लोकसभा चुनावों में अपने दम पर 303 सीटें जीतने वाली भाजपा को संसद के निचले सदन यानि लोकसभा में तो बहुमत हासिल हो गया है, लेकिन अब उसकी नज़र संसद के ऊपरी सदन में बहुमत हासिल करने पर है। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास राज्यसभा में इस वक्त 102 सदस्य हैं और किसी भी दल को बहुमत हासिल करने के लिए 123 सांसदों का समर्थन हासिल होना अनिवार्य होता है। यानि इस वक्त एनडीए को बहुमत हासिल करने के लिए 21 सांसदों की आवश्यकता है। आपको बता दें कि अगले साल नवंबर तक राज्यसभा की एक तिहाई सीटें खाली हो जाएंगी, और इन अधिकतर सीटों पर एनडीए के सांसद चुनकर आ सकते हैं। इस लिहाज़ से एनडीए को राज्यसभा में वर्ष 2021 तक बहुमत हासिल हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो भाजपा को संसद से कोई भी बिल पारित करवाने में बड़ी आसानी हो जाएगी।
245 सदस्यीय राज्यसभा में भाजपा के कुल 73 सदस्य हैं जबकि जेडी(यू), शिरोमणि अकाली दल, शिव सेना जैसे एनडीए के घटक दलों के पास कुल मिलाकर 16 सीटें हैं जबकि एआईएडीएमके के 13 सदस्य भी राज्यसभा में एनडीए का समर्थन करते हैं। इन दलों के अलावा अलग-अलग मुद्दों पर टीआरएस, वाईएसआरसीपी और बीजेडी जैसी राजनीतिक पार्टियां भी भाजपा का समर्थन करती आई हैं।
अप्रैल 2020 तक उत्तर प्रदेश, असम, बिहार, झारखंड, हरियाणा, हिमाचल और राजस्थान जैसे राज्यों की कुल 55 सीटें खाली हो जाएंगी और इन सीटों में से ज़्यादातर सीटें एनडीए के खाते में जाने क अनुमान है। भाजपा को सबसे बड़ा फायदा उत्तर प्रदेश में हो सकता है, जहां कुल 9 सीटें खाली होंगी और भाजपा इनमें से 8 सीटों पर अपना कब्जा कर सकती है। इन 55 सीटों के अलावा अप्रैल 2022 में उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 और सीटें खाली होंगी और भाजपा को यहां भी अपनी सीटें बढ़ाने का मौका मिलेगा। इन राज्यों के अलावा भाजपा को असम में भी 4 सीटों का फायदा हो सकता है।
संसद के दोनों सदनों में बहुमत होने के कारण भाजपा को कई अहम बिलों को पास कराने में काफी आसानी हो जाएगी। राज्यसभा में फिलहाल कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष सत्ता पक्ष पर भारी पड़ता आया है जिसके कारण भाजपा सरकार तीन तलाक विधेयक और नागरिक संशोधन विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पारित नहीं करवा पाई थी। इन विधेयकों के अलावा मोटर व्हिकल्स बिल, कंपनीज़ अमेंडमेंट बिल और इंडियन मेडिकल काउंसिल अमेंडमेंट बिल जैसे महत्वपूर्ण विधेयक भी राज्यसभा में अटके पड़े हैं। योजना के मुताबिक यदि एनडीए वर्ष 2021 तक राज्यसभा में बहुमत हासिल करने में कामयाब रहता है तो वह बड़े आराम से इन विधेयकों को पारित करवा सकता है।
कांग्रेस अपनी घटिया राजनीति को साधने के लिए समय-समय पर संसद के महत्वपूर्ण समय को बर्बाद करती आई है। इसके अलावा गैर-जरूरी मुद्दों को हवा देकर वह संसद में कई अहम बिलों को पारित होने से भी रोक चुकी है। महिला सशक्तिकरण के खोखले वादे करने वाली कांग्रेस ने अपनी तुष्टीकरण की राजनीति को साधने के लिए ट्रिपल तलाक जैसे महत्वपूर्ण बिल को राज्यसभा में पारित नहीं होने दिया। अब अगर भाजपा को संसद के दोनों सदनों में बहुमत हासिल हो जाता है तो इससे संसद में उत्पन्न होने वाली अव्यवस्था को काफी हद तक काबू किया जा सकेगा।