लोकसभा चुनाव 2019 में तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस इस बार भी सत्ता वापसी दर्ज़ कराने में असफल रही। जहां एक तरफ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सभी समीकरण झुठलाते हुये 352 सीटों पर विजय प्राप्त कर एक नया कीर्तिमान रचा, वहीं कांग्रेस महज 52 सीट पर सिमट गयी है। इसके बाद तो मानो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर चारों तरफ से आलोचनाओं की बौछार टूट पड़ी, और स्वयं राहुल गांधी के कई स्वघोषित लेफ्ट लिबरल प्रशंसकों ने उनके इस्तीफे की मांग कर दी।
ऐसे में जब राहुल गांधी ने इस्तीफा देने का आवेदन किया, तो पूरे राजनीतिक खेमे में हलचल मच गयी। काफी मान मनौती करने के बाद आखिरकार वो पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर बने रहने के लिए तैयार हो गये। वो तैयार भी इसलिए हुए क्योंकि पार्टी ने उन्हें कहा कि पार्टी में अभी तक उनका कोई विकल्प नहीं है और जब तक कोई विकल्प नहीं मिल जाता वो इस पद पर बने रहे।
अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या सच में राहुल के बाद कॉंग्रेस में कोई विकल्प नहीं बचा है? ऐसा बिलकुल नहीं है। यदि राहुल गांधी वाकई इस्तीफा दे देते, तो कांग्रेस में अभी भी कुछ ऐसे विकल्प हैं, जो उनके बाद पार्टी को सफलतापूर्वक संभाल सकते हैं। इतना ही नहीं, कई मामलों में ये विकल्प नेहरू गांधी खानदान के प्रभाव को कम भी कर सकते हैं। आइये डालते हैं इनमें से कुछ प्रभावी विकल्पों पर एक नज़र –
प्रियंका गांधी वाड्रा –
यदि राहुल गांधी अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो पार्टी अध्यक्ष की सबसे प्रबल दावेदार होंगी प्रियंका गांधी वाड्रा। चूंकि ये नेहरू गांधी वंश से ताल्लुक रखती है, इसलिए इनका पार्टी अध्यक्ष पर निर्विरोध चुने जाने में कोई हैरानी नहीं होगी। कई लोगों के अनुसार, यदि उन्हें थोड़ा सा समय और अनुभव मिले, तो इन्दिरा गांधी की तरह प्रियंका गांधी भी कांग्रेस की किस्मत पलट सकती है।
हालांकि, यह कहना बहुत आसान है, और करना कहीं ज़्यादा मुश्किल। प्रियंका गांधी को पार्टी में प्रवेश मिलते ही पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी प्रभारी बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने जितने भी सीटों पर प्रचार किया, उनमें से अधिकांश सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। यहां तक कि कई सीट तो ऐसी भी थी, जहां कांग्रेस टक्कर देना तो दूर की बात, अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पायी। ऐसे में प्रियंका गांधी को पार्टी अध्यक्ष के तौर पार्टी को नई दिशा देने के लिए एढ़ी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ेगा।
अहमद पटेल –
प्रियंका गांधी के बाद यदि कोई कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए सबसे योग्य है, तो वो हैं वर्तमान राज्यसभा संसद, और एक समय पर यूपीए सरकार में सोनिया गांधी के दाहिना हाथ माने जाने वाले अहमद पटेल। उन्हें लुट्येन्स दिल्ली की राजनैतिक गलियारों की जितनी समझ और अनुभव है, उतना शायद ही कांग्रेस पार्टी में किसी नेता को होगी। यूपीए सरकार में चेहरा भले ही डॉ. मनमोहन सिंह हो, पर संचालक तो असल में अहमद पटेल ही थे।
हालांकि, अहमद पटेल के लिए कांग्रेस अध्यक्ष बनने की राह इतनी भी आसान नहीं होगी। जिस पार्टी में परिवारवाद को तरजीह दी जाती हो, वहां अहमद पटेल का सभी सदस्यों द्वारा स्वीकार किया जाना किसी सपने के साकार होने से कम नहीं होगा।
शशि थरूर –
एक और नेता, जो भविष्य में कांग्रेस अध्यक्ष बन सकते हैं, वो है तिरुवनन्तपुरम से वर्तमान सांसद शशि थरूर। कुशल वक्ता एवं योग्य प्रचारक के साथ ही साथ शशि थरूर काफी ज्ञानी भी है, ये अलग बात है कि इसका उन्होंने उचित उपयोग नहीं किया। हाल ही में लोकसभा में चुनकर आए कांग्रेसी सांसदों में वो इकलौते दिग्गज बचे हैं, चूंकि मल्लिकार्जुन खड़गे, जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया इत्यादि जैसे अन्य कांग्रेसी दिग्गज तो अपने क्षेत्रों में धूम धड़ाके के साथ चुनाव हार चुके हैं।
पर जहां प्रियंका गांधी के लिए उनका प्रदर्शन, और अहमद पटेल के लिए पार्टी में स्वीकार्यता आड़े आ रही है, वहीं शशि थरूर के लिए उनका बड़बोलापन काफी मुसीबतें खड़ी कर सकता है। और तो और, सुनन्दा पुष्कर की रहस्यमयी मौत की गुत्थी अभी भी उनके राह का सबसे रोड़ा है। ऐसे में शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष बन पाएंगे या नहीं, ये तो वक्त ही बता पाएगा।
सचिन पायलट –
लेफ्टिनेंट सचिन बिधूड़ी [टेरिटोरियल आर्मी], जिन्हें सभी सचिन पायलट के नाम से जानते हैं, ये भी कांग्रेस अध्यक्ष बनने की होड़ में शामिल है। उनके पिता, और पूर्व वायुसेना अफसर राजेश बिधूड़ी / पायलट एक समय पर कांग्रेस के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक रह चुके हैं। 2018 में अप्रत्याशित रूप से राजस्थान में कांग्रेस ने वापसी की थी और इसमें सचिन पायलट की भूमिका काफी अहम थी। हालांकि, उनकी लोकप्रियता को दरकिनार करते हुए अशोक गहलोत को एक बार फिर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।
औरों के मुक़ाबले सचिन पायलट इकलौते ऐसे राजनेता हैं जिनकी अभी भी काफी साफ छवि है, और वो राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाने में सक्षम हैं।
इन सभी उम्मीदवारों में कौन राहुल गांधी की जगह लेगा, ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता है, लेकिन यदि कांग्रेस परिवारवाद से ऊपर उठे, तो उनके पास कुशल नेताओं की कमी नहीं है। कमी है तो सिर्फ सही नेता को पहचानने की।