वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा ने ‘अब की बार मोदी सरकार’ का नारा दिया था। इसके बाद देश की राजनीति ने एक जोरदार मोदी लहर को देखा जिसने सालों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 282 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की और अकेले दम पर बहुमत हासिल किया। पिछले पांच सालों में पीएम मोदी के लिए नई चुनौतियां खड़ी करने में विपक्ष ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में जहां गठबंधन का निर्माण किया गया तो वहीं पीएम मोदी पर भ्रष्टाचारी होने के आरोप मढ़े गए। इसके अलावा मीडिया ने भी उनके खिलाफ जमकर दुष्प्रचार किया, जिसके बाद यह माना जा रहा था कि पीएम मोदी और भाजपा के लिए वर्ष 2014 का प्रदर्शन दोहराना बड़ा कठिन साबित होगा। हालांकि, इन चुनावी नतीजों ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमान को फेल साबित करते हुए भाजपा के लिए दोबारा सत्ता में आने का रास्ता साफ कर दिया, और वो भी पिछली बार की तुलना में एक बड़े जनादेश के साथ। अगर आंकड़ों पर नज़र डाली जाए, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि इन चुनावों में मोदी वेव नहीं बल्कि मोदी सुनामी ने भारतीय राजनीति को ‘हिट’ किया था। पार्टी ने अकेले अपने दम पर 300 से ज़्यादा सीटों पर जीत हासिल की जबकि एनडीए को कुल 356 सीटों पर जीत हासिल हुई।
वोट शेयर की बात करें, तो भाजपा ने पिछली बार के मुक़ाबले बेहतर प्रदर्शन करते हुए 39 प्रतिशत वोट शेयर को प्राप्त किया, जबकि पिछली बार पार्टी को सिर्फ 31.3 प्रतिशत वोट शेयर ही मिल पाया था। यानि इस बार भाजपा को उसकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस से लगभग दोगुना वोट शेयर मिला। भाजपा ने अपनी जीती 303 सीटों में से कुल 224 सीटों पर 50 प्रतिशत से ज़्यादा वोट शेयर हासिल किया। भाजपा की इस बड़ी जीत में हिन्दी बेल्ट का सबसे बड़ा योगदान रहा। हिन्दी बेल्ट के राज्यों में भाजपा को 141 सीटों पर जीत हासिल हुई, जो कि कुल कॉन्टेस्ट की गई सीटों का लगभग 71 प्रतिशत है। इतना ही नहीं, हिन्दी बेल्ट में भाजपा को 50 प्रतिशत से ज़्यादा वोटशेयर मिला। गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेशों में तो भाजपा ने क्लीन स्वीप किया है। जबकि मध्य प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों में भी भाजपा ने 1 को छोडकर बाकी सभी सीटों पर कमल खिलाया। इसके अलावा कुछ भाजपा के उम्मीदवारों की जीत काफी बड़े अंतर से मिली। कुल 15 भाजपा उम्मीदवारों को लगभग 5 लाख वोटों के अंतर से जीत मिली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात की गांधीनगर सीट से लगभग साढ़े 5 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई जिन्होंने पांच साल पहले यहां से जीते भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के जीत के अंतर का रिकॉर्ड तोड़ दिया।
भाजपा ने वर्ष 2014 की तरह ही इस बार भी उत्तर प्रदेश में भी शानदार प्रदर्शन किया। पार्टी को पिछली बार की तुलना में 9 सीटें बेशक कम मिलीं, लेकिन महागठबंधन रूपी बड़ी चुनौती के बावजूद भाजपा का राज्य की 62 सीटों पर कब्जा करना किसी करिश्मे से कम नहीं है। पार्टी के वोट शेयर में इस बार जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। पिछली बार पार्टी को 42 प्रतिशत वोट्स मिले थे, तो वहीं इस बार यह आंकड़ा 50 तक जा पहुंचा। सपा-बसपा के महागठबंधन को सिर्फ 15 सीटें मिली जबकि कांग्रेस मुश्किल से अपनी 1 सीट ही बचा पाई।
यह आंकड़े इस बात का सबूत है कि पीएम मोदी के मजबूत नेतृत्व पर भारत के लोगों ने दोबारा अपना विश्वास जताया है। मोदी सरकार के पांच सालों के दौरान विकासवादी नीतियों को जो अभूतपूर्व बल मिला, उसी का नतीजा है कि आज पीएम मोदी को दोबारा लोगों ने अपना प्रधानमंत्री चुना है। लोगों ने अपने जनादेश के माध्यम से यह साफ कर दिया है कि उन्हें देश के चौकीदार पर पूरा भरोसा है और राहुल गांधी जैसे नेताओं के आधारहीन आरोपों की अपनी कोई विश्वसनीयता नहीं है।