कल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्रपति भवन के प्रांगण से भारत के 16वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली, तो सभी की निगाहें इस बात पर थी कि इनके नए मंत्रिमंडल में कौन कौन शामिल होगा। जहां एक तरफ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अलावा सुब्रमण्यम जयशंकर, प्रल्हाद जोशी जैसे नए चेहरों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली, तो वहीं कुछ प्रभावशाली मंत्री, जैसे अरुण जेटली, सुरेश प्रभु, मेनका गांधी इत्यादि इस बार मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बन पाये।
इसी सूची में एक अहम नाम है पिछली सरकार में विदेश मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुषमा स्वराज का। इस बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण सुषमा स्वराज न तो लोकसभा चुनाव में लड़ पायी, और न ही इस बार मंत्रिमंडल का हिस्सा बन पायी। उन्होंने पीएम मोदी का आभार व्यक्त अपने ट्वीट में ये कहा –
प्रधान मंत्री जी – आपने 5 वर्षों तक मुझे विदेश मंत्री के तौर पर देशवासियों और प्रवासी भारतीयों की सेवा करने का मौका दिया और पूरे कार्यकाल में व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत सम्मान दिया. मैं आपके प्रति बहुत आभारी हूँ. हमारी सरकार बहुत यशस्विता से चले, प्रभु से मेरी यही प्रार्थना है.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) May 30, 2019
विलक्षण प्रतिभा से सुसज्जित, और कई अहम पद संभाल चुकी सुषमा स्वराज स्वतंत्र भारत के सबसे सफलतम विदेश मंत्रियों में से एक हैं। जटिल से जटिल समस्याओं को सुलझाने के इनके अनूठे तरीके हों, या फिर किसी भी देश में फंसे हुए प्रवासी एवं अप्रवासी भारतीय हों, दोनों के लिए सुषमा स्वराज किसी मसीहा से कम नहीं थी।
पेशे से अधिवक्ता और आपातकाल विरोधी आंदोलन का अभिन्न हिस्सा रह चुकी सुषमा स्वराज ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण पद का कार्यभार संभाला है। चाहे वो हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री का पदभार हो, या फिर 1998 में दिल्ली का मुख्यमंत्री पद, या फिर अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय। यही नहीं, उन्होंने विपक्ष में भी भारतीय जनता पार्टी की गरिमा और गौरव को बनाए रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिणामस्वरूप उन्हें 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार में विदेश मंत्रालय का अहम पद मिला।
हालांकि, उन्हें पद संभाले हुए कुछ ही दिन हुए थे कि सुषमा स्वराज के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया। साल 2014 में जब आतंकी संगठन आईएसआईएस का खौफ चरम पर था, तब इराक के तिकरित में 46 भारतीय नर्सों को आतंकियों ने बंधक बना लिया था। बिना समय गवाएं सुषमा स्वराज काम पर लग गयी और उन सभी को हैरत में डालते हुए सभी 46 नर्सों को सकुशल भारत ले आई।
इसके बाद तो सुषमा स्वराज ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। चाहे वो अफ़ग़ानिस्तान में अपहृत समाजसेवी जूडिथ डिसूजा हो, या पाकिस्तान में अवैध रूप से बनाए गए भारतीय नागरिक हामिद अंसारी, या फिर भारत से अगवा की गई उज्मा अहमद ही क्यों न हो, सभी को सुषमा स्वराज ने सकुशल वापस भारत लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
इन सभी कार्यों में सुषमा स्वराज का भरपूर साथ दिया पूर्व सेना प्रमुख, जनरल वीके सिंह ने, जिनहोने विदेश राज्य मंत्री का पदभार संभाला था। इतना ही नहीं, सुषमा स्वराज जितनी ममतामयी हैं, उतनी ही चतुर और कूटनीतिक भी हैं। जब उरी हमले के बाद भारत को पाकिस्तान के बेतुके आरोपों का उचित जवाब देना था, तब ये सुषमा स्वराज ही थीं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपने वक्तव्य से सभी को भारत का पक्ष लेने के लिए विवश कर दिया।
इतना ही नहीं, उन्होंने युद्धग्रस्त यमन में रह रहे भारतीयों को ‘ऑपरेशन राहत’ के तहत सकुशल बाहर निकाला। इतना ही नहीं, छोटा राजन जैसे संगीन अपराधियों के भारत प्रत्यर्पण में भी सुषमा स्वराज के विदेश मंत्रालय ने एक अहम भूमिका निभाई। स्वयं वीके सिंह छोटा राजन के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पर नज़र रखने के लिए इंडोनेशिया गये थे, जहां छोटा राजन को मोहन कुमार के पासपोर्ट के साथ गिरफ्तार किया गया।
सुषमा स्वराज और पूर्व विदेश मंत्रियों के बीच सबसे बड़ा अंतर था ममता और वात्सल्य की भावनाओं का। सुषमा स्वराज ने जिस दिन विदेश मंत्रालय का पद संभाला, तबसे वो निस्वार्थ भाव से विदेश मंत्रालय के तहत देशवासियों की विभिन्न समस्याओं को समझना एवं उन समस्याओं का सफलतापूर्वक निवारण करना।
ट्विट्टर जैसे सोश्ल मीडिया प्लेटफार्म को अपना अस्त्र बनाते हुए सुषमा स्वराज ने करोड़ों प्रवासी एवं आप्रवासी भारतीयों की मदद की। चाहे वीज़ा संबंधित अड़चनों से निपटने में सहायता देनी हो, या अंजान देश में फंसे लोगों को सकुशल भारत लाना, या फिर पाकिस्तान या बांग्लादेश में रह रहे हिंदू, बौद्ध एवं सिख शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दिलवाना, जो भी जनता ने चाहा, सुषमा स्वराज ने वो कर के दिखाया।
आज जब उन्होंने स्वास्थ्य कारणों की वजह से खुद को कैबिनेट से अलग करने का फैसला किया है तो पूरा देश जरुर निराश हुआ ही. फिर भी हम आभार व्यक्त करतें हैं सुषमा स्वराज का, जिन्होंने विदेश मंत्री के तौर पर न केवल मंत्रालय का गौरव बढ़ाया, बल्कि करोड़ों भारतीयों के हृदय में अपने लिए खास जगह बनाई। हम आशा करतें कि वे जल्द से जल्द स्वस्थ हों, और देश को अपनी सेवाएं देती रहें।