2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में खास रहा जिसने एक नई राजनीति को जन्म दिया है। इस आम चुनाव में राजनीति के कई दिग्गज मोदी सुनामी में बह गए और पीएम मोदी ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की। साथ ही बीजेपी ने खुद अपना रिकॉर्ड तोड़ते हुए 2014 के मुक़ाबले शानदार बढ़त हासिल करते हुए 303 सीटें जीती। सबसे दिलचस्प आंकड़े और बड़े बदलाव जहां देखने को मिले वह ममता बनर्जी का गढ़ पश्चिम बंगाल है। यहां एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला जिससे ममता का किला धराशायी हो गया। पीएम मोदी के विश्वसनीय चेहरे और अमित शाह की अध्यक्षता में बीजेपी ने बंगाल में बड़ा फेरबदल किया है। ममता बनर्जी की लाख कोशिशों के बावजूद भी वह महारथी अमित शाह की रणनीति से पार नहीं पा पाईं। इस चुनाव में बीजेपी के पक्ष में हिंदुओं का वोट प्रतिशत 21 से बढ़कर 57 तक जा पहुंचा। ये इस बात के साफ संकेत देता है कि अब बंगाल में हिंदू एकजुट हुए हैं और भाजपा का राज्य में दबदबा बढ़ रहा है।
Some West Bengal data from the Lokniti-CSDS post-poll survey. BJP won 57 per cent of the Hindu vote in the state. Hindu consolidation was a reality. pic.twitter.com/WOdsTR0NIz
— Swapan Dasgupta (@swapan55) May 28, 2019
बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत के बाद विपक्ष ढेर हो गया और आखिरकार सभी क्षेत्रीय दल पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति के आगे नतमस्तक हो गए। चुनाव से पहले जहां कई राजनीतिक पंडित महागठबंधन से बीजेपी को चुनौती मिलती बता रहे थे, वहीं नतीजों के बाद सभी छिपने की जगह तलाशते नजर आए। गौरतलब है कि, ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी ने तख़्ता पलट कर इतिहास रच दिया। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस बार बीजेपी का पूरा फोकस मिशन दक्षिण पर था जिसमे ममता के गढ़ पर उसकी खास नजर थी। अमित शाह साल की शुरुआत से ही ममता बनर्जी के किले को ढहाने की रणनीति बना रहे थे जिसमे वह पूरी तरह से कामयाब हुए। यही नहीं ममता के गढ़ में 18 सीटें जीत कर ममता के तानाशाही रवैये और रणनीति को चकनाचूर कर दिया है। इस जीत के प्रति अमित शाह चुनाव से पहले ही निश्चिंत थे और उन्होंने दावा किया था कि, पार्टी राज्य में 20 से अधिक सीटें जीतेगी। ममता बनर्जी लगातार अमित शाह, सीएम योगी के बंगाल में प्रवेश पर रोक लगाने की कोशिश करती रहीं लेकिन वह हर रुकावट को पार करते हुए आगे बढ़ते गए। इसका नतीजा यह हुआ कि, ममता के गढ़ में लेफ्ट भी भगवा हो गया। साथ ही ममता के तानाशाही शासन के प्रति हिंदुओं की नाराजगी भी खुलकर सामने आने लगी। आंकड़ों की बात करें तो 2014 के मुक़ाबले पश्चिम बंगाल में बीजेपी के पक्ष में हिंदुओं का वोट प्रतिशत दोगुना हो गया है। दरअसल, 2014 में हिंदुओं का वोट प्रतिशत 21% था जो अब 2019 में 57% हो गया है। वहीं टीएमसी को हिंदुओं का मिलने वाल वोट प्रतिशत को 2014 में 40% था अब 2019 में 32% रह गया। ऐसे में इन आंकड़ों से यह साफ जाहिर होता है कि, जिस तरह से ममता बनर्जी ने अपने शासनकाल में हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है उससे वह काफी नाराज हैं। ऐसे में राज्य में ममता के प्रति हिंदुओं का गुस्सा अब खुलकर सामने आ रहा है और सभी एकजुट हो गये हैं।
हिंदुओं के साथ ममता बनर्जी हमेशा से तानाशाही रवैया अपनाती चली आई हैं। बंगाल में ममता का हिंदुओं के प्रति नफरत और भेदभाव का एक मामला उस वक्त देखने को मिला था जब अक्टूबर 2018 में मोहर्रम और दुर्गा पुजा मूर्ति विसर्जन एक ही दिन पड़ने पर मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थी। यही नहीं चुनाव के बीच और उससे पहले भी बंगाल में हिंदुओं के प्रति हिंसा देखने को मिली हैं। ममता ने अपने कार्यकाल में कभी भी हिंदुओं कि भावनाओं का सम्मान नहीं किया है।
हिंदू के प्रति नफरत और राज्य में अपनी राजनीति को बनाए रखने के लिए ममता बनर्जी ने हमेशा तुष्टीकरण की राजनीति की जिसका नतीजा उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। अमित शाह की रणनीतियों और पीएम मोदी की लोकप्रियता के कारण भाजपा ने पश्चिम बंगाल में ममता के गढ़ जबरदस्त प्रदर्शन किया। ममता बनर्जी की हिंदुओं के प्रति नफरत और लगातार हो रही हिंसा से खफा होकर एकजुट हुए और बीजेपी के साथ आ गए।