देश में पत्रकारिता के मूल्यों में गिरावट आई है जिस कारण आज के समाज में अगर कोई किसी मीडिया संस्थान से निष्पक्ष पत्रकारिता की उम्मीद करता है तो उससे बड़ा बेवकूफ कोई नहीं होगा। कुछ पत्रकरों को छोड़ दें तो बाकी बचे पत्रकार पत्रकारिता छोड़कर अपने मालिकों को खुश करने में व्यस्त हैं। वो एक पहलू को ही उजागर करते हैं और उसी की गहराई को दिखाते हैं जबकि, मीडिया का काम किसी भी खबर के दोनों पहलुओं को आम जनता के समक्ष रखना होता है। आज के समय में ऐसा नहीं होता है और इस बात को अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अब स्वीकार भी कर लिया है। राहुल गांधी ने स्वीकार कर लिया है, कि कुछ पत्रकार ‘पक्षकार’ होने के बावजूद ‘निष्पक्ष होने का ढोंग करते हैं। वो खबरों को खुद ही गढ़ते हैं और वही खबर अम जनता को दिखाते हैं फिर भी वो खुद को ‘निष्पक्ष’ बताते हैं।
PM Modi is doing a press conference, it is unprecedented. I am told the door of the room where PM Modi is addressing a press conference has been closed. I had told some journalists here to go and ask couple of questions from our side but believe they aren't allowed: Rahul Gandhi pic.twitter.com/icoMVEMxYZ
— ABP News (@ABPNews) May 17, 2019
दरअसल, शुक्रवार को पीएम मोदी और अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब भी दिए। दूसरी तरफ, राहुल गांधी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे। जब उन्हें पीएम मोदी और अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस का पता चला था तो उन्होंने अपने कुछ पत्रकारों से कहा था कि उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाओ और जो हमारी तरफ से कुछ सवाल पूछो। एबीपी न्यूज़ के मुताबिक राहुल गांधी ने कहा था, “मोदी जी की प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं और मुझे बताया गया कि जहां वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं उसका दरवाजा बंद कर दिया गया है। मैंने अपने कुछ पत्रकारों से कहा था कि जाओ और हमारी तरफ से कुछ सवाल पूछो लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली।” कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस बयान से इतना तो साफ़ है कि कुछ पत्रकार उनकी पार्टी के लिए ही पत्रकारिता करते हैं। वो वही सवाल पूछते हैं जो उनसे कांग्रेस पार्टी पूछने के लिए कहती है और वही दिखाते हैं जो खबर दिखाने के लिए कही जाती है। शायद यही वजह है कि किसी भी घटना पर केंद्र सरकार से तो सवाल किये जातें हैं लेकिन विपक्षी दलों की शर्मनाक हरकतों पर मीडिया का एक धड़ा चुप्पी साढ़े हुए नजर आता है। जब सोशल मीडिया पर राहुल गांधी का ये बयान सामने आया तो आम जनता ने भी सवालों की बोछार कर दी कि आखिर वो अपने कौनसे पत्रकारों की बात कर रहे हैं? बार बार भाजपा पर मीडिया समूहों पर दबाव बनाने का आरोप मढ़ने वाली कांग्रेस पार्टी ने बता दिया है कि वास्तव में कौन मीडिया संस्थानों और पत्रकारों पर दबाव बनाता है।
Who are these journalists …please list them …are they same as #AugustaPatrakar S ?
— Padmaja 🇮🇳 (@prettypadmaja) May 17, 2019
ये शर्मनाक है कि कुछ पत्रकार पूर्व नियोजित कहानियां तैयार करते हैं और समय समय पर इसका इस्तेमाल भी करते रहते हैं। हद तो तब हो जाती है जब इसपर ही वो आम जनता की राय तक लेते हैं। अपने मालिकों को खुश करने के लिए मीडिया के दरबारी वर्ग ने पत्रकारिता के स्तर को ही गिरा दिया है। मीडिया का दरबारी वर्ग किस तरह से चाटुकारिता करता है ये हमें कई बार देखने को भी मिल चुका है। उदाहरण के तौर पर हम तीन तलाक को ही ले लेते हैं, जब मोदी सरकार ने इसपर रोक लगाई थी तब इसकी सराहना करने की बजाय पीएम मोदी को इस तरह से चित्रित करने की कोशिश की गयी जैसे वो मुस्लिम विरोधी हैं। वहीं जब कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, या पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी खुलेआम तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं, नर्म हिंदुत्व का ढोंग करते हैं तब कोई मीडिया संस्थान इनके दोहरे रुख पर सवाल नहीं करता। खुद को निष्पक्ष पत्रकार कहने वाले खुद नफरत का एजेंडा दूसरों की आंखों में मढ़ना चाहते हैं और अपने आकाओं को खुश करने के लिए ये सभी वही सवाल करते हैं और वही चीज दिखाते हैं जो उनके आका उनसे कहते हैं।
इससे स्पष्ट है कि ये भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस है जो पत्रकारों पर दबाव बनाती है उन्हें अपने हिसाब से चलाती है लेकिन अफ़सोस तो इस बात का है कि कुछ पत्रकारों ने तो अपने जमीर को ही बेच दिया है। इन्हीं की वजह से आज भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता पर कई सवाल उठने लगे हैं।