दुनिया भर में आतंकी देश के तौर पर बदनाम हो चुके पाकिस्तान के अब इतने बुरे दिन आ गए हैं कि कोई भी अब उसके साथ बातचीत करने को तैयार नहीं है। हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बेल्ट एंड रोड फोरम समिट में हिस्सा लेने के लिए गए चीन के दौरे पर गए थे। इस दौरे में उनकी इतनी फजीहत हुई है कि, अब वे दुनिया के सामने सर उठाने लायक तक नहीं रहे। हालत यह है कि, इस दौर से शुरू हुआ उनकी फजीहत का दौर अभी तक रहा है।
बता दें कि, इस बार पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी शर्मिंदगी का कारण रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बने हैं। दरअसल, उन्होंने द्विपक्षीय वार्ता के संबंध में पाकिस्तान से आए वार्ता प्रस्ताव को सीधे तौर पर खारिज कर दिया है। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की गिरती साख का ही नतीजा है कि अब कोई देश पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को आगे नहीं बढ़ाना चाहता। दूसरी तरफ पाकिस्तान के साथ हाथ मिलाकर कोई भी देश भारत के साथ अपने रिश्तों पर आंच नहीं आने देना चाहता।
इमरान खान को रूस के राष्ट्रपति द्वारा पूरी तरह नकार दिया जाना पाकिस्तान के लिए किसी बड़ी कूटनीतिक हार से कम नहीं है। यही नहीं, रूस के अलावा फोरम में आए 37 देशों में से 35 देशों ने भी पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी। इन 35 देशों ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। इस कारण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अलावा इमरान खान यूथोपिया और ताजिकिस्तान जैसे छोटे देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ ही मुलाक़ात कर पाये।
अब इस बात को लेकर पाकिस्तान के अंदर से ही कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। पाकिस्तानी राजनयिकों समेत पाकिस्तानी बुद्धिजीवी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक हार है। हालांकि, अब्दुल बासित जैसे कुछ पाकिस्तानी राजनयिक अब राष्ट्रपति पुतिन की व्यस्तता का हवाला देकर पाकिस्तान की इस करारी बेइज्जती को छुपाने में लगे हैं। अब्दुल बासित ने कहा, ‘मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि पाकिस्तान ने ऐसे बेहतर मौके को हाथ से जाने दिया, शायद राष्ट्रपति पुतिन बहुत व्यस्त रहे होंगे, इसके अलावा मुझे कोई और कारण नज़र नहीं आता’।
बता दें कि, पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद इस साल फरवरी में भारत और पाकिस्तान के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिला था जिसमें भारत ने अपनी कूटनीतिक शक्ति का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान को उसकी असल औकात दिखा दी थी। रूस का पाकिस्तान के साथ किसी द्विपक्षीय मुलाक़ात से इंकार करना भी इसी का नतीजा माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ अपनी नज़दीकियाँ बढ़ाकर रूस किसी भी सूरत में भारत को नाराज़ नहीं करना चाहता। भारत दुनिया की एक उभरती अर्थव्यवस्था है, जबकि पाकिस्तान कर्ज़ों पर चलने वाला एक आतंकी देश है। ऐसे में रूस और दुनिया के अन्य देशो द्वारा पाकिस्तान को नकारे जाने से किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
पिछले पांच वर्षों में पीएम मोदी के कुशल नेतृत्व का ही यह नतीजा निकला है कि आज सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत के विचारों को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि पाकिस्तान को कोई देश चारा तक नहीं डालता। इतना ही नहीं, पाकिस्तान की बेइज्जती करने में उसका दोस्त चीन भी किसी से कम नहीं है। बीआरआई फोरम में हिस्सा लेने गए इमरान खान जब चीन पहुंचे थे तो उनका स्वागत बीजिंग की म्यूनिसिपल कमेटी की डिप्टी सेक्रेट्री जनरल ली लिफेंग ने किया था जिसके बाद सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की जमकर खिल्ली उड़ाई गई थी, क्योंकि इमरान खान को यह उम्मीद थी कि उनके स्वागत के लिए खुद चीन के राष्ट्रपति वहां मौजूद रहेंगे। पाकिस्तान को यह बात अब समझ लेनी चाहिए कि दुनिया में इज्जत पाने के लिए उसे आतंक को नहीं, बल्कि इंजीनियर्स और डॉक्टर्स को एक्सपोर्ट करने की जरूरत है। आतंकवादियों को अपने देश के सुरक्षा तंत्र का अहम हिस्सा मानने वाले पाकिस्तान को भारत ने पिछले कुछ वर्षों में भली-भांति एक्सपोज किया है। इसी का नतीजा है कि, आज दुनिया की सुपर पावर्स ही नहीं बल्कि छोटे-मोटे देश भी पाकिस्तान को अहमियत नहीं दे रहे और भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।