2019 के लोगसभा चुनावों में मतदान का आगाज हो चुका है। देश में आज पहले चरण का मतदान हुआ है जिसके तहत 18 राज्यों की 91 लोकसभा सीटों पर जनता ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। कुछ ही दिनों में मतदान भी संपन्न हो जाएंगे लेकिन विपक्ष में अभी तक प्रधानमंत्री पद के नाम को लेकर कोई एकराय नहीं हुई है। बुधवार को एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कुछ ऐसा बयान दिया जिसने राजनीतिक गलियारों में तहलका मच गया। कल इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात की तरफ इशारा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से बाहर हैं और उनका मकसद सिर्फ भाजपा को हराना है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अभी पीएम मोदी को कुर्सी से हटाना चाहते हैं और चुनावों के बाद सभी एनडीए विरोधी पार्टी साथ मिलकर यह तय करेंगी कि अगला पीएम कौन होगा। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार डॉक्टर मनमोहन सिंह को सभी पार्टियों ने निर्विरोध तरीके से चुनकर प्रधानमंत्री बनाया था, इस बार भी सभी को ऐसे ही चेहरे की तलाश रहेगी।
हालांकि, शरद पवार का यह बयान उन कांग्रेस समर्थकों को बिल्कुल भी रास नहीं आया होगा जो राहुल गांधी को देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। राहुल गांधी पिछले काफी समय से अपनी बहन प्रियंका वाड्रा के साथ मिलकर अपना चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उनके समर्थकों का यह मानना है कि कांग्रेस की ‘न्याय’ योजना राहुल गाँधी के लिए किसी ‘बूस्टर’ से कम साबित नहीं होगी, और उनकी छवि एक बचकाना नेता से एक मज़बूत नेता के तौर पर उभरकर सामने आएगी, लेकिन देश के बड़े अर्थशास्त्री पहले ही इस योजना को बकवास बता चुके हैं। अब शरद पवार के इस बयान के बाद एनडीए खेमे को कांग्रेस पर वार करने का एक सुनहरा अवसर मिल गया है, क्योंकि इससे पहले खुद राहुल गांधी अपने आप को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं। आपको बता दें कि शरद पवार ने इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया कि अगला प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी से हो सकता है। हालांकि, उनके मुताबिक भाजपा अकेली सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी लेकिन वह सरकार बनाने में सफल नहीं हो पायेगी।
ठीक चुनावों के वक्त कांग्रेस अध्यक्ष की पीएम उम्मीदवारी पर सवाल उठाकर शरद यादव ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है। जनसभाओं में बचकाने बयान देने और लगातार अपना उपहारस उड़वाने की वजह से राहुल गांधी की छवि पहले ही बहुत कमज़ोर हो चुकी है। राहुल गांधी का केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने का फैसला भी उनके समर्थकों को रास नहीं आया है, जो अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अमेठी के 35 वर्षीय सतीश तिवारी का कहना है कि वे शुरू से ही कांग्रेस के लिए वोट करते आये हैं लेकिन अबकी बार वे स्मृति ईरानी को वोट देंगे। उन्होंने कहा ‘हम राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने के फैसले से बहुत आहत हुए हैं , हमने कांग्रेस को अपने परिवार की तरह समझा, लेकिन उन्होंने अब यह दिखा दिया है कि वे हमारा सिर्फ शोषण करना चाहते हैं।’
इन सब के बीच शरद यादव का यह बयान राहुल गांधी की रही-सही प्रतिष्ठा को भी खत्म करने के लिए काफी है। सवाल यह भी है कि क्या वे अपने ही साथी की नैया डुबाने में लगे हैं? दरअसल, जब कांग्रेस के साथ-साथ देश के सभी विपक्षी दलों की राजनीतिक महत्वकांक्षाएं बहुत ऊंची हो जाएं, तो बिल्कुल यही स्थिति हमें देखने को मिलती है। आज हर विपक्षी दल यही चाहता है कि पीएम पद का उम्मीदवार उसकी पार्टी से बने। मायावती से लेकर, चंद्रबाबू नायडू और खुद शरद पवार तक, हर कोई अपने आप में एक पीएम पद का उम्मीदवार देखता है, जिसकी वजह से ऐसी स्थितियां बनकर उभरती हैं कि नेता अपने घटक दलों के नेताओं को ही गाली देना शुरू कर देते हैं। गौरतलब है कि, शरद पवार से पहले राहुल गांधी को मायावती और अखिलेश यादव भी नकार चुके हैं। अगर कांग्रेस के साथी दल इन चुनावों में जीत पाने में सफल हो जाते हैं, तो पीएम पद की उम्मीदवारी पर बखेड़ा खड़ा होना तय है।