एबीवीपी से जुड़ी रही हैं। वहीं दूसरी और दिग्विजय सिंह पर हिन्दू आतंकवाद शब्द को जन्म देने और दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने का आरोप है। भोपाल सीट पर साध्वी प्रज्ञा का नाम तय होते ही यह भी पक्का हो गया है कि अब भोपाल सीट पर काफी ध्रुवीकरण देखने को मिलने वाला है। भोपाल में दिग्विजय के लिए साध्वी प्रज्ञा एक बड़ी चुनौती ही नहीं बल्कि बहुत भारी भी पड़ने वाली है।