वैसे तो सभी रविवार ख़ास होते हैं, पर आने वाला रविवार दिल्लीवासियों के लिए कुछ विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। क्योंकि रविवार, मई 12, सुबह 7 से शाम 6 बजे तक दिल्ली में मतदान के जरिए तय होगा कि दिल्ली अपनी आवाज़ लोकसभा तक पहुंचाने का ज़िम्मा किन सात महानुभावों को सौंपेगीं। यह लेख एक छोटा सा प्रयास है, जिससे लोगों को (और विशेषकर युवाओं कों) सोच-समझकर बड़ी तादाद में मतदान करने हेतु प्रेरित किया जा सके।
मतदान, आखिर क्यों?
दिल्ली और मुंबई के बीच सर्वोपरिता की होड़ तो सालों से लगी हुई है, और 55.1% प्रतिशत मतदान कर, मुंबई ने तो अपना दांव खेल लिया है। अब बारी है दिल्ली की, मुंबई को पीछे छोड़ने वाला प्रचंड मतदान कर के दिखाने की। खैर, मजाक बहुत हुआ, मतदान करें, क्योंकि यह आपकी नैतिक जिम्मेदारी है; मतदान करें, क्योंकि इस मतदान से चुनी जाने वाली सरकार के कदमों का असर आपके जीवन के हर कदम पर कितना पड़ता है।
विश्वास नहीं होता? बाहर जाकर खाना खाने पर लगने वाले टैक्स (जो की जी.एस.टी लागू होने के बाद घटकर 5% हो गया है) से लेकर वह महामार्ग जिस पर आप गाड़ी दौड़ाते हैं (जिनका निर्माण पिछले पांच वर्ष में अभूतपूर्व गति से हुआ है), हर चप्पे पर सरकार का कोई-न-कोई निर्णय आपको दिखाई पड़ेगा। यहां तक कि, हर क्षण जिस हवा में आप सांस लेते हैं, वह कितनी साफ़ होगी, इसे तय करने में भी सरकार की नीतियों का असर देखने मिलता है- कुछ सरकारे ओड-ईवन जैसे नाकाम तुघलकी फरमान लेकर आती हैं, तो कुछ सरकारे दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए तेज गति से फ्रीवे का निर्माण करके दिखाती हैं। अगर आप उस जमात से ताल्लुक रखते है जो सोचती है, कि मैं तो कुछ ही समय में आगे पढाई के लिए विदेश चला जाऊंगा, तो भी सरकार की परछाईं से आप बच नहीं सकते- पूछिए उन सैकड़ों भारतीयों से, जिन्हें विदेशी भूमि पर, संकट की घड़ी में एक ट्वीट मात्र के माध्यम से विदेश मंत्री की सहायता प्राप्त हुई हो (क्या पांच वर्ष पूर्व कोई सोच भी सकता था, कि महज एक ट्वीट करते ही मंत्री महोदया स्वयं मदद को हाज़िर होंगी?)।
मेरा नाम मतदाता सूची में तो है, पर वोट डालने जाना कहां है?
डिजिटल भारत के इस ज़माने में, चुनाव आयोग ने आपकी उंगलियों पर आपके मतदान केंद्र से संबंधित जानकारी को ला खड़ा किया है। आप या तो https://electoralsearch.in/ वेबसाइट या वोटर हेल्पलाइन एप (https://play.google.com/store/apps/details?id=com.eci.citizen&hl=en_IN) के माध्यम से उपरोक्त जानकारी हासिल कर सकते हैं। स्मार्टफोन से चिपके रहने वाले युवा-वर्ग के सदस्यों का उत्तरदायित्व बनता है कि, न केवल खुद के मतदान केंद्र को पता करें, पर अपने बड़े-बूढों एवं पडोसी आदि को भी पता कर के बताएं और मतदान करने को प्रेरित करें।
वोट किसे देना, इसका निर्णय कैसे करें?
रेडिओ, टी.वी, अखबार, जहां देखो वहां, राजनैतिक दलों के विज्ञापन भरे पड़ें है, एक मुख्यमंत्री तो फोन कर-कर के लोगों को भ्रमित करने का प्रयास तक कर रहे हैं। ऐसे में मतदाता, और विशेषकर पहली बार वोट करने वाले मतदाता, को असमंजस सा होता है, कि वोट दिया किसे जाए? एक सरल नुस्खा है- माता-पिता, दोस्त इत्यादि क्या कह रहें है, उसे परे रखें और अपनी बुद्धि का उपयोग कर के निम्नलिखित कुछ बिंन्दुओं पर खुले मन से विचार करें और फिर अन्दर से जो आवाज़ आए उसके अनुसार वोट डालें।
याद करें 2011-12 के उन दिनों को जब आए दिन एक से बड़ा दूसरा घोटाला सुर्खियों में चमकता रहता था और भ्रष्टाचार से त्रस्त युवा-वर्ग बड़ी तादाद में सड़कों पर उतर आया था। ऐसा क्या हुआ इन पिछले 5 सालों में, कि भ्रष्टाचार के बजाय भारत का ‘मिशन शक्ति’ आसमान को छूने लगा? घोटालों में लूटी गई धन-राशी विक्रम नहीं बनाती आज-कल, विक्रम बनते हैं, तो भारत के सबसे-तेज़ गति से बढ़ती अर्थ-व्यवस्था होने का, विक्रम बनता है तो घर-घर में शौचालय और बिजली के पहुंचाने का। क्या यह बदलाव अच्छा है या बुरा?
अपने माता-पिता से पूछें, 10-12 साल के पहले के उस काल के बारे में, जब आए दिन भारत के बड़े शहरों में बम-धमाके होते रहते थे और बेगुनाहों की जाने जाती रहती थीं। और तो और, भारत की तत्कालीन सरकार हाथ-पर-हाथ धरे बैठी रह जाते थी। ऐसा क्या हो गया 5 सालों में, कि भारत के किसी बड़े शहर में आतकंवादी हमले नहीं हुए? और जब भारत के भीतर हमला न कर पाने से झुंझलाए शत्रु ने सीमावर्ती इलाकों में दुस्साहस किया, तो उसके घर में घुस कर उसको करार जवाब भी दिया गया। मेट्रो में, मॉल में, बाज़ार में, पल-पल अपनी सुरक्षा की चिंता किए बिना, जीवन जीने की आजादी जो पिछले 5 सालों में हमें हासिल हुई है, वह अच्छी है या बुरी?
यह न भूलें की यह चुनाव देश का भविष्य तय करने के लिए हैं। इस लिए वोट करने से पहले यह ज़रूर सोचे की किस पार्टी की नीतियां आपको पसंद है और प्रधानमंत्री पद का कौनसा दावेदार (वैसे यह तो भूल ही गया, कि इस पद का उम्मीदवार घोषित करने की हिम्मत तो एक पक्ष के अलावा किसी की हुई ही नहीं) आपके हिसाब से एक मज़बूत, विकासशील सरकार की अगुवाई करने में सक्षम दिखाई पड़ता है?
अंत में इतना ही कहना चाहूंगा, कि वोट करें, सोच-समझकर करें, क्योंकि आप नहीं चाहते कि देश में भ्रष्टाचार और आतंकवाद का वर्चस्व हो‘!