बंगाल में जारी राजनीतिक हिंसा के बीच बुधवार को चुनाव आयोग ने राज्य में बड़ी कार्रवाई की थी। निर्वाचन आयोग ने राज्य में चुनावी प्रचार को 19 घंटे कम कर दिया था और गुरुवार रात 10 बजे के बाद किसी भी राजनीतिक प्रचार पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। यह फैसला राज्य में बढ़ती राजनीतिक हिंसा के मद्देनजर लिया गया था और इसके लिए पहली बार संविधान की धारा 324 का इस्तेमाल किया गया था। आयोग का यह फैसला पूरी तरह तर्कसंगत था लेकिन लेफ्ट लिबरल गैंग समेत विपक्षी पार्टियों ने अपने एजेंडे के तहत इस फैसले पर भी राजनीति करना शुरू कर दिया और चुनाव आयोग पर भाजपा के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया। हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि चुनाव आयोग के इस फैसले के एक दिन पहले जब अमित शाह के रोड शो पर टीएमसी के समर्थकों ने हमला किया था, तो इस पर विपक्षी के किसी भी सदस्य के मुंह से एक शब्द नहीं निकला था।
सबसे पहले पश्चिम बंगाल में हिटलरशाही कायम करने के सपने देखने वाली ममता ने आयोग के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा ‘पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था की ऐसी कोई समस्या नहीं है कि अनुच्छेद 324 लागू किया जाए। यह अभूतपूर्व, असंवैधानिक और अनैतिक है। यह दरसअल मोदी और अमित शाह को उपहार है।’ वो यही नहीं रुकी, उन्होंने आगे कहा, मोदी मुझसे डरे हुए हैं, चुनाव आयोग उनके साथ काम कर रहा है। वे राज्य के चुनाव में कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं?
ममता दीदी के बाद चुनाव आयोग के विरुद्ध राहुल गांधी के राइट हैंड समझे जाने वाले और कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मोर्चा संभाला और अपनी प्रेस वार्ता में कहा ‘ऐसा लगता है मानो चुनाव प्रचार संहिता मोदी जी की प्रचार संहिता बन गई हो’। इनके अलावा यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी निर्वाचन आयोग के खिलाफ एक ट्वीट किया और लिखा ‘चुनाव आयोग का समय से पहले चुनावी प्रचार का बंद करना गैर-लोकतान्त्रिक है। लोकतान्त्रिक संस्थाओं के खिलाफ छिड़ी इस जंग में मैं ममता जी का पूरा साथ देता हूँ’। ये वही अखिलेश यादव हैं जिन्हें जब इलहाबाद यूनिवर्सिटी ने एक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी थी तब उन्होंने लोकतंत्र खतरे में है का राग अलापा था लेकिन, आज जब पश्चिम बंगाल में वास्तविक रूप से लोकतंत्र पर हमला हो रहा है तो वो अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं
The EC's decision to call off campaigning in Bengal is against all norms of democratic fair play. I fully support @MamataOfficial ji in her fight to stop the undemocratic march of the two and a half men who have used and abused every institution of our country for their own gain.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 15, 2019
वहीं, इस मामले पर बसपा सुप्रीमो ने कहा, “जबसे देश में लोकसभा आमचुनाव घोषित हुये हैं तबसे खासकर बंगाल में आये दिन कोई ना कोई खबर जरूर सुर्खियों में बनी रहती है जिसके लिए वहां पूरे तौर से बीजेपी व आरएसएस के लोग ही जिम्मेवार है।” मायावती भी यहां मौका देख कर चौका मार रही हैं। हालांकि, उन्हें सोशल मीडिया पर यूजर्स ने जवाब भी दे दिया।
हालाँकि यहाँ उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी व आरएसएस के लोगों ने, बंगाल जैसी स्थिति पैदा करने की पूरी-पूरी कोशिश की थी, लेकिन यहाँ हमारे बने गठबन्धन ने इनके इस षड्यन्त्र व मनसूबे को अभी तक भी पूरा नहीं होने दिया है और आखिरी चरण के वोट पड़ने तक भी हम इसे पूरा नहीं होने देंगे।
— Mayawati (@Mayawati) May 16, 2019
इसके अलावा लिबरल गैंग की स्वघोषित निष्पक्ष पत्रकार निधि राज़दान ने भी यहां अपना एजेंडा आगे बढ़ाने का अवसर देख चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़ा कर दिया। उन्होंने ट्वीट किया ‘अगर बंगाल में स्थिति इतनी ही खराब है, तो आयोग ने तुरंत प्रचार पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया? शाम 10 बजे तक की सीमा क्यों तय की गई? पीएम मोदी की बंगाल में 2 रैलियां हैं। चुनाव आयोग इस पर कोई जवाब नहीं दे रहा है’।
If situation in Bengal is so bad, then why hasn’t @ECISVEEP stopped the campaign immediately? Why wait till 10pm tomorrow? Incidentally, the PM has two rallies in Bengal tomorrow. EC officials are not giving a reason yet to my colleague @arvindgunasekar for this time limit
— Nidhi Razdan (@Nidhi) May 15, 2019
हालांकि, लिबरल गैंग ने चुनाव आयोग के दावों और स्थिति को देखते हुए लिए गये फैसले की गहराई को नहीं समझा। प्रभारी उपायुक्त सुदीप जैन ने पश्चिम बंगाल में समय से पहले चुनाव प्रचार रोकने पर अपने दावे में कहा था कि राज्य में जिस तरह से राजनीतिक वैमनस्य बढ़ा है उससे 17 मई की शाम तक उपद्रव और ज्यादा बढ़ने की आशंका थी। अगर समय से पहले चुनाव प्रचार को न रोका जाता तो स्वतंत्र, स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराना मुश्किल होना तय था। अब इस रोक के फैसले के बाद प्रदेश में ना केवल सुरक्षा और कानून व्यवस्था सुचारू रखने में मदद मिलेगी बल्कि मतदाताओं को भी अपना मन और मत तय करने में आसानी होगी।
हैरानी की बात तो यह है कि जब अमित शाह के रोड शो पर टीएमसी के गुंडों ने हमला किया था, और दिल्ली से भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था तब इस पूरी गैंग के मुंह में मानो दही जम गई थी, उस समय न ही किसी विपक्षी दल और न ही लेफ्ट लिबरल गैंग के किसी सदस्य ने ममता सरकार से कोई सवाल पूछा था। इसी हफ्ते सिर्फ एक मीम शेयर करने पर जब बंगाल पुलिस ने जब एक भाजपा की युवा नेता प्रियंका शर्मा को गिरफ्तार कर लिया था, तो भी इस असहिष्णु गैंग ने अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। वास्तव में ये इन सभी के दोहरे मापदंड को दर्शाता है जिस वजह से ये पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार पर चुनाव आयोग के फैसले पर ही सवाल उठा रहे हैं ।