वर्ष 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी गयी थी, तब इस पार्टी के संस्थापकों ने लोगों से ‘पार्टी विद ए डिफ़्रेंस’ यानि एक अलग सोच वाली पार्टी होने का वादा किया था। इस वादे को पिछले चार दशकों से सफलतापूर्वक निभाने के लिए भाजपा पूरी तरह प्रतिबद्ध रही है। पार्टी के लिए राष्ट्र पहले है, फिर पार्टी और उसके बाद व्यक्तिगत हित!
पार्टी के लिए देश को एक बार फिर ‘विश्व गुरु’ का दर्जा दिलवाना सर्वोपरि रहा है। यही कारण है कि पिछली सरकार ने ऐसे कई निर्णय लिए, जो पार्टी के हित में ठीक नहीं थे, जैसे नोटबंदी, रीटेल सैक्टर में एफ़डीआई का उदारीकरण, जीएसटी का क्रियान्वयन इत्यादि। चाहे कोई उन्हे वोट दे या नहीं, भाजपा के लिए राष्ट्रहित सदैव सर्वोपरि रहा है।
यही स्वभाव वर्तमान जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी के मौजूदा निर्णय में दिखा, जब उन्होंने यह बताया कि उनका अगला काम गोदावरी और कृष्णा नदियों को जोड़कर तमिलनाडु को उनके जल संबंधी समस्याओं से निवारण दिलाना है। उनके ट्वीटस के अनुसार, ‘मेरा पहला काम होगा गोदावरी और कृष्ण नदियों को जोड़ना, जिससे तमिलनाडु राज्य को पानी की कमी नहीं होगी।‘
बता दें कि, यह निर्णय तब लिया गया है, जब लगभग पूरे तमिलनाडु ने एनडीए गठबंधन को नकारते हुये डीएमके और कांग्रेस को अधिकतम सीटें प्रदान की हैं। चूंकि नितिन गडकरी ने अपने पिछले कार्यकाल में देश के जल और भूमि सम्बंधित संसाधनों में व्यापक बदलाव लाने में सफलता हासिल की है, इसलिए उनके अपने वर्तमान पद पर बने रहने के पूरे पूरे आसार है।
My first job would be to link Godavari and Krishna and this bring water to TamilNadu – Hon min @nitin_gadkari
This is what BJP is all about
Even though you reject #TNRejectsBJP, they will do their duty.Thank you sir🙏#BJPStandsForTN pic.twitter.com/CQoZQzUpq1
— BJP Tamilnadu (@BJP4TamilNadu) May 25, 2019
चूंकि भाजपा ने इनफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा की पब्लिक और प्राइवेट इनवेस्टमेंट करने का वादा किया है, इसलिए गडकरी और उनके मंत्रालय का महत्व और बढ़ जाता है। नितिन गडकरी को विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ विभिन्न राज्यों के विकास में सहायता करने एवं इनफ्रास्ट्रक्चर संबंधी परियोजनाओं को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया, कि जिस कावेरी के पानी के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु मरने मारने पे उतारू हो जाते हैं, उसी गोदावरी नदी का 1100 मिलियन क्यूबिक फीट पानी समुद्र में बह जाता है।
यदि सरकार गोदावरी, कृष्ण, पेन्नार और कावेरी नदी को आपस में जोड़ने / इंटरलिंक करने में कामयाब होती है, तो कर्नाटक और तमिलनाडु में जल संबंधी सभी समस्याओं का स्थायी समाधान हो सकता है। गडकरी ने आगे यह भी कहा कि, ‘हम गोदावरी के पानी को कृष्णा तक और फिर कृष्णा से पेन्नार और फिर तमिलनाडु में कावेरी तक जोड़ेंगे।‘
तमिलनाडु और कर्नाटक 45 मिलियन क्यूबिक फीट पानी के लिए लड़ते हैं, जबकि 1100 मिलियन क्यूबिक फीट पानी व्यर्थ समुद्र में बह जाता है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने केंद्र सरकार ने राज्य के जल संसाधनों को सुदृढ़ बनाने के लिए कावेरी को गोदावरी से जोड़ने का आग्रह किया था, और उनके आग्रह को स्वीकारते हुए गडकरी ने इस काम को अमल में लाने की शुरुआत भी कर दी है।
भारत का क्षेत्र काफी बड़ा और विविधतापूर्ण है, और इसकी तुलना यूएस, चीन और रूस जैसे चुनिन्दा देशों से ही की जा सकती है। भारत के राज्यों के बीच का भौगोलिक अंतर यूरोप के देशों से कहीं ज़्यादा है। यही कारण है भारत को उपमहाद्वीप का भी दर्जा दिया है। हालांकि इस भौगोलिक अंतर की कुछ खामियाँ भी है, जैसे हर वर्ष बिहार को बाढ़ का सामना करना पड़ता है, तो वहीं सूखे के कारण महाराष्ट्र में कई किसान आत्महत्या करने को विवश होते हैं।
यही कारण है की हमारे देश की वर्तमान सरकार भारत के सभी नदियों को एक दूसरे से जोड़ने की अनूठी परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए संघर्ष कर रही है। यदि मैदानी इलाकों की नदियों को डेक्कन प्लैट्यू की नदियों से जोड़ दिया जाये, तो इससे ना तो मैदानी इलाकों में बाढ़ आएगी, और न ही पठारों में सूखे पड़ेंगे। नितिन गडकरी के नेतृत्व में जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्रालय ने 45000 करोड़ से ज़्यादा रुपये की विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसके तहत देशभर की नदियों को आपस में जोड़ा जाएगा।
हाल ही में नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है की देश के सभी शहर एक गंभीर जल संकट से जूझ सकते हैं, यदि जल संरक्षण एवं प्रबंधन सही ढंग से नहीं किया गया तो भविष्य में भारत के कई बड़े शहरों में गंभीर पानी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। नदियों को आपस में जोड़ने से शहरों को स्वच्छ पानी की कोई कमी नहीं होगी। कुछ वर्षों पहले पड़ोसी देश चीन ने भी इसी प्रकार की समस्या झेली थी, जब उत्तरी भाग में सूखा पड़ा था, और दक्षिणी भाग को बाढ़ से जूझना पड़ा था। ऐसे में चीन ने ग्रैंड कैनाल का निर्माण किया, जिसके तहत यांग्त्ज़ी नदी और यैलो नदी को जोड़ा गया था ।
आज ग्रैंड कैनाल एक विश्व धरोहर है, और इसने चीन में सूखे और बाढ़ की स्थिति में लगाम लगाने में काफी हद तक एक अहम भूमिका निभाई है। इसके साथ ही साथ इस परियोजना से चीन की कृषि क्षेत्र में अप्रत्याशित तरक्की हुई है। यदि भारत ऐसी परियोजनाओं को सफलतापूर्वक अमल में लाता है, तो न केवल देश समृद्ध होगा, बल्कि दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विज़न को एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।