कभी लेफ्ट के खिलाफ जंग लड़कर राज्य की सत्ता पर क़ाबिज़ होने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। चुनावी नतीजों के अनुसार पश्चिम बंगाल में भाजपा को 18 सीटों पर बढ़त हासिल है जबकि टीएमसी के उम्मीदवार अपने विरोधियों से अभी 22 सीटों पर आगे चल रहे हैं। यानि ऐसा पहली बार हुआ है जब पश्चिम बंगाल में टीएमसी को भाजपा से कड़ी चुनौती मिली है। इस साल के लोकसभा चुनावों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी ने ममता बनर्जी की हिटलरशाही के खिलाफ जमकर प्रचार किया जिसके बाद मोदी लहर ने बंगाल में भी अब जोरदार दस्तक दे दी है।
पिछले कुछ समय में ममता बनर्जी कई नकारात्मक कारणों की वजह से चर्चा में रही। अपने एजेंडे के माध्यम से उन्होंने लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिशें तो भरपूर की, लेकिन अब की बार राज्य के वोटर्स ने भाजपा को अच्छे विकल्प के तौर पर देखकर इसे अपना समर्थन दिया। पिछले 10 सालों में राज्य के लोगों ने ममता बनर्जी के पाखंड को बड़ी गौर से देखा है, और यही कारण है कि कभी हुगली के सिंगूर से किसानों की जमीन अदिग्रहण के मुद्दे को हवा देकर राज्य की राजनीति में चमकने वाली ममता को आज उसी हुगली के वोटर्स भाजपा के उम्मीदवार को जिताकर हिंसावादी ममता को करारा सबक सिखा रहे हैं। बंगाल की हुगली लोकसभा सीट से भाजपा नेता लॉकेट चटर्जी, टीएमसी के उम्मीदवार रत्ना दे से काफी आगे चल रहे हैं, और इस बात की पूरी संभावना है कि वे यहां से जीत जायें।
साफ है, राज्य के वोटर्स ने इस बात को समझा है कि ममता सरकार की असहिष्णुता राज्य के हितों के बिल्कुल विपरीत है। इस साल के चुनावी प्रचार के दौरान हमें ममता सरकार की असहिष्णुता का एक अलग ही रूप देखने को मिला। एक तरफ जहां उन्होंने अपने विरोधियों की रैली आयोजित होने से रोकने के लिए राज्य के पूरे प्रशासनिक तंत्र का दुरुपयोग किया तो वहीं वोटिंग के दौरान अपने हिंसक समर्थकों की बदौलत मासूम वोटर्स को डराया और धमकाया भी! इतना ही नहीं, इस साल के चुनाव प्रचार में ममता बनर्जी का हिन्दू-विरोधी चेहरा भी खुलकार सामने आया। उनके काफिले के गुजरने के दौरान जब कुछ लोगों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए थे तो भी उन्होंने नारे लगाने वाले युवकों को गिरफ्तार करवा दिया था। उनके कार्यकर्ताओं के हौसले इतने बुलंद हो चुके थे कि वे सरेआम अपनी विरोधी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं पर हमला करने से भी नहीं हिचक रहे थे।
ममता सरकार की असहिष्णुता का एक और उदाहरण हमें पिछले ही दिनों तब देखने को मिला था जब सिर्फ एक मीम को शेयर करने पर बंगाल पुलिस द्वारा भाजपा की युवा नेता प्रियंका शर्मा को हिरासत में ले लिए गया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उस युवा नेता को बिना किसी शर्त रिहा करने के आदेश दिये थे।
ममता सरकार की असहिष्णुता का ही यह नतीजा है कि अब बंगाल की जनता ने राज्य में भाजपा को अभूतपूर्व समर्थन दिया है। वास्तव में राज्य के लोग अब ममता दीदी की हिटलरशाही से तंग आ चुके हैं और अब वे भाजपा को अपने उपयुक्त विकल्प के तौर पर देख रहे हैं।