मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव सीताराम येचुरी भोपाल में कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए हिंदुओं को हिंसक कहा और अपनी बातों को सही साबित करने के लिए उन्होंने रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों को लेकर विवादित बयान दे डाला। इसके बाद उनकी चौतरफा आलोचना हो रही है। वहीं भाजपा सांसद स्वामी सुब्रमण्यम ने अलग ही अंदाज में सीताराम येचुरी को अपना नाम बदलने की सलाह दे डाली।
Sitaram Yechury, CPI(M): Ramayana & Mahabharata are also filled with instances of violence & battles. Being a pracharak, you narrate the epics but still claim Hindus can't be violent? What is the logic behind saying there is a religion which engages in violence & we Hindus don't pic.twitter.com/S3ZpDj102u
— ANI (@ANI) May 3, 2019
दरअसल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव सीताराम येचुरी ने अपने भाषण में कहा था, ‘आरएसएस प्रचारक एक तरफ रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों का उदाहरण देते हैं और दूसरी तरफ कहते हैं कि हिंदू हिंसक नहीं हो सकते। इसके पीछे क्या तर्क है? रामायण और महाभारत हिंसा के उदाहरणों से भरे पड़े हैं। इस के बाद यह कहना ठीक नहीं हैं कि हिंदू अहिंसक हैं।‘ येचुरी के इस बयान की हर तरफ आलोचना हो रही है। शिवसेना से लेकर भाजपा तक सभी ने येचुरीपर हमला बोला।
Hindu minded Media persons interviewing me today were agitated by Sitaram Yechuri’s hate remarks on Ramayana katha. I told them that they should have asked him to first change him name from Sitaram to Mar(x)Leni(n)= Marleni
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 3, 2019
वहीं, भाजपा सांसद स्वामी सुब्रमण्यम ने इसपर ट्वीट कर कहा, “आज मीडिया द्वारा मुझसे रामायण कथा पर सीताराम येचुरी की अभद्र टिप्पणी पर सवाल किया गया। मैंने उनसे कहा कि उन्हें पहले सीताराम से नामा बदलकर मार(x) लेनी(n) = मार्लेनी रखने के लिए कहना चाहिए था।” स्वामी सुब्रमण्यम ने अपने इस ट्वीट से सीताराम येचुरी को ये सुझाव दिया कि उन्हें अपना नाम बदलकर मार्लेनी रख लेना चाहिए जो उनकी विचारधारा पर काफी हद तक स्टिक बैठता है क्योंकि मार्लेनी मार्क्सवाद और लेनिन के नाम मिलाकर एक नया और बढ़िया नाम है जोकि सीताराम येचुरी और उनके साम्यवाद मॉडल दोनों पर ही फिट बैठता है।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब स्वामी सुब्रमण्यम ने रामायण या राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया हो। ये सुब्रमण्यम स्वामी ही थे जिन्होंने राम सेतु को कांग्रेस-डीएमके जोड़ी द्वारा खंडित करने से रोका था। तत्कालीन यूपीए सरकार ने लाखों हिंदुओं की भावनाओं को ताक पर रख कर राम सेतु को हटाने की योजना बनाई थी जिसके तहत तत्कालीन सरकार ने 2005 में सेतु समुद्रम प्रोजेक्ट (SSCP) का ऐलान किया था। इस मामले को लेकर स्वामी सुप्रीम कोर्ट ले गये थे जिसके बाद वो तत्कालीन सरकार की इस योजना को फेल कर मामले में विजयी हुए थे। उस समय भी जिस तरह से भारतीय सांस्कृतिक की धरोहर को बचाने के लिए भाजपा सांसद ‘डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी सामने आये थे वो सराहनीय था। जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सवाल किया गया था कि “राम सेतु कैसे आस्था का केंद्र हो सकता है वहां तो कोई पूजा करने भी नहीं जाता।” इस पर सुब्रमण्यम स्वामी ने तर्क देते हुए कहा था कि “आस्था का केंद्र तो सूर्य भी है उसे भी जल अर्पित किया जाता है परन्तु वहा कोई नहीं जाता।“ उनके अथक प्रयासों के कारण कांग्रेस की गंदी साजिश को सफल नहीं हुई थी और राम सेतु अभी तक है। राम के अस्तित्व पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस तो कबका अलपसंख्यक समुदाय को अपनी ओर रिझाने के लिए राम सेतु को तोड़ चुकी होती लेकिन उसके मंसूबों पर पानी फेरा था भाजपा सांसद ने।
इसके अलवा जब भी कोई सनातन धर्म पर सवाल उठाता है या मजाक उड़ाता था स्वामी उन सभी को तगड़ा जवाब देते हैं। यही नहीं जब भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान पर किये गये एयर स्ट्राइक को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सवाल उठाये थे तब भी उन्होंने करारा जवाब देते हुए कहा था, ‘दिग्विजय सिंह या तो पाकिस्तान के पिट्ठू हैं या बीजेपी के। वो या तो खुद मूर्ख हैं या देश की जनता को मूर्ख समझते हैं।’ उन्होंने आगे कहा था, “अमरीका ने ओसामा बिन लादेन को मारा था तो क्या उसके सबूत दिए थे? क्या अमरीका ने हमले की कोई तस्वीर जारी की थी? अगर दिग्विजय के पास ऐसा कोई सबूत हैं तो वो पेश कर दे।” यही नहीं कई ऐसे मौके हैं जब भाजपा सांसद स्वामी सुब्रमण्यम ने अपने जवाबों से विपक्षियों और सनातन धर्म पर सवाल उठाने वालों की बोलती बंद की है। उम्मीद करते हैं जो सलाह उन्होंने सीताराम येचुरी को दी है उससे वो कोई सीख जरुर लेंगे।